सच्चाई को समझें भारतीय मुसलमान


सुरेश हिन्दुस्थानी
भारत के विभाजन के समय कट्टरपंथी मुसलमानों ने जिस प्रकार से पाकिस्तान का निर्माण किया, उसकी प्रतिध्वनि वर्तमान में पाकिस्तान में दिखाई दे रही है। अभी हाल ही में पाकिस्तान में जिस प्रकार से दबाव डालकर ईसाई समाज के लोगों को धर्मान्तरित करने का खेल खेला गया, उससे तो यही लगता है कि पाकिस्तान में रहने वाले मुसलमान किसी अन्य धर्म का सम्मान ही नहीं करते। यह बात सही है कि वर्तमान में समय में पाकिस्तान के नाम से पहचाने वाला देश पूर्व में भारत का ही हिस्सा रहा था। इसका मतलब स्पष्ट है कि पाकिस्तान में हिन्दू समाज भी निवास करता था। इसके अलावा सबसे बड़ा सत्य तो यह है कि भारत और पाकिस्तान में निवास करने वाले मुसलमान के पूर्वज पहले हिन्दू ही थे। अगर वे इतिहास उठाकर देखेंगे, तो उन्हें इस सच्चाई का पता चल जाएगा। वैसे भारत के कई मुसलमान आज भी इस सत्य को बेहिचक स्वीकार करने का साहस दिखाते हैं। यह भी सच है कि दुनियाभर में जितने भी मुसलमान निवास करते हैं, उनमें सबसे ज्यादा सुरक्षित भारत में ही हैं। आज कुछ मुसलमान संदेह की दृष्टि से देखे जा रहे हैं, उसके पीछे भी सबसे बड़ा कारण स्वयं मुसलमान ही हैं।
तथाकथित मुस्लिम समुदाय जहां भारत में अमन चैन व शांति को भंग करने के प्रयास में लगा हुआ है, वहीं पाकिस्तान में भी उनके हौंसले और भी बुलंद हैं। पाकिस्तान में ईसाई समाज के लोगों को मुस्लिम धम अपनाने पर दबाव डाला जा रहा है। साथ ही उन्हें अन्य प्रलोभन देकर मुस्लिम धर्म में आने का लालच दिया जा रहा है। अभी तक इनके प्रयास हिन्दुओं पर ही जारी थे, पर अब यह लोग अन्य वर्ग व समुदाय पर भी मुस्लिम धर्म अपनाने का प्रयास कर रहे हैं। हिन्दू व अन्य वर्ग व समाज के युवाओं को मुस्लिम धर्म अपनाकर उन्हें कट्टरवादिता और आतंकवादिता का प्रशिक्षण देकर भारत के विरोध में तैयार किया जा रहा है। ऐसे कई मामले उजागर भी हो चुके हैं। लेकिन पाकिस्तान अपनी इस चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। यह देश का दुर्भाग्य है कि इने-गिने लोग ऐसे हैं, जो अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश की एकता-अखंडता को क्षति पहुँचाने में लगे रहते हैं।
यह ऐतिहासिक सच्चाई है कि विदेशी मुस्लिम बादशाहों ने भारत पर कभी लूटपाट के लिए और कभी अपनी सत्ता स्थापित कर इस्लामी झंडा फहराते हुए भारत की धर्म संस्कृति परम्परा को क्रूरता से कुचलने की लगातार कोशिश की। चाहे बाबर, तैमूर, गौरी हो या औरंगजेब हो, सभी की बर्बरता की कहानी इतिहास चीख-चीखकर कह रहा है। इतिहास को कुरेदकर यह समीक्षा करने की प्रासंगिकता नहीं है कि ये क्रूर हमलावर क्यों सफल हुए, भारत की राजशक्ति इस क्रूरता का प्रतिकार क्यों नहीं कर सकी। इस सबकी तह में जाने से यह पता चलता है कि कही न कहीं भारतीय समाज में अपने धर्म के प्रति निष्ठा कमजोर थी, लेकिन आज एक बात दिखाई देने लगी है कि भारतीय युवा अपने धर्म के प्रति निष्ठा का प्रदर्शन कर रहा है और ऐसा करने में उसे गौरव का अहसास भी होता है। हम देखते हैं कि देश के विरोध में उठने वाली हर आवाज का हर स्तर पर सटीक जवाब दिया जाने लगा है। हम यह भी जानते हैं कि क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, अच्छे काम की बुराई होती है तो बुरे काम की प्रशंसा भी की जाने लगी है।
