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विश्वगुरू के रूप में भारत-38 - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
राकेश कुमार आर्य   विकास और विनाश के इस खेल को भारत अपने देवासुर संग्राम की कहानियों के माध्यम से स्मरण रखता है और उसे इसीलिए बार-बार दोहराता है अर्थात ध्यान करता है कि यदि कहीं थोड़ी सी भी चूक हो गयी या हमने प्रमादपूर्ण शिथिलता का प्रदर्शन किया…