मै एकान्त हूँ,एकांतवास से बोल रहा हूँ

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मै एकान्त में हूँ,पर किसी के इन्तजार में हूँ |
शांत हूँ,पर कल के कोलाहल के इन्तजार में हूँ ||

डरा नहीं हूँ, इस सन्नाटे को देखकर मै आज |
देख रहा हूँ,इसमें भारत के भविष्य का आज ||

भाग दौड़ के माहौल से अलग एकांत चाहता हूँ मै |
अपनी यादो को फिर से जीवन देना चाहता हूँ मै ||

चाहता हूँ उन सबको,जो इस एकान्त में मेरे से बिछड़ गये |
चाहता हूँ उन दोस्तों को,जो इस सफर में आगे निकल गये ||

चाहता हूँ उस प्रेमिका का स्पर्श,जो मेरे एकांत से ऊब गयी |
चाहता हूँ उन चरणों का स्पर्श,जो झुररियों में सिमट गयी ||

मोल भाव भी करना चाहता हूँ,उन फल सब्जी ठेले वालो से |
तू तू मै मै,करना चाहता हूँ,उन सभी बेचारे रिक्शा वालो से ||

इन्तजार उस घड़ी का,जब जोंन चर्च से निकल कर आयेगा |
मेरी टूटी फूटी मोटर सायकिल पर बैठ के घर अपने जायेगा ||

करता है मन मेरा आज मत्था टेकना शीशगंज गुरुद्वारे का |
जूते उतार कर,शीश पे पग पहनकर,पंगत में लंगर खाने का ||

याद आती है आबिद के घर जाकर बढ़िया बिरयानी खाने की |
याद आती है होली व ईद पर उन दोस्तों को गले से लगाने की ||

मै एकांतवास में हूँ केवल इसमें मेरा और मेरे देश का हित होगा |
बाहर निकल कर मै आऊँगा,जब मेरा देश कोरोना से मुक्त होगा ||

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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