नई ऊंचाई की ओर भारत-ब्राजील द्विपक्षीय संबंध

योगेश कुमार गोयल

            पिछले दिनों भारत की चारदिवसीय यात्रा पर दिल्ली आए ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर मेसियस बोलसोनारो का भारत दौरा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को सक्रिय करने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। दोनों देश परस्पर निवेश बढ़ाने और अपराधिक मामलों में एक-दूसरे का सहयोग करने पर भी सहमत हुए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि बोलसोनारो की इस भारत यात्रा से भारत और ब्राजील के बीच सहयोग नई ऊंचाई पर पहुंचेगा और दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं व्यापारिक रिश्ते बेहतर होने के साथ दोनों के बीच कूटनीतिक संबंधों में भी गर्माहट आएगी तथा दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को एक एक्शन प्लान से और मजबूत बनाएंगे। भारत और ब्राजील के कूटनीतिक संबंधों में मजबूती इसलिए भी जरूरी है क्योंकि दोनों ही देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के मजबूत दावेदार हैं और दोनों एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं। वैसे संयुक्त राष्ट्र से बाहर भी भारत और ब्राजील के बीच विश्व व्यापार संगठन, जी-4, जी-20, ब्रिक्स सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय सोलर सहयोग संगठन इत्यादि कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अच्छा तालमेल देखा गया है और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दोनों एक-दूसरे के सामरिक साझेदार भी हैं। दोनों देशों ने इस मुलाकात के दौरान आर्थिक सुस्ती के मद्देनजर व्यापार वृद्धि को रफ्तार देने के लिए जिस महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है, उसके तहत वर्ष 2022 तक द्विपक्षीय व्यापार को 15 अरब डॉलर तक पहुंचाने और तेल, गैस तथा खनिज क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। बोलसोनारो को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 71वें गणतंत्र दिवस की परेड में विशेष अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए गत वर्ष नवम्बर माह में ब्राजील के ब्रासीलिया में हुए 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान आमंत्रण दिया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया था। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी और बोलसोनारो के बीच दो बार मुलाकात हुई थी।

            1 जनवरी 2019 को ब्राजील के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने वाले बोलसोनारो ने अक्तूबर 2018 में हुए चुनावों में 55.1 फीसदी मत हासिल किए थे और उन्हें अनेक विवादों से जुड़े रहने के साथ-साथ ब्राजील में सैन्य सुधारों के कई फैसले लेने के लिए भी जाना जाता है। विरोधी उन्हें ‘ब्राजील का हिटलर’ जबकि बहुत सारे अन्य लोग ‘ब्राजील का ट्रंप’ (ट्रंप ऑफ ट्रॉपिक्स) भी कहते हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति बनने के बाद बोलसोनारो का यह पहला राजकीय भारत दौरा था और उनके साथ उनकी कैबिनेट के आठ मंत्री तथा एक बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद उनकी यह पहली अधिकारिक विदेश यात्रा थी। उनसे पहले वर्ष 1996 तथा 2004 में गणतंत्र दिवस परेड में भी ब्राजील के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि रह चुके हैं। 1996 में फर्नांडो हेनरिक कारडोसो तथा 2004 में लुइस इनासियो लुला दा सिल्वा भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे। अक्तूबर 2016 में ब्राजील के तत्कालीन राष्ट्रपति मिशेल टेमर भी गोवा में आठवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारत आए थे और उनके उस भारत दौरे के तीन वर्ष से भी अधिक समय बाद ब्राजील का कोई राष्ट्रपति भारत का मेहमान बनकर यहां पहुंचा।

            ब्राजील लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा देश और दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत और ब्राजील एक घनिष्ठ और बहुआयामी संबंध साझा करते हैं और हमारे द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के सामान्य वैश्विक दृष्टिकोण, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु प्रतिबद्धता पर आधारित हैं। हालांकि भारत और ब्राजील के बीच रिश्तों की शुरूआत 16वीं शताब्दी की शुरूआत में हुई मानी जाती है लेकिन दोनों के बीच कूटनीतिक संबंधों की बात की जाए तो ये संबंध 1948 में उस समय स्थापित हुए, जब भारत ने ब्राजील की राजधानी रियो द जेनेरियो में अपना दूतावास खोला था। भारतीय दूतावास को अगस्त 1971 में ब्रासीलिया में स्थानांतरित कर दिया गया था। कुछ वर्षों पहले तक भारत और ब्राजील के संबंध ठीक नहीं थे। दरअसल वर्ष 1961 में गोवा के पुर्तगाल से मुक्त होने पर जब ब्राजील द्वारा भारत के ‘ऑपरेशन विजय’ का विरोध किया गया था तो दोनों के आपसी संबंधों में बर्फ जम गई थी। दरअसल पुर्तगाल से अपने ऐतिहासिक रिश्तों के कारण ब्राजील गोवा में पुर्तगाल की मौजूदगी को सही ठहराता था। इसीलिए उसका तर्क था कि भारत ने वहां सैन्य कार्रवाई करके अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। दोनों के रिश्तों पर जमी यह बर्फ उस दौरान पिघलनी शुुरू हुई, जब पहली बार 1996 में ब्राजील के तत्कालीन राष्ट्रपति फर्नांडो हेनरिक कारडोसो भारत के विशेष मेहमान बनकर गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए।

