बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में भारत अब निवेश का एक अच्छा अवसर-

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर वर्तमान परिस्थितियों में कोविड-19 के कारण हो रहे लाॅक डाउन  के कारण दुनियां भर में औद्योगिक इकाइयों को निसक्रिय होने के कारण रिस्पाॅन्स-एन इण्डस्ट्रियल रिवाइवल स्टैटजी लाॅक डाउन काल तथा उसकी  समाप्ति के उपरान्त इन्हें पुनः चालू करने के लिए एक ठोस प्रस्ताव पूरी सकारात्मकता के साथ बनाया जाए,वर्तमान परिस्थितियों में देश  में  सरकारी क्षेत्र में मौजूद अवस्थापना का सद्उपयोग पी.पी.किट, मास्क, एन-95 मास्क वेंटीलेटर व अन्य मेडिकल उपकरण का निमार्ण किया।आज जबकि पूरी दुनिया कोविड- 19 का प्रकोप झेल रही है , एसे में करोना मरीजों के इलाज के लिए पी.पी.किट, मास्क, वेंटीलेटर की मांग बढ जाना स्वाभाविक है।मांग के अनुरुप इसकी आपूर्ति देश ही नहीं बल्कि वैश्विक बाजार में भी  आवाश्यकता को ध्यान में रखकर चीन के मुकाबले भारत भी निर्यात के लिए अवसर का लाभ उठाने की रणनीति बनाकर प्रयास करे तो बडा अवसर है।

देश में मौजूद सिक यूनिट्स की समीक्षा करते हुए उनकी ग्राह्यता पर विचार किया जाए। इनकी भूमि का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, इस पर भी फोकस किया जाए।देश में फार्मा सेक्टर में अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। अतः इस पर पूरा ध्यान दिया जाए। उद्योगों को पुनः चालू करने के लिए वित्तीय व्यवस्थाओं पर भी फोकस करना होगा। जहां पर कोविड-19 का प्रकोप नहीं है वहां पर मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को फिर से चालू करने के लिए एक प्रभावी योजना बनायी जाए।मौजूदा उद्योगों के लिए भारत सरकार की योजनाओं के तहत उन्हें अधिक से अधिक लाभान्वित करने की योजना पर विचार कर चालू करने के लिए नियमों में छूट दे।भारत सरकार और बैंकों से उद्योगों को ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए समन्वय स्थापित करना आवश्यक होगा। उद्योगों के पुनर्संचालन के लिए एम0एस0एम0ई0 सेक्टर पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके लिए उनसे सम्बन्धित टैक्स एण्ड काॅम्प्लायेन्सेज/एप्रूवल्स के इश्यूज का प्रभावी समाधान करना होगा। उनके फाइनेंशियल और लिक्विडिटी से सम्बन्धित इश्यूज का भी समाधान करना होगा। इसके अलावा, आॅपरेशनल एण्ड पाॅलिसी रिलेटेड इश्यूज का भी समाधान सुनिश्चित करना होगा। उनके निर्यात सम्बन्धी मुद्दों को भी हल करना होगा। वर्तमान परिस्थितियों में देश में नया निवेश आने की प्रबल सम्भावनाएं मौजूद हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन्हें आकर्षित करने के लिए रणनीति बनायी जानी आवश्यक है।वैश्विक परिस्थितियों में भारत अब निवेश का एक अच्छा गंतव्य हो सकता है।निवेशकों को यह संदेश मिलना चाहिए कि देश में निवेश बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। सभी निवेशकों की समस्याओं का त्वरित निदान सुनिश्चित किया जाए। मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को सक्रिय करने, प्रस्तावित इकाइयों को धरातल पर उतारने और नये निवेश को आकर्षित करने के लिए रणनीति बनायी जाए। बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में लाॅक डाउन के बाद रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का शानदार मौका मिल सकता है।दुनियां भर के निवेशकों को भारत में प्रशिक्षत लाखों युवाओं को  सुविधा उपलब्ध होती है। रोजगार अथवा स्वरोजगार के माध्यम से आर्थिक स्वावलम्बन के लिए युवाओं को ‘युवा हब’ के माध्यम से भी ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराए जाने के लिए एम0एस0एम0ई0 और ओ0डी0ओ0पी0 के तहत रोजगार सृजन की व्यापक सम्भावनाएं हैं। इनके माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। नया माल खरीदने के लिए आज उनके पास पूंजी उपलब्ध नहीं है। तुलना में बड़े उद्योगों की स्थिति अलग होती है। ऐसी इकाइयों को आकर्षित करने के लिए जो नीति बनायी जाए, उसमें इनके लिए प्रोत्साहन पर विशेष बल दिया जाए। प्रशिक्षण के साथ-साथ उत्पादों की गुणवत्ता और उनकी मार्केटिंग को वैश्विक  स्तर पर सुनिश्चित किए जाने के लिए डिजाइनिंग और ब्राण्डिंग करते हुए उत्पादों को प्रतिस्पद्र्धा के आधार पर बाजार उपलब्ध कराए जाएं।लाॅक डाउन के बाद युवाओं को लोन मेला और रोजगार मेला लगाकर  नवीन संस्थान के लिए लोन सरलता से उपलब्ध होना आवाश्यक है । भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था से गहरे रूप में जुड़ा हुआ है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बदलावों का प्रभाव उस पर भी पड़ना स्वाभाविक है। भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि बदलती दुनिया में आर्थिक शक्ति के रूप में एशिया में चीन से हमारा मुकाबला रहेगा। देश के सामने मौजूद चुनौतियों का सामना करने का सामर्थ है। मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को सक्रिय करने , प्रस्तावित इकाइयों को धरातल पर उतारने और नये निवेश को आकर्षित करने के लिए रणनीति बना कर ठोस प्रयास करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में देश का एकीकरण प्रभावशाली आर्थिक विकास के साथ कदमताल कर सकेगा। महामारी में लॉकडाउन की जटिलताओं के संकटकाल में नि:संदेह ऐसी जीवट निष्ठा व उत्साह का जज्बा कितना बड़ा हो सकता है। तमाम चुनौतियां भी हारती नजर आएंगी।

