‘इंडिया अंगेस्ट करप्‍शन मूवमेंट’

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सतीश सिंह

सच कहा जाए तो आज नेता, नौकरशाह, पुलिस, न्यायधीश, बाबू, चपरासी सभी भ्रष्टाचार के पंक पयोधि में आकंठ डूबे हुए हैं। जिसको जहाँ मौका मिल रहा है वह वहीं बहती गंगा में हाथ धो रहा है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आज वही ईमानदार है जिसको भ्रष्टाचार करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने हाल ही में राजस्थान के जोधपुर जिले के जिलाधीश कार्यालय का अंकेक्षण किया था। अंकेक्षण रिपोर्ट के खुलासे से पता चलता है कि गरीबों को न्यूनतम वेतन देने के मकसद से शुरु की गई महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के धन से गरीबों के घर में चूल्हे तो नहीं जल पा रहे हैं, किन्तु जिलाधिकारी के घर का अवष्य रंग-रोगन और सजावट किया जा रहा है।

अंकेक्षण रिर्पोट के मुताबिक मनरेगा के पैसे से जिलाधिकारी के घर में 66 हजार रुपयों का फर्नीचर, गद्दे और इनवर्टर इत्यादि लगाये गए। मनरेगा के लिए अनुबंध पर किराये से लिया गया वाहन पूरे साल जिलाधिकारी की सेवा में लगा रहा। मनरेगा में उपयोग के लिए कम्प्यूटर खरीदे गए पर वे कलेक्टर के बंगले की शोभा बढ़ाते रहे।

भ्रष्टाचार के बरक्स ही भारतीय जनता पार्टी ने यूपीए सरकार पर आरोप लगाया है कि स्विट्जरलैंड अपने देश के बैंकों में भारतीय नागरिकों के बेनामी खातों में जमा रकम की जानकारी देना चाहता है, पर भारत सरकार ही इसके लिए तैयार नहीं है।

इस संबंध में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री शांता कुमार का कहना है कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में बेनामी खातों में जमा रकम की जानकारी देने के बाबत सन् 2003 में एक संधि पर हस्ताक्षर संयुक्त राष्ट्र संघ में किया गया था। 140 देषों में भारत भी शामिल था। 126 देषों ने तो इसकी पुष्टि कर दी है पर भारत ने अब तक ऐसा नहीं किया है।

दोषी इसके लिए कोई भी हो, लेकिन इतना तो हम मान ही सकते हैं कि जिस देश में 26 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं और 77 करोड़ लोगों की दैनिक आमदनी 20 रुपए से कम है, उस देश का यदि 70 लाख करोड़ रुपए का काला धन स्विस बैंक में रखा हुआ है तो उसे हम दुर्भाग्यपूर्ण ही कह सकते हैं।

2 जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ गेम्स, आदर्श हाऊसिंग सोसाइटी, मनी मैटर्स बैकिंग जैसे घोटालों ने सन् 2010 में हमारे देश की साख पर ऐसी कालिख मली है जिसका धूलना शायद संभव नहीं है।

2 जी स्पेक्ट्रम के मामले में विपक्ष के द्वारा संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग को लेकर संसद में लगातार गतिरोध जारी है। इस गतिरोध से देश को प्रति दिन कितना नुकसान हो रहा है इसका अंदाजा लगाना एक आम आदमी के वश में नहीं है। इस मामले में यह विडम्बना की बात है कि जो नुकसान की व्यापकता को समझने में समर्थ हैं, उनके तरफ से इस गतिरोध को दूर करने करने के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।

फिर भी आष्चर्यजनक रुप से 2 जी स्पेक्ट्रम के मुख्य आरोपी और पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री श्री ए राजा का कहना है कि मेरे मौन को मेरा अपराध नहीं माना जाए। भले ही मीडिया ने मुझे दोषी करार दिया है, पर मैं निर्दोष हूँ। जिस एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये के घोटले की बात की जा रही वह पूर्ण रुप से काल्पनिक है।

