‘ मन्यु ‘ भाव से भरा भारतीय नेतृत्व

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राकेश कुमार आर्य
 हमारे ऋषियों ने  यह कहा है कि काम ,क्रोध, मद ,मोह और लोभ व्यक्ति के सबसे बड़े शत्रु हैं । क्रोध को सबसे बड़ा शत्रु स्वीकार करके भी हमारे ऋषियों ने ईश्वर से यह प्रार्थना की है कि  आप मन्युशील अर्थात क्रोधी हैं , मुझे भी मन्यु शील अर्थात क्रोधी बनाओ । यह बड़ी ही आश्चर्यजनक बात है कि हमारे ऋषि जहां क्रोध को मनुष्य के लिए शत्रु बताते हैं , वहीं वे मनुष्य से ही यह प्रार्थना करा रहे हैं कि आप हमें क्रोधी बनाएं ।मन्युशील बनाएं ।अर्थ बड़ा साफ़ है कि क्रोध मनुष्य की वह पागलपन की अवस्था है जिसमें वह अपना आपा खो देता है ,लेकिन मन्यु वह अवस्था है जिसमें मनुष्य क्रोधी होकर भी विवेकशील रहता है , और अपने शत्रु को उचित अनुपात में उसके किए की सजा देता है । अब तनिक उन क्षणों को स्मरण करें ,जब हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी हमारे 40 जवानों के शवों की परिक्रमा कर दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर उन्हें अपनी और समस्त देशवासियों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे । उस समय  काले वस्त्र पहनकर यह संकेत दिया कि मैं ही नहीं बल्कि सारा देश आज आप के लिए शोक मना रहा है । उन्होंने परिक्रमा लगाते समय हाथ जोड़कर जो भाव भंगिमा बना रखी थी उसे स्पष्ट था कि वह हाथ जोड़कर भी यही प्रार्थना कर रहे थे कि मैं आपके लिए ईश्वर को साक्षी मानकर यह सौगंध उठाता हूं कि आप के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दूंगा । यह संपूर्ण देश  अब मन्यु भाव से भर चुका है और पूर्ण विवेक और संयम बरतते हुए धैर्य पूर्ण अवस्था को प्राप्त कर हम पूर्ण पराक्रम के साथ आप के बलिदान का प्रतिशोध लेंगे । प्रधानमंत्री ने गंगा में जाकर प्रयाग संगम पर डुबकी लगाई  ,तो वहां पर भी उन्होंने नहाते समय काला कोट पहना । वहां पर भी उन्होंने यही संकेत दिया कि मैं शोक में हूं और हे गंगा माता  !  मुझे शोक से उबारने के लिए वह शक्ति दो कि मैं पूर्ण प्रतिशोध लेकर अपने अमर बलिदानों के रक्त का ऋण चुका सकूं ।आज प्रधानमंत्री मोदी ने इन दोनों जगहों पर लिया गया अपना प्रण पूर्ण करके दिखा दिया है । उनके विरोधियों को यह पता चल गया है कि मोदी 56 इंच की छाती नहीं रखते ,बल्कि वह 156 इंच की छाती रखते हैं ।आज उनके विरोधी भी स्वीकार कर रहे हैं कि यदि मोदी के स्थान पर कोई दूसरा प्रधानमंत्री होता तो इतना साहसिक निर्णय नहीं ले पाता । सारा देश मन्युभाव से प्रेरित होकर आज तेजस्वी राष्ट्रवाद के गुण गा रहा है । तेजस्वी नेतृत्व की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहा है। देश को लगा है कि हम सचमुच संसार में अपना अस्तित्व रखते हैं और आत्मसम्मान हमारे लिए सबसे बड़ी चीज है। मोदी ने एक झटके में अपनी ही पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के समय में देश के हुए उस अपमान का बदला ले लिया है जब हमें मसूद अजहर को अफगानिस्तान में जाकर आतंकवादियों को सौंपना पड़ा था।मन्युभाव से भरे भारतीय नेतृत्व के साहसिक निर्णय के चलते भारतीय वायु सेना ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया है ।वायु सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर 1000 किलो बम बरसाए हैं ।वायुसेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर जैश के नियंत्रण कक्ष को नष्ट कर यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारी सेनाओं को यदि स्पष्ट निर्देश देने वाला राजनीतिक नेतृत्व देश में बैठा हो तो वह किसी भी असंभव को संभव करने में सक्षम है । भारतीय राजनीतिक नेतृत्व और सेना के इस साहसिक निर्णय के पश्चात पाकिस्तान को अपनी नानी याद आ गई है । पिछले कई दशकों से वह जिस प्रकार भारत का खून पी रहा था और भारतवर्ष के भीतर अशांति फैलाता आ रहा था ,उसका एक ही झटके में प्रतिशोध ले लिया गया है । यद्यपि अभी लड़ाई केवल प्रारंभ हुई है, यह कितनी दूर और कितनी देर तक चलेगी  ? – यह कहना अभी संभव नहीं है।