अन्नपूर्णा योजना से म.प्र. बनाएगा मानव विकास सूचकांक में बढ़त

   “एक दिन की मजदूरी=परिवार का माह भर का राशन” शिवराज की ये थीम वस्तुतः चुनावी वर्ष में गेम चेंजर साबित होगी

आज के युग में यदि किसी प्रदेश या देश के विकास को मापदंडों में मापना हो तो विभिन्न प्रकार के सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और अन्य प्रकार के मापदंडों का उपयोग किया जाता रहा है; किन्तु अब किसी देश या प्रदेश के विकास का निर्धारण करनें में संयुक्त राष्ट्र की संस्थाए, विश्व बैंक और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं जिन मापदंडों का उपयोग करती हैं उनमें सबसे महत्वपूर्ण मापदंड या मानक बिंदु हो गया है- एच डी आई यानि ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स; अगर हिंदी में व्यक्त करें तो मानव विकास सूचकांक. मानव विकास सूचकांक किसी भी देश या राज्य के विकास को नापनें की वह विधि है जो केवल राज्य की बढती आय या समाज में असंतुलित आय यानि एक तरफा अमीरों के अमीर होनें को या केवल ओद्योगिक या तकनीकी  विकास को या अन्य प्रकार के प्रचलित विकास मापदंडों से इतर उस राज्य या देश के रहवासियों के जीवन स्तर को मापदंड मानकर विकास का स्तर तय करती है. इस विधि में विकास को उसकी चमक और सतह से नहीं बल्कि आम आदमी के जनजीवन पर उस विकास के कारण होनें वाले कुप्रभावों या सुप्रभावों की गणना की जाती है. प्रसन्नता का विषय है कि मानव विकास सूचकांक यानि एच डी आई की दृष्टि से हमारा म.प्र. अभिनव योजनाओं के लागू होनें से देश के अग्रणी राज्यों की पंक्ति में सम्मिलित होनें जा रहा है.

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार म.प्र. में जिस प्रकार की योजनायें चला चुकी है या चलानें की योजना बना रही है उन योजनाओं की आत्मा में यही एच डी आई नामक शब्द बैठा हुआ है. एच डी आई की अवधारणा को जितना व्यवस्थित और सटीक म.प्र. सरकार ने समझा और लागू किया है उतना शेष भारत की राज्य सरकारों ने या केंद्र में बैठी सप्रंग सरकार ने न तो समझा और न लागू किया है. लाड़ली लक्ष्मी, जननी सुरक्षा, अन्नदान, बेटी बचाओ आदि आदि कितनी ही योजनाओं के बाद जून माह से लागू होनें जा रही अन्न वितरण योजना “अन्नपूर्णा” इसका जीवंत और सार्थक उदाहरण है.

यह कहनें में लगभग असंभव लगता है और अर्थशास्त्र के गणितीय सिद्दांत से असहज लगता है कि कोई मजदूर एक दिन मजदूरी करें और उसे सम्पूर्ण माह का राशन मात्र उस एक दिन की मजदूरी से प्राप्त होनें वाली राशि से मिल जाए. आज सुखद दिन है जब इस तथ्य को म.प्र. में इस तथ्य को सच्चा और धरातल पर क्रियान्वित हो गया तथ्य कहा जा सकता है. 1 जून 2013 से म.प्र. की शिवराज सरकार म.प्र. में एच डी आई यानि मानव विकास सूचकांक की घड़ी के कांटे को उचें स्तर पर ले जाते हुए बी पी एल परिवारों को एक रूपये किलो गेंहू और दो रूपये किलो चावल की अप्रत्याशित दर पर राशन मुहैया करानें जा रही है. इस निर्णय से प्रदेश की करीब आधी आवादी को बेहद सस्ता अनाज उपलब्ध होगा. इस अभिनव प्रयोग से प्रदेश के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले बी.पी.एल और अंत्योदय परिवारों को एक दिन की मजदूरी से पूरे माह का राशन मिल सकेगा. खाद्यान्नों के मूल्य में यह विशेष रियायत मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत दी जाएगी. योजना में वर्तमान में अंत्योदय परिवारों को 35 किलो और बी.पी.एल परिवारों को 20 किलो खाद्यान्न प्रति माह उपलब्ध करवाया जा रहा है. म.प्र. ऐसा राज्य है जहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सर्वाधिक व्यवस्थित, युक्तियुक्त और माइक्रो स्तर के ग्रामों तक खाद्यान्न वितरण की दुकानें और अन्य तंत्र उपलब्ध कराया गया है. म.प्र. में 20311 राशन की दुकानें है जिसमें से 3800 नगरीय तथा 16511  दुकानें ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहीं हैं. इन दुकानों के अंतर्गत 81,46,380 गरीबी रेखा से ऊपर के कार्ड यानि ए पी एल के कार्ड है वहीँ बी पी एल के राशन कार्ड 45,44,241 हैं.

मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के बाद देश का पहला ऐसा प्रदेश होगा जो इन विशेष रियायती दरों पर गरीब परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध करवायेगा. इस विशेष रियायती दर पर खाद्यान्न की उपलब्धता से प्रदेश की लगभग आधी आबादी अर्थात् 3.5 करोड़ गरीब नागरिक लाभान्वित होंगे. इनमें 8 लाख परिवार अंत्योदय श्रेणी के और 56 लाख परिवार बी.पी.एल. श्रेणी के होंगे. उल्लेखनीय है कि वर्तमान में अंत्योदय परिवारों को गेहूँ 2 रूपये प्रति किलोग्राम और चावल 3 रूपये प्रति किलोग्राम उपलब्ध करवाया जा रहा है. बी.पी.एल परिवारों को गेहूँ 3 रूपये प्रति किलोग्राम और चावल 4रूपये 50 पैसे प्रति किलोग्राम की दर पर उपलब्ध हो रहा है. यद्दपि म.प्र. शासन के इस संवेदन शील निर्णय से से राज्य के कोष पर पर लगभग 360 करोड़ रूपये का अतिरिक्त सबसिडी बोझ बढ़ जायेगा जो कि पूर्व में 440 करोड़ का आ ही रहा था किन्तु इस प्रकार अब कुल सब्सिडी भार 700 करोड़ का हो जाएगा तथापि म.प्र. शासन अपनें इस निर्णय से अन्नपूर्णा देवी का सच्चा दूत बनकर एक नई राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय प्रतिष्ठा अर्जित कर इस खर्च का प्रतिफल प्राप्त कर लेगा यह विश्वास है. कूल 1लगभग 000 करोड़ के खर्च से चलनें वाली इस योजना की विशालता और महत्वकांक्षा का अंदाज इस बात से हे लगाया जा सकता कि इसके द्वारा  मध्य प्रदेश सरकार निर्धन व् अति निर्धन वर्ग के 71 लाख से अधिक परिवारों की खाद्यान्न सुरक्षा का अनूठा अवसर उपलब्ध करानें जा रही है. राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे 55 लाख 69 हजार 638 परिवारों को और इसी तरह अति गरीब परिवारों के लिए लागू अंत्योदय अन्न योजना में 15 लाख 81 हजार परिवारों को लगभग निःशुल्क  खाद्यान्न उपलब्ध कराए जा रहे हैं. घेंघा (ग्वाइटर) रोग के उन्मूलन को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जनजाति बहुल 20 जिलों के 89 ब्लॉक में आयोडीनयुक्त नमक एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर मुहैया कराया जा रहा है जिसका लाभ 28 लाख 52 हजार 719 परिवारों को प्रतिमाह मिल रहा है. इस योजना को लागू करनें और इसके पूर्व भी म.प्र. में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत केन्द्रीय पूल से खाद्यान्न प्राप्त करनें में म.प्र. को जो कठिनाइयां आती रही हैं वे किसी से छिपी नहीं है. बीच में एक समय तो बेहद कम आवंटन के चलते स्वयं मान. उच्चतम न्यायालय ने इस सन्दर्भ में संज्ञान लेकर केन्द्रीय सरकार को प्रदेश के खाद्यान्न कोटे में व्यवस्थित बढ़ोतरी करनें के आदेश देकर मध्यप्रदेश को राहत प्रदान कराई थी.

मध्य प्रदेश जैसे निर्धन, पिछड़े और वित्तीय दृष्टि से अपेक्षाकृत निर्धन राज्य में मानव विकास सूचकांक के मापदंडों के अनुसार इतनी जन हितकारी योजनाओं को लागू कर पाना निश्चित ही एक बेहद चुनौती और कष्ट प्रद कार्य था जिसे म.प्र. की शिवराज सरकार ने पूरा कर दिखाया है. इस प्रकार का वित्तीय प्रबंधन साधना और इस साधन से मध्यप्रदेश की जनता की समृद्धि, स्वच्छता, स्वास्थ्य, और सुदृढ़ शासन को साध्य बनाकर अर्जित कर लेना एक चमत्कार से कम तो नहीं है. एक ऐसा चमत्कार जिसे हम प्रत्यक्षतः देख और भोग पा रहें हैं. म.प्र. की शिवराज सरकार को पुनः बधाई और इस जन हितकारी योजना के लिए शुभ-मंगल कामनाएं.

1 COMMENT

  1. Congratulations to Shivraj sarkar and B.J.P.

    Time has come to forget Congress and Sonia which has given us scams, scandals and corruption. We reject the dynastic rule and politics of Sonia.

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