दरअसल भ्रष्टाचार का रोग हमारे देश के हर प्रांत, हर शहर में परत दर परत पेवस्त हो चुका है। आज कॉरपोरेट जगत सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार में लिप्त है। स्थिति इतनी अनियंत्रित हो चुकी है कि सरकार पर भी ये घराने हावी हैं। कॉरपोरेट घरानों के सामने सरकार लगभग विवश दिख रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो फिर से देश में ईस्ट इंडिया कंपनी जैसी स्थिति बरकरार हो गई है। ‘क्रोनी कैपिटिल्जम’ की संकल्पना धीरे-धीरे यहाँ भी पनप रही है। अब यहाँ भी दक्षिण अमेरिकी देशों की तरह चंद कंपनियाँ शासन चला रही हैं।

कॉरपोरेट पावर के सामने शरद पवार जैसे दिग्गज नेता की हालत पतली हो गई है। अपने बयान में वे बार-बार कॉरपोरेट घरानों की वकालत कर रहे हैं।

तुर्रा है कि यह सारा खेल विकास की आड़ में चल रहा है। इस माहौल में नीरा राडिया जैसे दलाल और मनी मैटर्स जैसे सिंडिकेटरों की खूब चांदी है।

आज पूरा देश भ्रष्टाचार की आग में जल रहा है। बदतर हालत की वजह से ही एक जनसभा को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक गुरु श्री रविषंकर महाराज जी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जनयुध्द छेड़ने की जरुरत है।

देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी श्रीमती किरणबेदी का भी मानना है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध अलग-अलग आवाज उठाने के बजाए इसे एक आंदोलन का रुप देने की आवश्‍यकता है। ‘इंडिया अंगेस्ट करप्‍शन मूवमेंट’ भ्रष्टाचार को समाप्त करने का विकल्प हो सकता है।

राजग के संयोजक और जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता श्री शरद यादव मानते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को गांव-गांव तक ले जाने के लिए सभी दलों को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन तो अभी नहीं शुरु हुआ है, पर इसकी सुगबुगाहट तो हम महसूस जरुर कर सकते हैं। बस सरकार की तरफ से पहल की आवश्‍यकता है। कॉमनवेल्थ घोटाले की जांच कर रही सीबीआई एलआर स्व्टि्जरलैंड भेजने वाली है। इतना ही नहीं सीबीआई की गाज जल्द ही डीडीए, दिल्ली सरकार और एमसीडी पर भी गिरने वाली है। नोयडा भूमि आंवटन में नीरा यादव को 4 साल की सजा सुनाई गई है। जबकि नीरा के भ्रष्टाचार का दायरा सर्वदलीय रहा था। साथ ही आईएसए अधिकारियों का भी उनको जबर्दस्त समर्थन प्राप्त था।

बिहार में तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरु भी हो चुका है। सुशासन और अपने बेहतर कार्य-कलाप की कारण दुबारा सत्ता में आने के पश्‍चात् श्री नीतीश कुमार ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत भ्रष्टाचार को गहरी चोट पहुँचाते हुए की है। इस पारी के आरंभ में ही श्री कुमार ने 1 करोड़ रुपए के विधायक निधि को बंद करने से संबंधित विधेयक को सैंध्दातिक रुप से विधानसभा में पारित करवा दिया है।

बिहार अनादिकाल से ही आंदोलन की अगुआई करने में हमेषा आगे रहा है। इस बार भी बिहार भ्रष्टाचार को खत्म करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाकर पूरे देश के समक्ष एक नजीर प्रस्तुत करना चाहता है। अपने भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरु किये गये मुहिम के तहत नीतीश सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई आरंभ कर दी है। 11 दिसबंर को निगरानी विभाग के विशेष कोर्ट ने पूर्व मोटर यान निरीक्षक रघुवंश कुंवर की 45 लाख की संपत्ति को जब्त करके उसमें स्कूल खोलने की प्रक्रिया शुरु कर दी है।

नीतीश सरकार ने 2009 में अपनी पहली पारी के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से संबंधित कानून बनाकर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने उक्त कानून को अपनी मंजूरी मार्च 2010 में ही दे दी थी। इस कानून के अंतगर्त भ्रष्टाचार करने वाले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की आय से अधिक अर्जित संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान है। नीतीश सरकार की मंशा जब्त बंगलों में स्कूल खोलने की है।

