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कुछ हादसों के बीच में पलता रहा हूं मैं..... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-इक़बाल हिंदुस्तानी बुज़दिल नहीं हूं मौत से लड़ता रहा हूं मैं, कुछ हादसों के बीच में पलता रहा हूं मैं। उनका तो मक़बरा भी बड़ा क़ीमती बना, मेरे भी सर पे छत हो तरसता रहा हूं मैं। कमज़र्फ़ से वफ़ाओं की आशा फ़जूल थी, क्यों एतबार कर लिया…