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जीवन का अधूरापन - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मुझे याद है प्रिय शादी के बाद तुमदूर-बहुत दूर थीमैं तुम्हारे वियोग मेंदो साल तकअकेला रहा हॅू।बड़ी शिद्दत केबाद तुम आयी थीतुम्हारे साथ रहतेतब दिशायें मुझेकाटती थी औरतुम अपनी धुन मेंमुझसे विलग थी।तुम्हारा पास होनाअक्सर मुझे बताताजैसे जमीन-आसमानगले मिलने को है।मैंने महसूस कियादिशायें दूर बहुत दूरअसीम तक पहुंच गई है।तुम…