भारतीय वायु सेना के इस अदम्य साहस का परिचय नया नहीं है । भारत को जब भी आवश्यकता पड़ी है भारतीय वायु सेना ने अपने शौर्य से शत्रुओं के दांत खट्टे कर दिए हैं । भारतीय सेना ने स्वतंत्रताके ठीक पश्चात ही 1948 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था  । इसके बाद 1965, 1971, सियाचिन और फिर कारगिल में पाकिस्तान को युद्धक्षेत्र में धूल चटाई थी ।इसके बाद भी पाकिस्तान अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आता ।आतंकवाद को शह देने की बात हो या फिर चोरी छुपे परमाणु हथियार जुटाने की रणनीति, पाकिस्तान अब भी हमारे लिए खतरा है । लेकिन आज भारतीय सेना की ताकत ऐसी है कि वो किसी भी समय पाकिस्तान को मुंहतोड़ उत्तर दे सकती है ।भारतीय सेना की तैयारी ऐसी है कि शत्रु को संभलने का अवसर भी नहीं देगी । पुलवामा का प्रतिशोध लेने के लिए भारतीय वायुसेना ने अभी अभी जो कार्यवाही की है ,उसमें भी पाकिस्तान की वायुसेना ने हमारे 12 मिराज 2000 जहाजों का पीछा करने का प्रयास किया था , लेकिन हमारी शक्ति के सामने उन्होंने मौन रहना ही उचित समझा । आज पाकिस्तान यह भली प्रकार जानता है कि वह भारत के सामने सैन्य शक्ति में कहीं भी टिकता नहीं है ,उसे पता है कि भारतीय सेना में सैनिकों की संख्या करीब 13 लाख है , जबकि पाकिस्तानी सेना उससे लगभग आधी अर्थात साढ़े छह लाख है । भारतीय सेना की शक्ति उसके सैनिक तो हैं ही साथ ही उसके पास है एक बड़ी और मैकेनाइजाईड इंफेंट्री । इस ब्रिगेड में है भारतीय सेना के मैन बैटल टैंक अर्जुन और भीष्म ।भारत और पाकिस्तान की वायुसेना की तुलना इन आकड़ों से करें तो पाकिस्तान, भारतीय वायु सेना की शक्ति के आगे कहीं नहीं टिकता है । पाकिस्तान के पास 120 की संख्या में परमाणु हथियार हैं, वहीं इसके मुकाबले भारत के पास 130 परमाणु क्षमता से सुसज्जित हथियार हैं । पूरे रक्षा बजट से भारत और पाकिस्तान की तुलान करें तो पाकिस्तान, भारत से कहीं पीछे है ।भारत 2018-19 का रक्षा बजट 3.05 लाख करोड़ था , वहीं इस तुलना में पाकिस्कान का रक्षा बजट मजर 68,410 करोड़ का था ।दोनों देशों में एयर क्राफ्ट की तुलाना करें तो पाकिस्तान के पास 1281 एयरक्राफ्ट हैं, इसके मुकाबले भारत के पास 2158 एयरक्राफ्ट है ।पाकिस्तान के पास तीन हजार (3000) टैंक हैं , जबकि भारतीय सेना के पास करीब छह हजार टैंक (6000) हैं । जिसमें चार हजार (4000) आर्मड कैरियर और बीएमपी मशीन हैं ।शत्रु की सीमा में यदि ये टैंक प्रवेश कर जाएं तो इनकी गर्जना से ही शत्रु भाग खड़े होते हैं । 1965 के युद्ध में भारतीय सेना के टैंक पाकिस्तान के लाहौर तक पहुंच गए थे ।जिस-जिस क्षेत्र में टैंक जाते थे पाकिस्तानी सेना भाग खड़ी होती थी ।भारतीय सेना के पास सात हजार (7000) तोप हैं । इन तोपों में वे बोफोर्स तोप भी सम्मिलित हैं जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठिए और सैनिकों पर इतने गोले बरसाए कि शत्रु को मैदान छोड़कर भागना पड़ा ।।पाकिस्तान के पास बत्तीस सौ (3200) तोप हैं ।भारतीय सेना की कमांड और कोर जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और जोधपुर से लेकर नागालैंड के दीमापुर तक फैली हुईं हैं ।भारतीय सेना में 13 कोर हैं जिनमें से दो स्ट्राइक कोर हैं । ये स्ट्राईक कोर हीं युद्ध के समय शत्रु से लड़ने के लिए सीमाओं पर पहुंच जायेंगी । इन दोनों स्ट्राइक कोर मे लगभग 80 हजार सैनिक हैं जो शत्रु को मुंहतोड़ उत्तर देने लिए हर समय तत्पर रहते हैं ।