            प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह वर्ष 2006 में चार दिवसीय दौरे पर ब्राजील गए थे और उस समय कोई भारतीय प्रधानमंत्री पूरे 38 वर्षों के बेहद लंबे अंतराल के बाद ब्राजील गया था। सही मायनों में उसके बाद ही भारत-ब्राजील संबंधों में घनिष्ठता के दौर की शुरूआत हुई थी और दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी। हालांकि दोनों के संबंध एक बार फिर वर्ष 2009 में उस समय खराब हुए, जब ब्राजील ने पाकिस्तान को लड़ाकू विमानों की मौजूदगी का पता लगाकर उन पर तुरंत हमला करने में सक्षम सौ ‘एमएआर-1’ एंटी रेडिएशन मिसाइलें बेचने का 85 मिलियन यूरो का सौदा किया था और भारत ने यह कहते हुए ब्राजील के उस कदम का विरोध किया था कि पाकिस्तान एक आतंकी देश है, जहां आतंकियों को ट्रेनिंग देकर दूसरी जगहों पर हमला करने के लिए भेजा जाता है, इसलिए उसे ऐसी मिसाइलें बेचा जाना उचित नहीं है लेकिन ब्राजील ने भारत की आपत्तियों को खारिज कर दिया था।

            बहरहाल, भारत और ब्राजील के संबंध पहले से बेहतर हुए हैं और ब्राजीली राजदूत आंद्रे अरान्हा कोरया डो लागो का कहना है कि दोनों देश सामरिक भागीदारी को और अधिक गतिशील बनाना चाहते हैं। बीते वर्षों में भारत आ चुके ब्राजील के राष्ट्रपतियों फर्नांडो हेनरिक कारडोसो, लुइस इनासियो लुला दा सिल्वा तथा मिशेल टेमर के विपरीत अपनी कट्टर विचारधारा के लिए विश्वविख्यात 64 वर्षीय बोलसोनारो की चारदिवसीय भारत यात्रा महत्वपूर्ण इसलिए मानी गई है क्योंकि इसके बाद दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी के लिए एक नई कार्ययोजना की शुरूआत होगी। गणतंत्र दिवस से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्राजीली राष्ट्रपति बोलसोनारो के बीच हुई मुलाकात के दौरान ‘मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग’ (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत दोनों देशों के बीच कुल 15 महत्वपूर्ण समझौते हुए. जिनमें स्वास्थ्य, जैव ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, भू-गर्भ, तेल और गैस, खनन व साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने सहित दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्र भी शामिल हैं। इन समझौतों के बाद राष्ट्रपति बोलसोनारो का कहना था कि उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों पर काम करते हुए भारत-ब्राजील संबंधों को और मजबूत किया है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि भारत के आर्थिक विकास में ब्राजील एक मूल्यवान सहयोगी है और भौगोलिक दूरी के बावजूद दोनों देश विश्व के अनंक मंचों पर साथ हैं तथा विकास में एक-दूसरे के महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ब्राजील को मुख्य रूप से कृषि रसायन, सिंथेटिक यार्न, ऑटोमोबाइल कलपुर्जे, फार्मास्युटिकल्स तथा पैट्रोलियम उत्पाद निर्यात करता है जबकि ब्राजील से कच्चा तेल, सोना, वनस्पति तेल, चीनी, थोक खनिज व अयस्क आयात किए जाते हैं। बहरहाल, जिस प्रकार दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के लिए सामरिक, रणनीतिक और व्यापारिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है, उसका स्वागत किया जाना चाहिए।

            दुनिया के इन दोनों बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच आपसी व्यापार की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं और इसे स्पष्ट करते हुए ब्राजीली राजदूत आंद्रे अरान्हा कोरया ने कहा भी है कि भारत और ब्राजील के पास एक-दूसरे से बहुत कुछ लेने और देने की संभावनाएं हैं क्योंकि दोनों ही बहुत तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाएं हैं। उनका कहना है कि दोनों के बीच फर्क सिर्फ यही है कि ब्राजील के पास भारत जितने उपभोक्ता नहीं हैं लेकिन संसाधन अपार हैं और इसलिए दोनों देश ऊर्जा, कृषि तथा सामरिक क्षेत्र में एक-दूसरे को बहुत कुछ दे सकते हैं। फिलहाल दोनों देशों के रणनीतिक, सामरिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक रिश्ते काफी मजबूत हैं और अगर दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों की बात की जाए तो वर्ष 2011 के बाद द्विपक्षीय व्यापार में काफी कमी देखी गई थी। जहां भारत-ब्राजील के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2011 में 11 अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा का था, वहीं यह 2016 तक घटते-घटते केवल 5.6 अरब डॉलर ही रह गया था लेकिन 2016 के बाद इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018-19 में दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार कुल 8.2 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा, जो उससे पिछले वर्ष के मुकाबले सात फीसदी ज्यादा था। इस द्विपक्षीय व्यापार में 21 करोड़ की आबादी वाले ब्राजील के लिए भारतीय निर्यात के रूप में 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर और भारत द्वारा आयात के रूप में 4.4 अरब डॉलर की हिस्सेदारी थी। भारतीय कम्पनियों द्वारा ब्राजील के आईटी सेक्टर, फार्मास्युटिकल, ऊर्जा, जैव ईंधन, ऑटोमोबाइल, कृषि-व्यवसाय, खनन तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों में करीब छह अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया है। हालांकि देखा जाए तो इसके अनुपात में ब्राजील द्वारा भारत में किया गया निवेश अभी तक काफी कम है लेकिन माना जा रहा है कि ब्राजीली राष्ट्रपति की चारदिवसीय भारत यात्रा के दौरान हुए समझौतों के बाद ब्राजीली कम्पनियों का भारत में निवेश आने वाले समय में काफी बढ़ेगा।

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