अपनी नई पारी में नीतीश कुमार यह भी चाहते हैं कि ‘सेवा के अधिकार’ को कानून बनाया जाए। आगामी बजट सत्र में श्री कुमार अपने इस विचार को अमलीजामा पहना सकते हैं। श्री कुमार का मानना है कि सरकार को दी जाने वाली सेवाओं में लालफीतारशाही और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ‘सेवा के अधिकार’ को कानून बनाना जरुरी है।

इस कानून के बनने के बाद आय प्रमाण पत्र प्राप्त करने, बिल जमा करने, परिवहन विभाग से संबंधित सेवा प्राप्त करने या राज्य सरकार से किसी भी तरह की अन्यान्य सेवाओं को प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर संबंधित कर्मचारी या अधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी और उनके लापरवाही के अनुपात के अनुसार उनको दंडित भी किया जाएगा।

भ्रष्टाचार का रोग हमारे देश के हर प्रांत, हर शहर में परत दर परत पेवस्त हो चुका है। बावजूद इसके आरटीआई को ग्रासरुट लेवल तक ले जाकर काफी हद तक भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसा जा सकता है। आरटीआई को ग्रासरुट लेवल ले जाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले श्री अरविंद केजरीवाल ने लोकपाल बिल भी ड्राप्ट किया है।

इस बिल को ड्राफ्ट करने के पीछे मूल कारण सीबीआई का असफल होना है। दरअसल सीबीआई का बेजा इस्तेमाल करने के अनेकानेक मामले सामने आ चुके हैं। सीवीसी एवं सीबीआई का भ्रष्टाचार निवारण विभाग का विलय लोकपाल में किया जाना चाहिए। लोकपाल को भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच और दोषियों को सजा देने का अधिकार हो तथा इसके लिए उसे किसी से अनुमति लेने की जरुरत भी न हो।

अफसोस की बात है कि वर्तमान संदर्भ में भ्रष्टाचार को जन-जीवन का एक हिस्सा मान लिया गया है। हम इसको अपना भाग्य मान चुके हैं, लेकिन कड़वा सच यह है कि हाथ-पर-हाथ रखकर हम किसी समस्या का समाधान नहीं पा सकते हैं।

6 COMMENTS

  1. सुचना का अधिकार वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ने में सर्वाधिक ससक्त हथियार है सूचनाएं मांगने पर यदि जन सुचना अधिकारी समय से सूचनाएं उपलब्ध नहीं करता है तो उस पर सख्त से सख्त कार्यवाही निर्धारित करना चाहिए.

  2. प्रवक्ता केवल इसी विषय पर चर्चा करवाएं। बहुत क्लिक मिलेंगे। और, और अधिक, प्रसिद्ध हो जाओगे।
    अभी, कुछ, विचार के लिए प्रस्तुत।
    भ्रष्टाचार के निम्न घटक पहलु है। (१) स्विस बॅंक अकेली ही नहीं है, कुछ दक्षिण अमरिकी बनाना रिपब्लिक पनामा, आर्जेंटिना…. इत्यादि भी इसको हवा दे रहे हैं। आपको दूसरा पासपोर्ट भी दे देंगे।UN O इसे कानून बना कर बंद करवा दे, इसकी मांगका आंदोलन चले।(सभी देशोंका साथ मिल जाएगा)
    (२अ)-जो, छुट पुट टिकट इत्यादि लेने समय होती है,(२आ) अफसर फाईल को बढाने के लिए, (२इ) पुलिस कोई काम के लिए, (२ई) ऐसे ही छोटे कामोके लिए —–जो दृश्य रूपसे चलता है, वैसा भ्रष्टाचार।
    (३) प्रादेशिक मंत्रालय से संबद्धित होता है, या छोटे बडे विभागोंसे जुडा होता है।
    (४) जो शासकीय, प्रशासनीय —मंत्री, (प्रधान मंत्री के सहायक और कार्यालय से) संबद्धित होता है।
    ***इसकी एनॅलोजी प्रदूषण (environmental pollution) के समान है।*** प्रवक्ता से बिनती की इस भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए, (कैसे आंदोलन कर के इसे नियमन किया जाए इस पर खुली बहस करवाएं।)***
    (क)देनेवाला भी और लेनेवाला भी समान रूपसे जिम्मेदार है।सारे देनेवाले प्रतिग्या लेकर बंद कर दे।(ख) बडे कार्यालयो के सामने सामुहिक धरना। (ग) छोटे डिजीटल-और विडियो- कॅमरे से चित्रांकित प्रमाण भी इसे घटाने में सहायता हो सकती है।(घ) प्रादेशिक शासन, और केंद्रीय शासन में “पार्दर्शिकता” की मांग/पूर्ति पर चुनाव लडनेवालों को मत देंगे”—ऐसी मतदाताओं की ओरसे मांग हो।(च) नरेंद्र मोदी इ गवर्नेंस करते हैं। वे ही सारे निर्णय स्वतः लेते हैं।मेरी जानकारी के अनुसार, उनके विभागीय मंत्री केवल क्रियान्वयन ही करते हैं, जिसका निर्णय मोदी ने किया होता है। इसमें निर्णय एक व्यक्ति की जिम्मेदारी पर होता है। मिलकर सोचिए। पार्टी राजनीति से उपर उठकर
    **इस भस्मासुरको समाप्त नहीं कर पाएंगे, तो महासत्ता सपना ही रह जाएगा।**
    प्रवक्ता खुली चर्चा करवाए। समस्या के हल के लिए।