भारतीय वायुसेना के सामने पाकिस्तान का कोई मुकाबला नहीं है । भारतीय वायुसेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है । चीन से भी बेहतर मानी जाने वाली भारतीय वायुसेना के पास एक लाख बीस हजार वायुसैनिक (1 लाख 20 हजार) हैं जबकि पाकिस्तान की क्षमता सिर्फ 45 हजार है ।भारतीय वायुसेना का गौरव हैं लड़ाकू विमान ।वायुसेना के लड़ाकू विमान में सबसे खतरनाक है 4.5 जेनरेशन विमान सुखोई ।सुखोई विमान भारत ने रूस से खरीदा है ।भारतीय वायुसेना के पास ऐसे लगभग 200 सुखोई विमान हैं ।इसके अतिरिक्त भारतीय वायुसेना की जंगी बेड़े में है मिराज, जगुआर, मिग-29 और मिग-27 बाईसन फाइटर एयरक्राफ्ट । अब भारत फ्रांस से लड़ाकू विमान रफाल का सौदा भी कर चुका है ।भारत के पास विश्व का सबसे बड़ा मिलेट्री विमान C-17 ग्लोबमास्टर भी भारतीय वायुसेना का अंग है ।भारत ने C-17 ग्लोबमास्टर अमेरिका से खरीदा है । भारतीय वायुसेना के पास C-130 J सुपर-हरक्युलिस, आईएल-76 और एएन-32 मालवाहक विमानों का बेड़ा भी है. ये मालवाहक विमान विश्व की सबसे उंची हवाई पट्टी दौलतबेग ओल्डी पर भी पहुंच सकते हैं ।  जो कि लद्धाख में चीनी सीमा पर है ।भारतीय वायुसेना के पास लगभग दो हजार (2000) लड़ाकू विमान हैं जिनमें ट्रैनिंग एयर क्राफ्ट भी सम्मिलित हैं. वहीं पाकिस्तानी वायुसेना के पास केवल नौ सौ ( 900) लड़ाकू विमान हैं । पाकिस्तानी सेना के मुख्य लड़ाकू विमान हैं अमेरिकी F-16 और मिराज. वायुसेना में हेलिकॉप्टर की भूमिका अति महत्वपूर्ण मानी जाती है । पाकिस्तानी वायुसेना के पास साढे तीन सौ (328) हेलिकॉप्टर हैं. जबकि भारतीय वायुसेना के पास लगभग 720 ऐसे हेलिकॉप्टर हैं जो युद्धक्षेत्र   में हथियार, रसद और सैनिकों को ठिकाने तक पहुंचाने मेंसहायता करते हैं । 1965 के युद्ध के बाद भारत ने अपनी वायुसेना को सुद्रढ़ करना आरम्भ कर दिया था ।ये प्रयास रंग लाया है ,और आज भारतीय वायुसेना किसी भी समय शत्रु पर हमले के लिए तैयार है ।पाकिस्तानी सेना भारतीय वायुसेना के सामने कहीं नहीं टिक पाती है। इसकी बानगी हाल ही में हुए बहरीन अंतर्राष्ट्रीय एयरशो में देखने को मिली । इस इंटरनेशनल एयरशो में भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के स्वेदशी निर्मित लड़ाकू विमानों को भाग लेना था । भारत की ओर से था लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तेजस और पाकिस्तान की ओर से था चीन की ओर से तैयार किया गया J-17. विश्व की दृष्टि इन दोनों विमानों के मुकाबले की ओर थी. पर अन्तिम क्षणों में  पाकिस्तान ने इस एयरशो से अपना नाम वापस ले लिया ।अब बात करते हैं भारतीय नौसेना की । समुद्र में शत्रु से लोहा लेना हो या उन पर नजर रखनी हो, भारत की नौ सेना हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है । पाकिस्तान ने 70 युद्धपोत समंदर में उतारे हैं ,जबकि उसके मुकाबले भारत के पास लगभग दो सौ (200) युद्धपोत हैं जो समुद्र में शत्रु पर कहर बरपा सकते हैं ।नौ सेना के पास दो-दो एयरक्राफ्ट कैरियर अर्थात विमान-वाहक युद्धपोत हैं । जिससे लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं । पाकिस्तान के पास एक भी एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है । भारत के अतिरिक्त अमेरिका और इटली ही ऐसे दो देश हैं जिनके पास एक से अधिक विमान-वाहक युद्धपोत हैं ।ये एयरक्राफ्ट कैरियर जब निकलते हैं तो समुद्र तटीय देशों के कान खड़े हो जाते हैं. क्योंकि इन पर तैनात होतें हैं घातक लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर.लगभग एक हजार (1000) किलोमीटर के परिक्षेत्र में शत्रु इनके पास फटकने का साहस तक नहीं करता ।भारतीय नौसेना के पास है लगभग 200 फिगेट्स और कॉर्विट्स जैसे युद्धपोत भारतीय नौसेना के पास हैं ।15 पनडुब्बी है और लगभग छह पनडुब्बी और तैयार हो रही हैं. जबकि पाकिस्तान के पास 8 पनड़ुब्बी है ।