-सुरेंद्र अग्निहोत्री

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ललितपुर (उ0प्र0) मे जन्म, बी.ए., फिल्म एप्रीशियेशन कोर्स तक शिक्षा. प्रकाशनः कहानी, बालकहानी, बाल नाटक, व्यंग, कविताऐें तथा फीचर्स एवं राजनैतिक तथा सामाजिक रिपोर्ट. धर्मयुग, नवनीत, मनोरमा, सुलभ इण्डिया, उत्तर प्रदेश मासिक, हैलो हिन्दुस्तान, लोकमाया, अभय छत्तीसग़ढ, इतवारी पत्रिका, हिमप्रस्त, इस्पात भारती, सुगंध, प्रेरणा, प्रगति वार्ता, गुजंन, डायलोग इण्डिया, शुक्रवार, लोकायत, मध्यप्रदेश सन्देश, मड़ई, हरियाणा संवाद, प्रथम इम्पेक्ट, इण्डिया न्यूज, बुमेन ऑन टाप, प्रगति वार्ता, जागृति इण्डिया,विचारसाराशं, सार्त, मधुरिमा; रचनाकार आदि पत्रिकाओं के साथ नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक ट्रव्यून, पंजाब केसरी, नवज्योति, दो बन्धु, नवभारत, लोकमत, पूर्वाचंल प्रहरी, गांडीव, रांची एक्सप्रेस, प्रभात खबर, चौथी दुनिया, सन्डेमेल, महामेधा, आचरण, दैनिक कौसर, प्रातःकाल, श्री इण्डिया, जनप्रिय, भारतरंग टाइम्स, सत्तासुधार आदि में प्रकाशन। कृतियाँ : उ0प्र0 सिनेमा से सरोकार हंसवाहिनी पत्रकारिता पुरस्कार से इलाहाबाद में सम्मानित रामेश्वरम हिन्दी पत्रकारिता पुरस्कार 2007 से सम्मानित सम्प्रतिः लखनऊ ब्यूरो प्रमुख, दैनिक भास्कर झांसी/ नोएडा। सम्पर्कः राजसदन 120/132 बेलदारी लेन, लालबाग, लखनऊ। मोबाइलः 9415508695, 05222200134

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