भारतीय जनतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव!

-फखरे आलम- election
भारतीय सभ्यता, संस्कृति और धर्म का सबसे बड़ा उत्साह, उल्लास और उत्सव जिस प्रकार से होली है। ठीक उसी प्रकार से भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव आम चुनाव है। होली के ठीक पूर्व जिस प्रकार से रंगों का खुमार चढ़ने लगा है। मतदान से पूर्व और चुनाव की घोषणा और परिणाम से पहले देश चुूनाव के रंगों से सराबोर है।
सामाजिक, आर्थिक, मनोरंजन, टेलीविजन सभी पर चुनाव की रंग साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। प्रातः काल में और संध्या के समय बाजार और हाट में हर जगह चुनावी हलचल देखा जा सकता है। प्रातः काल में मुहल्ले, चौक चौराहों और पार्कों में योगा शिविर और व्यायाम का चलन बढ़ गया है। चुनाव की हलचल का रंग स्वास्थ्य सुधर में देखा जा सकता है। चुनाव से पूर्व धर्म और आस्था ने जागरूकता और सजगता दिखाना शुरू कर दिया है। हर ओर चर्चाएं चुनाव से जुड़ी खबर, सभा, नेता के पार्टी बदलने और चुनावी सभाओं की हो रही है।
टेलीविजन पर खबरिया चैनल हो अथवा धारावाहिक सभी पर लोकतंत्र के इस महापर्व का रंग देखा जा सकता है। चाहे वह बच्चों का खिलौना बेचने का विज्ञापन हो अथवा मोबाइल कनेक्शन या फिर चाय की पत्ती, सभी को आम चुनाव ने अपने रंग में रंग लिया हे।
समाज में दफ्तर में व्यापार में गले मिलने लगे हैं। मगर इन सबके बीच हमारे सैनिकों का नक्सलवादियों के हाथों प्रत्येक दिन शहीद होना इन राजनीतिज्ञों ओर राजनीति पार्टियों के लिए चिंता की बात हो अथवा न हो, मगर देश के लिए चिंतनीय अवश्य है। कौन पार्टी जनता की हितैषी रही, किस की सरकार कितना सफल रही, कौन कितना ईमानदार है, किसकी छवि कितनी अच्छी है, कौन सफल और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने में सफल रहेगा, जनता को महंगाई ओर बेरोजगारी से मुक्ति कौन दिलाएगा, क्या जनता किसी एक पार्टी विशेष को बहुमत दिलवाने जा रही है, अथवा दिल्ली विधनसभा के परिणाम वाली स्थिति उत्पन्न होने वाली है। होली के उमंगों के मध्य देश का भविष्य और आने वाला पांच वर्ष भी हर्षमय ओर मंगल होना चाहिए। लोकतंत्र के इस उत्सव का आनन्द जितना राजनीति दलों ने उठाया है, जितना भागादौड़ी नेता एक से दूसरी पार्टी में करने जा रहे हैं। जनसभाओं में जितना चमक दमक दिखाई दे रहा है। जितनी सावधानियां प्रत्याशियों के चयन और विरोधियों के मात पर जितना दिमाग लगाया जा रहा है। चुनाव आयोग का प्रयास है कि अधिक से अधिक मतदाताओं की भागीदारी इस मतदान में हो। बार-बार सुगमतापूर्वक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में डलवाने का प्रयास हो रहा है। सभी राजनीति दल लगभग सचेत हैं। देश और समाज विरोधी तत्व लगातार चुनाव में बाध डालने का काम कर रहे हैं। मगर देश की 120 करोड़ जनता लोकतंत्र के इस महाउत्सव को होली की तरह खुशी-खुशी मनाना चाहती है और कामना करती है कि कोई आए और व्यवस्था परिवर्तन कर दिखाए। जनता आशावान है। शिक्षा ओर अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था, रोजगार, महंगाई से निजात के वास्ते! यही असली होगी, यही सही उत्सव होगा।

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