वर्तमान में भारत की करीब बीस प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है। इनके पूर्वज हमलावरों की क्रूरता के शिकार हुए और अपने परिवार की जीवन रक्षा के लिए इन्होंने मजबूरी में इस्लाम कबूल किया। इसलिए इस सच्चाई को कैसे नकारा जा सकता कि इनके पूर्वज हिन्दू थे। इस प्रकार के सम्प्रदाय और उपासना पद्धति का विकास देश की माटी से होता है, इसलिए भारत का इस्लाम सऊदी अरब का इस्लाम नहीं हो सकता। भारत की सर्वव्यापी संस्कृति के विचार प्रवाह के साथ ही भारत के मुस्लिमों को चलना होगा, क्योंकि उनका जिन्स और हिन्दुओं का जिन्स समान है, जो इस खून के रिश्ते को तोड़कर भारत के मुस्लिमों को देश की माटी से अलग करना चाहते हैं, वे छद्म देशद्रोही हैं, उनकी कोशिशों को असफल करना, हर देशभक्त का दायित्व है।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब सूर्य नमस्कार और नमाज में समन्वय की दृष्टि से समानता की बात कही। इसके पीछे एक भाव यह भी प्रदर्शित होता है कि योगी आदित्यनाथ जितना महत्व सूर्य नमस्कार को देते हैं, उतना ही महत्व वे नमाज को भी देते हैं। उनकी नजर में किसी भी प्रकार का कोई भेद नहीं है। लेकिन मुसलमानों में कुछ लोग ऐसे हैं जो भारतीय समाज को एकजुट नहीं देखना चाहते हैं। असदुद्दीन औवेसी हों, ये सब समन्वय की दृष्टि से कही गई बात के विरोध से बयानबाजी करते हैं। औवेसी का कहना है कि सूर्य नमस्कार की नमाज से तुलना मुस्लिमों को बेवकूफ बनाने के लिए है। सच्चाई को भी राजनीति के खून से रंगने में ये चतुर हैं। औवेसी की जिनकी बात को मीडिया भी प्रचारित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता, उनकी औकात केवल हैदराबाद तक है। हाल ही में उत्तरप्रदेश चुनाव में उन्होंने मुस्लिम प्रभावित क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी खड़े किए थे, लेकिन मुस्लिम जनता ने ही उन्हें नकार दिया। देश की एकता व अखंडता को बरकरार रखने के लिए हिन्दुस्तान का हर युवा अब पाकिस्तान की यह कुत्सित चाल समझ चुका है। साथ ही वह भी अब राष्ट्रीय विकास की धारा से जुडऩा चाहता है। इसलिए अब पाक की यह चाल ज्यादा सफल नहीं होने वाली।
पाकिस्तान की साजिश में शामिल होने से अब भारतीय मुसलमान भी किनारा करने लगे हैं। यह बात उस समय परिलक्षित होती हुई दिखाई दी, जब मैं लखनऊ गया था। वहां मैंने स्पष्ट तौर पर देखा कि उत्तरप्रदेश का मुसलमान अब पूरी तरह से विकास की धारा के साथ आना चाहता है। भाजपा सरकार में बनाए गए एक मात्र मुस्लिम मंत्री मोहसिन रजा स्पष्ट रुप से कहते हैं कि भाजपा में मुसलमानों का जितना सम्मान है, उतना किसी अन्य दल में नहीं है। यह सही है कि अन्य राजनीतिक दलों ने मुसलमानों को केवल भय दिखाकर वोट के रुप में प्रयोग किया। वर्तमान में देश का मुसलमान इस सत्य को समझ चुका है और वह भी सबका साथ सबका विकास के भाव को अंगीकार करके अपना विकास चाहता है।

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