तनवीर जाफ़री
भारत में राष्ट्रीय स्वयं संघ की हिंदुत्ववादी विचारधारा का राजनैतिक प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में पहली बार बहुमत की सरकार बनने के बाद देश में बढ़ती असहिष्णुता व अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बढ़ती जा रही हिंसक घटनाओं को लेकर देश में एक बड़ी बहस छिड़ चुकी है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश के सैकड़ों प्रतिष्ठित साहित्यकारों,लेखकों,कलाकारों फ़िल्मकारों व वैज्ञानिकों द्वारा भारत सरकार द्वारा पूर्व में उन्हें भेंट किए गए विभिन्न प्रकार के मान-सम्मान व पुरस्कार वापस किए जाने का सिलसिला जारी है। मीडिया भी देश में बढ़ती इस असहिष्णुता तथा इसके विरुद्ध दी जा रही प्रतिक्रियाओं को लेकर देश की जानी-मानी हस्तियों से उनके विचार जानने की कोशिश करता रहता है। इसी सिलसिले में पिछले दिनों भारतीय फ़िल्म जगत के मशहूर अभिनेता शाहरुख ख़ान के पचासवें जन्म दिन के अवसर पर मीडिया ने उनसे इसी विषय पर जब प्रश्र किया तो उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के अपने विचार व्यक्त करते हुए यही कहा कि भारत में पिछले कुछ दिनों में असहिष्णुता बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि उन्हें यह महसूस होगा कि उनको भी अब तक मिले सम्मान लौटा देने चाहिए तो वे भी इस बारे में विचार कर सकते हैं।
शाहरुख खान के इस बयान पर अपने विवादित बयानों को लेकर सुखिऱ्यां बटोरने वाले भारतीय जनता पार्टी के चंद नेताओं द्वारा तीखी प्रतिक्रियाएं दी गईं। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि शाहरुख ख़ान रहते तो भारत में हैं परंतु उनका दिल पाकिस्तान में रहता है। इसी प्रकार भाजपा की एक सांसद तथा विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची ने कहा कि शाहरुख खान पाकिस्तानी एजेंट हैं तथा वे खाते भारत की हैं और गाते पाकिस्तान की हैं। भाजपा के ही एक और फ़ायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ ने तो शाहरुख ख़ान की तुलना हाफ़िज़ सईद जैसे आतंकी सरगऩा तक से कर डाली। इन नेताओं ने शाहरुख ख़ान को पाकिस्तान जाने जैसी सलाह भी दे डाली। भारत में हालांकि असहिणुता के प्रश्र पर सैकड़ों ज़िम्मेदार नेताओं तथा विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा अपनी सख्त से सख़्त प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं। परंतु शाहरुख ख़ान द्वारा दी गई प्रतिक्रिया इन चंद हिंदुत्ववादी नेताओं के गले से केवल इसलिए नहीं उतरी क्योंकि शाहरुख ख़ान मुस्लिम समुदाय से संबंध रखने वाले देश के एक लोकप्रिय अभिनेता हैं। कुछ गिने-चुने हिंदूवादी नेताओं की ऐसी निम्रस्तरीय सोच को न तो भारतवर्ष की सोच कहा जा सकता है न ही इसे भारतीय हिंदुओं की सोच समझा जा सकता है। यहां तक कि ऐसे घटिया विचारों को भारतीय जनता पार्टी के विचार भी नहीं कहा जा सकता। यही वजह है कि उपरोक्त दो-तीन संकुचित मानसिकता रखने वाले नेताओं के विचारों से भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं को तत्काल अलग कर लिया। भाजपा ने स्वयं को शाहरुख ख़ान के विरुद्ध कैलाश,आदित्यनाथ व प्राची जैसे नेताओं के बयानों से अलग ही नहीं किया बल्कि भाजपा के नेता व संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तो इस विवाद के छिडऩे के बाद शाहरुख ख़ान को एक असाधारण प्रतिभा वाला सच्चा भारतीय नागरिक भी बताया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि शाहरुख ख़ान के पिता देश के स्वतंत्रता सेनानी थे। ग़ौरतलब है कि सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फैाज में जनरल रहे शाह नवाज़ खान ने शाहरुख ख़ान की मां को गोद लिया था तथा वे उनकी बेटी थीं।
ज़ाहिर है भारत में शाहरुख ख़ान व चंद हिंदुत्ववादी नेताओं के मध्य छिड़े इस वाकयुद्ध का लाभ उन भारत विरोधी शक्तियों को उठाने का मौक़ा मिला जो ऐसे मौके के इंतज़ार में रहती हैं। मुंबई में 2008 में हुए 26/11 के हमलों का मुख्य गुनहगार तथा जमात-उद-दावा के सरगना हाफ़िज़ सईद ने इस विवाद में कूदने को अपने लिए एक अच्छा अवसर चुना। हाफिज सईद ने मीडिया में इन विवादों के आने के बाद कहा कि यदि कोई मुसलमान भारत में अपने धर्म के कारण परेशानी झेल रहा है तो वह पाकिस्तान आ सकता है। उसने इस बात पर भी अपने घडिय़ाली आंसू बहाए कि खेल,अकादमी तथा संस्कृति की दुनिया के प्रसिद्ध भारतीय मुसलमान भी अपनी पहचान को लेकर भारत में रोज़ाना संघर्ष कर रहे हैं। ट्विटर पर जारी किए गए अपने ऐसे ही संदेश में इस