वोटबैंक के खेल मे, राजा भैया जेल मे ?

raja bhaiyaकुंडा (प्रतापगढ़) के डीएसपी की हत्या का जिस तरह से सांप्रदायिक करण करके इसमे राजा भैया को  फंसाया जा रहा है उससे मुलायम और अखिलेश का दोगला चरित्र फिर से सामने है, और ये साबित करता है इन पिता पुत्र की जोड़ी को मुस्लिमो के वोटों से ज्यादा किसी की फिकर नहीं, वरना अपने ही विस्वस्थ साथी को अकारण ही बीच मे छोड़ कर भागते नहीं बल्कि उसका साथ देते, क्योंकि अभी तक ना तो डीएसपी की पत्नी और ना ही किसी पुलिस वाले ने ही राजा भैया की डीएसपी से कोई व्यक्तिगत शत्रुता की बात की है, और ना ही ऐसे कारण ही बताए है जिससे की राजा पर डीएसपी की हत्या का षड्यंत्र रचने का संदेह ही हो, जबकि डीएसपी साहब का गनर खुद मुस्लिम था और भीड़ से अपनी जान बचा कर भाग गया था, इसतरह अनायास ही किसी की हत्या करवा देने से आखिर राजा भैया को क्या हासिल हो सकता था और बिना किसी मतलब के तो जानवर भी किसी का शिकार नहीं करते जबकि राजा भैया तो लोकतान्त्रिक तरीके से चुने गए एक जनप्रतिनिधि हैं जिसे लोग भय से नहीं बल्कि स्वेक्षा से न सिर्फ चुनते हैं सम्मान भी करते हैं, हाँ उनका नाम लेकर और अपने को उनका खासमखास बता कर अपना उल्लू सीधा करने वालों की भी कमी नहीं है प्रतापगढ़ मे जिसकी राजा को खबर ही नहीं होती, उन्हे जो भी करीब से जानता है वो उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुनना चाहता आखिर क्यों??? कुछ तो खूबियाँ होंगी…जितनी अफवाहें मीडिया ने उनके खिलाफ फैलाई हैं अगर उनमे से 2-4 भी सही होती तो वो जेल से कभी बाहर ना होते…..

यूपी के चुनाव मे ठाकुर वर्ग सिर्फ राजा भैया की वजह से ही बीजेपी छोडकर सपा से जुड़ा था जिससे सपा आज सत्ता मे है किन्तु राजा भैया और अमर सिंह का हाल देखकर इसवर्ग को दुबारा सोचना पड़ेगा क्योंकि सपा उस मुलायम की पार्टी है जिसने अयोध्या मे हजारों निहत्थे निर्दोष हिन्दुवों को सिर्फ मुस्लिम वोटो के लिए मरवा दिया था इतनी हत्याए तो सायद जनरल डायर ने भी जालियावाला भाग मे नहीं की थी, किन्तु आज ये सबसे बड़े सेकुलर हैं, जबकि गुजरात मे आपसी दंगों मे लोग मारे गए जिसमे हिन्दू मुस्लिम दोनों थे पर उसके लिए नरेंद्र मोदी दोषी और सबसे बड़े सांप्रदायिक हैं।

अगर हम ऐसे सेकुलरों पर भरोसा करेंगे जो आजम खान जैसे कट्टरपंथी मुस्लिम (जो भारत माता को भी गाली देता है) के कहने पर अमर सिंह जैसे लोगों को पार्टी से बाहर कर देता है राजा भैया को फर्जी केश मे फँसाने की पूरी तैयारी कर लेता है,एक मुस्लिम डीएसपी की मौत पर 5 नौकरी और 50 लाख रुपए जबकि दुश्मन की गोली छाती पर खाने वाले और देश के लिए अपना सिर तक गवां देने वाले वीर सिपाही हेमराज के घर जाने मे 6 दिन लगाने वाले हमारे सीएम साहब जो मुस्लिम तुष्टिकरन मे अपने पिता जी से भी दो हांथ आगे निकल चुके हैं……तो आने वाले दिनो मे हमे और दुर्दशा के लिए तैयार रहना चाहिए जिसतरह साल भर के सपा कार्यकाल मे दंगे हुये और हर सरकारी योजना मे हिन्दुवों के साथ भेदभाव हो रहा है उसे देखकर भी अगर हिन्दू बिखरे रहे और एक वोटबैंक के रूप मे इकट्ठे नहीं हुये तो सायद भविष्य मे यूपी से उन्हे कहीं और पलायन के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

