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चलाचल-चलाचल जिंदगी के सफर में…. - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. शंकर सुवन सिंह जिंदगी घिरी,शैलाभों और चट्टानों से|ऐ जिंदगी फिर डरना क्या,आँधियों और तूफानों से||विचार शून्य हो,भाव भक्ति का हो|तो भगवान् हम सफर है,भक्त के सफर में||चलाचल-चलाचल जिंदगी के सफर में,हम सफर है तो सफर से क्या डरना||खंजर की क्या मजाल कि तेरे अरमानो को कुचल दे|.अरमान ही क्या…