आतंकी सरगना ने अपने ट्विट में लिखा कि कोई भी ऐसा भारतीय मुसलमान जिनमें फ़िल्म स्टार शाहरुख ख़ान भी शामिल हैं, अपनी धार्मिक पहचान की वजह से भारत में भेदभाव का शिकार हो रहा है तो वह पाकिस्तान में आकर रह सकता है। बड़े आश्चर्य की बात है कि अभी कुछ ही दिन पूर्व पाकिस्तान ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि जमात-उद-दावा एक आतंकी संगठन है। और दिसंबर 2008में संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी हाफिज सईद को आतंकी तथा उसके संगठन जमात-उद-दावा को भी एक आतंकवादी संगठन घोषित किया था। ऐसा व्यक्ति तथा ऐसे आतंकी संगठन का सरगना आज उन भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान आने की दावत दे रहा है जो स्वयं को वीर अब्दुल हमीद,एपीजे अब्दुल कलाम तथा मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे राष्ट्रभक्तों को अपना आदर्श मानते हों? हाफ़िज़ सईद को अपने गिरेबान में झांककर पहले यह देखना चाहिए कि पाकिस्तान में पहले से ही रह रहे मुसलमानों की वास्तविक स्थिति क्या है? जहां एक महिला एवं पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो को मुस्लिम आत्मघाती आतंकियों द्वारा कत्ल कर दिया जाता हो, जहां सलमान तासीर को उसके ही अंगरक्षक द्वारा इसी असहिष्णुता के विषय पर मार दिया जाता हो, जिस पाकिस्तान में मस्जिदें,दरगाहें,इमाम बारगाह, मज़हबी जलसा व जुलूस कुछ भी सुरक्षित न हों उस नर्क रूपी पाकिस्तान में भारत के शांतिप्रिय मुसलमानों को हाफिज सईद जैसा आतंकवादी वहां आने की दावत दे रहा हो, भारतीय मुसलमानों के लिए इससे बड़ा उपहास का विषय और क्या हो सकता है?
हाफ़िज़ सईद जिस तरह भारत सरकार का 26/11 के हमलों के लिए गुनहगार है उसी प्रकार भारतीय मुसलमान भी एक स्वर से हाफिज सईद को भारत का गुनहगार तथा दुश्मन समझते हैं। यदि हाफिज सईद को मुसलमानों के प्रति इतनी हमदर्दी ही दर्शानी है तो वे सर्वप्रथम अपने देश पाकिस्तान को आतंकवादियों की पनाहगाह बनाने से बाज़ आए। और यदि भारतीय मुसलमानों के प्रति उसे ज़रा भी हमदर्दी है तो वह मुंबई हमलों के आरोप में स्वयं को भारत सरकार के हवाले करे, भारत के विरुद्ध छेड़े गए अपने जेहादी मिशन को बंद करे तथा कश्मीर के मामले में दखल अंदाज़ी करने से बाज़ आए। जहां तक भारतीय मुसलमानों का प्रश्र है तो इसमें कोई शक नहीं कि बावजूद इसके कि देश में हिंदुत्ववादी सरकार केंद्र में सत्तारुढ़ है फिर भी भारतीय समाज का स्वभाव पूरी तरह से पंथ निरपेक्ष है। इस देश में आज तक पाकिस्तान की तरह न कहीं मस्जिद में नमाजि़यों पर फ़ायरिंग हुई न ही किसी मोहर्रम के जुलूस में पाकिस्तान की तजऱ् पर आत्मघाती विस्फोट हुए। न ही किसी दरगाह में धमाके किए गए न किसी इमामबाड़े को किसी आतंकी संगठन ने अपना निशाना बनाया। हिंदुत्ववादी शक्तियों के बढ़ते प्रभाव के बावजूद भारतीय बहुसंख्य हिंदुओं का स्वभाव सदियों से परस्पर प्रेम,सद्भाव और भाईचारे वाला रहा है और भविष्य में भी वैसा ही रहेगा। आज यदि चंद सिरफिरे फायरब्रांड नेताओं द्वारा अपने कट्टरपंथी स्वभाव के अनुरूप शाहरुख ख़ान के विरुद्ध मुंह खोलने की चेष्टा की भी गई है तो देश के हिंदू समुदाय के ही अनेक प्रतिष्ठित व सम्मानित लोगों द्वारा यहां तक कि भारत सरकार के कई केंद्रीय मंत्रियों द्वारा शाहरुख खान का बचाव भी किया जा रहा है। भारत में धर्मनिरपेक्षता की पैरोकारी को लेकर भी भारतीय मुसलमानों से अधिक भारत का हिंदू समाज सक्रिय व जागरूक है।
बेशक चंद हिंदुत्ववादी फायरब्रांड लोगों की गलत बयानबाजि़यों की वजह से तथा उनकी कट्टरपंथी विचारधारा के चलते हाफिज सईद जैसे पािकस्तान में बैठे आतंकवादियों को भारतीय मुसलमानों के प्रति घडिय़ाली आंसू बहाने का मौका मिलता है। भारत में धर्म आधारित ध्रुवीकरण की कोशिशों की खातिर ऐसे चंद नेताओं द्वारा अपने वैचारिक एजेंडे के तहत इस प्रकार के गैरजि़म्मेदाराना बयान दिए जाते हैं। इस प्रकार के बयान देने वालों के विरुद्ध पार्टी स्तर पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इनके बयान देश की छवि को धूमिल करते हैं तथा देश की दुश्मन ताकतों को देश की एकता के विरुद्ध बोलने का अवसर प्रदान करते हैं। वैसे भी इन नेताओं को शाहरुख खान जैसे अभिनेताओं के विरुद्ध बोलने से पूर्व अपने व शाहरुख खान की पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी परस्पर तुलना कर लेनी चाहिए। शाहरुख खान यदि अपने देश में रहकर कमाते भी हैं तो यह उनका अधिकार है। और वे कमाने के साथ-साथ देश के बड़े करदाताओं में से भी एक हैं।