  3. श्री सतीश जी ने भ्रष्टाचार के बार में सही तरीके से लिखा है. भ्रष्टाचार तो आजकल सामाजिक टैक्स बन गया है. हमारे देश में नियम उच्च अति उच्च शिक्षित लोग बनाते है जीने यह पता नहीं होता है की गुड और तेल थेली में मिलता है की बोतल में. नियम इतने ढीले और पेचीदे है की रोटी चोरी करने वाले को तो सजा होगी भले ही लाखो रुपए खर्च करने के बाद १०-१५ साल कोर्ट का निर्णय आये. किन्तु बड़ी मछली अरबो खरबों के घोटाले करने वाले खुले आम घुमते है.

  4. इन सब आकड़ों के बावजूद भी हमलोगों में से कुछ यह समझते हैं की भारत में केवल १%लोग भ्रष्ट हैं.मेरे अनुसार ये आंकड़े तो बर्फ शिला के सतह वाले आंकडें हैं यानि असल के १/११ या उससे भी कम.आपके इस कथन से मैं सहमत हूँ की आज भारत में इमानदार वही है जिसे भ्रष्टाचार का अवसर नहीं मिला..हो सकता है की अपवाद स्वरुप एक आध आदमी सचमुच में ईमानदार हो.

  5. Govt. Concessions for a Member of Parliament (MP)
    Monthly Salary :12,000/-
    Expense for Constitution per month : 10,000 /-
    Office expenditure per month : 14,000 /-
    Traveling concession (Rs.8 /-per km) : 48,000 /-
    (eg.For a visit from kerala to Delhi & return: 6000 km)
    Daily DA TA during parliament meets : 500/-day
    Charge for 1 class (A/C) in train: Free (For any number of times)
    (All over India )
    Charge for Business Class in flights : Free for 40 trips / year (With wife or P.A .)
    Rent for MP hostel at Delhi : Free
    Electricity costs at home : Free up to 50,000 units
    Local phone call charge : Free up to 1 ,70,000 calls.
    TOTAL expense for a MP [having no qualification] per year : 32,00,000 /- [ i.e. 2.66 lakh/month]
    TOTAL expense for 5 years : 1,60,00,000 /-
    For 534 MPs, the expense for 5 years : 8,54,40,00,000 /- (nearly 855 crores)

    AND THE PRIME MINISTER IS ASKING THE HIGHLY QUALIFIED, OUT PERFORMING CEOs TO CUT DOWN THEIR SALARIES…..

    अब आप हे बताइए की भ्रष्टाचार कहा से शुरू होगा और कहा जाकर ख़तम होगा जब हमारे दिए हुए शुल्क (टैक्स) को इस तरह से खर्च किया है

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