समुद्र में भारत की एक बड़ी शक्ति है आईएनएस चक्र परमाणु पनडुब्बी । इस पनडुब्बी से भारतीय नौसेना विश्व की उन चुनी हुई सेनाओं में सम्मिलित हो गई है जो समुद्र की गहराइयों में भी अपना वर्चस्व  रखती है ।आईएनएस चक्र के अतिरिक्त एक और परमाणु पनडुब्बी आइएनएस अरहिंत का परीक्षण चल रहा है ।साथ ही देश के अलग-अलग डॉकयार्ड में लगभग 200 और घातक युद्धपोत और 15 पनडुब्बियां तैयार हो रही हैं । इसके अतिरिक्त एक एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत अगले दो वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा. इसके मुकाबले में पाकिस्तान की नौसेना कहीं नहीं टिकती ।भारतीय सेना की एक बडी शक्ति हैं मिसाइल । भारतीय सेना के पास ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसी आधुनिक मिसाइलें हैं, वहीं पाकिस्तान के पास गौरी, शाहीन, गजनवी, हत्फ और बाबर जैसी मिसाइलें हैं । अग्नि 5 भारत की सबसे आधुनिक और घातक मिसाइल है । इस इंटर कॉन्टिनेटल बैलेस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है, जबकि बाबर की मारक क्षमता केवल 1,000 किलोमीटर है ।हाल ही में अमेरिकी संसद की एक रिसर्च रिपोर्ट ने सभी के कान खड़े कर दिए हैं ।रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के पास भारत से अधिक परमाणु हथियार हैं और उसके निशाने पर भारत ही है । पाकिस्तान ये भलीभांति जानता है कि पारंपरिक युद्ध में वह भारत से नहीं जीत सकता है । यही कारण है कि उसने भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध आरम्भ किया है ।भारत की चिंता ये भी है कि भविष्य में पाकिस्तान और चीन उसके विरुद्ध मोर्चाबंदी ना कर दें । इसीलिए कुछ महीने पहले भारतीय वायुसेना ने किया एक गोपनीय युद्धभ्यास  किया । भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर  एक साथ साझा युद्धाभ्यास लाइव वार किया था । जिसे अत्यंत ही गोपनीय ढंग से किया गया था। इस युद्धभ्यास में भारतीय वायुसेना ने अपनी पूरी क्षमता झोंक दी थी. लेकिन चीन की क्षमता को भारत के सामरिक-जानकार भी कम नहीं आंकना चाहते ।भारत के विरुद्ध पाकिस्तान ने छद्म युद्ध छेड़ रखा है । पाकिस्तान को इस बात का आभास है कि सीधे युद्ध में वह भारत का सामना नहीं कर सकता ।  इस प्रकार आसमान हो या जमीन या फिर समुद्र-  हर मोर्चे पर तैयार है  हमारी भारतीय सेना । इसकी तैयारी में निश्चित रूप से अब से पूर्व की सभी सरकारों का न्यूनाधिक सहयोग रहा है ।इस प्रकार पूर्व की सभी सरकारों को भी इसका श्रेय देना बहुत आवश्यक है । बस ,कमी एक ही बात की थी कि तेजस्वी राष्ट्रवाद को स्थापित कर उसके लिए प्राण पण से कार्य करने वाला राजनीतिक नेतृत्व हमारे पास नहीं था ।जिसे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्ण करके दिखाया है ।उनके नेतृत्व में संपूर्ण देश के भीतर जिस प्रकार का उत्साह संचरित हो रहा है ,यही वास्तविक नेता की पहचान होती है। उन्होंने वह कर दिखाया है जो इस देश के लिए दीर्घकाल से अपेक्षित और वांछित था । देश के विपक्ष और यहां तक की  असदुद्दीन ओवैसी के द्वारा भी जिस प्रकार की  एकता का भाव सरकार के साथ दिखाया गया है वह भी प्रशंसनीय है इसी प्रकार की राष्ट्रीय एकता के भाव के साथ ही शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते हैं सबको साथ लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है ।प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व बने अपने वर्तमान तेजस्वी राष्ट्रवाद  का जब हम गुणगान कर रहे हैं तो अपने सभी विपक्षी दलों के नेताओं के अपेक्षित सहयोग का भी अभिनंदन व नमन  कर रहे हैं । मां भारती सबका कल्याण करे ।

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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