 

कुंडा (प्रतापगढ़) के डीएसपी की हत्या का जिस तरह से सांप्रदायिक करण करके इसमे राजा भैया को  फंसाया जा रहा है उससे मुलायम और अखिलेश का दोगला चरित्र फिर से सामने है, और ये साबित करता है इन पिता पुत्र की जोड़ी को मुस्लिमो के वोटों से ज्यादा किसी की फिकर नहीं, वरना अपने ही विस्वस्थ साथी को अकारण ही बीच मे छोड़ कर भागते नहीं बल्कि उसका साथ देते, क्योंकि अभी तक ना तो डीएसपी की पत्नी और ना ही किसी पुलिस वाले ने ही राजा भैया की डीएसपी से कोई व्यक्तिगत शत्रुता की बात की है, और ना ही ऐसे कारण ही बताए है जिससे की राजा पर डीएसपी की हत्या का षड्यंत्र रचने का संदेह ही हो, जबकि डीएसपी साहब का गनर खुद मुस्लिम था और भीड़ से अपनी जान बचा कर भाग गया था, इसतरह अनायास ही किसी की हत्या करवा देने से आखिर राजा भैया को क्या हासिल हो सकता था और बिना किसी मतलब के तो जानवर भी किसी का शिकार नहीं करते जबकि राजा भैया तो लोकतान्त्रिक तरीके से चुने गए एक जनप्रतिनिधि हैं जिसे लोग भय से नहीं बल्कि स्वेक्षा से न सिर्फ चुनते हैं सम्मान भी करते हैं, हाँ उनका नाम लेकर और अपने को उनका खासमखास बता कर अपना उल्लू सीधा करने वालों की भी कमी नहीं है प्रतापगढ़ मे जिसकी राजा को खबर ही नहीं होती, उन्हे जो भी करीब से जानता है वो उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुनना चाहता आखिर क्यों??? कुछ तो खूबियाँ होंगी…जितनी अफवाहें मीडिया ने उनके खिलाफ फैलाई हैं अगर उनमे से 2-4 भी सही होती तो वो जेल से कभी बाहर ना होते…..

यूपी के चुनाव मे ठाकुर वर्ग सिर्फ राजा भैया की वजह से ही बीजेपी छोडकर सपा से जुड़ा था जिससे सपा आज सत्ता मे है किन्तु राजा भैया और अमर सिंह का हाल देखकर इसवर्ग को दुबारा सोचना पड़ेगा क्योंकि सपा उस मुलायम की पार्टी है जिसने अयोध्या मे हजारों निहत्थे निर्दोष हिन्दुवों को सिर्फ मुस्लिम वोटो के लिए मरवा दिया था इतनी हत्याए तो सायद जनरल डायर ने भी जालियावाला भाग मे नहीं की थी, किन्तु आज ये सबसे बड़े सेकुलर हैं, जबकि गुजरात मे आपसी दंगों मे लोग मारे गए जिसमे हिन्दू मुस्लिम दोनों थे पर उसके लिए नरेंद्र मोदी दोषी और सबसे बड़े सांप्रदायिक हैं।

अगर हम ऐसे सेकुलरों पर भरोसा करेंगे जो आजम खान जैसे कट्टरपंथी मुस्लिम (जो भारत माता को भी गाली देता है) के कहने पर अमर सिंह जैसे लोगों को पार्टी से बाहर कर देता है राजा भैया को फर्जी केश मे फँसाने की पूरी तैयारी कर लेता है,एक मुस्लिम डीएसपी की मौत पर 5 नौकरी और 50 लाख रुपए जबकि दुश्मन की गोली छाती पर खाने वाले और देश के लिए अपना सिर तक गवां देने वाले वीर सिपाही हेमराज के घर जाने मे 6 दिन लगाने वाले हमारे सीएम साहब जो मुस्लिम तुष्टिकरन मे अपने पिता जी से भी दो हांथ आगे निकल चुके हैं……तो आने वाले दिनो मे हमे और दुर्दशा के लिए तैयार रहना चाहिए जिसतरह साल भर के सपा कार्यकाल मे दंगे हुये और हर सरकारी योजना मे हिन्दुवों के साथ भेदभाव हो रहा है उसे देखकर भी अगर हिन्दू बिखरे रहे और एक वोटबैंक के रूप मे इकट्ठे नहीं हुये तो सायद भविष्य मे यूपी से उन्हे कहीं और पलायन के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

 

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