इन्द्रेश कुमार : भारत माता का सपूत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैया कहा करते थे कि मुंह में शक्कर, पांव में चक्कर तथा दिल में आग। यह प्रचारक का लक्षण होता है। यदि आप इंद्रेश कुमार को देखोगे तो उनके अंदर उपरोक्त सारे लक्षण विद्यमान हैं। 62 वर्षीय यह नौजवान निष्काम कर्मयोगी, भारतमाता का पुत्र, दुखियों का सेवक, पितृहीनों का पिता, बेसहारों का सहारा, राष्ट्रीय एकता का पुजारी, सामाजिक समरसता का अग॔दुत, प्रखर वक्ता, निश्छल भाव तथा ऐसे गुणों से युक्त हैं। जिसके संबंध में कहनालिखना संव नहीं हैं।

गवा आतंकवाद पर इन्द्रेश जी का मत है। भगवा भारत का अंतर्मन है। भगवा भारत का जीवनदर्शन है। भगवा भारत है। भारत की पहचान है। भगवा विश्वगुरू है। भगवा विश्व बंधुत्व है। यह जीवन पद्धति का प्रतीक है। ‘इस भगवा को पहनकर शिवा ने मां का बंधन खोला। मेरा रंग दे बसंती चोला’। यह भारत का राष्ट्राव है। भगवा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक है। यह शौर्य है। यह त्याग है, तप है, संयम है, सेवा है। सहनशीलता है, भगवा सत्य है। भगवा अंहिसा है। भगवा देशक्तों का चालक है। देशद्रोहियों के लिए मर्दन हैं। भगवा भारत का प्राण हैं। यह राम का ध्वज था। कृष्ण का ध्वज था । यह शिवाजी महाराणा प्रताप का ध्वज था। इसको जगद्गुरु शंकराचार्य, स्वामी दयानंद, समर्थगुरू रामदास, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ तथा स्वामी विरजानंद ने धारण किया। यह संपूर्ण सृष्टि का कल्याण करनेवाला है। इसको धारण करने वाला ‘काम्यानां कर्मणा न्यासं संन्यासं कवयो विदुः!’ इसको धारण करके मानव महामानव तथा पुरूष पुरुषोतम बन जाता है। भगवा भारत है। दिव्य ज्योति की अनुभूति है। भगवा भारत की प्रकृति तथा संस्कृति का द्योतक हैं, यह शांति हैं, यह विराट ईश्वरीय सता का प्रतीक हैं, ‘गवा अरूण यह मधुमय देश हमारा। जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा’ है। भगवा ‘निज प्रुमय देखहि जगत’ है। भगवा पांथिक भेदभाव से रहित जीवन का पर्यायवाची है।

यदि भगवा का अध्ययन करना है तो वाल्टर एंडरसन की ‘ब्रदरहुड आफ सेफ्रान’ को पढे। एक विदेशी द्वारा लिखित पुस्तक है। जिसने भगवा के संबंध में क्या कहा है? कब कहा है? तथा क्यों कहां है? भगवा को आतंकवाद से जोड़ना हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति तथा भारतमाता को अपशब्द कहने के समान है। इस ‘पकार के शब्दों का प्रयोग असंवैधानिक तथा अशिष्ट है। यह शुद्ध रूप से मानसिक दिवालियापन का द्योतक है ।

‘पतत्वेष कायो’ तथा ‘त्वदीयाय कार्याय बद्घा कटीयम्’ के संकल्प को लेकर चलने वाला यह नौजवान हिमालय परिवार, भारत तिब्बत सहयोग मंच, वेद मंदिर शोध संस्थान, राष्ट्रीय कवि संगम, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच, नेपाली संस्कृति परिषद, नेपाल अफेयर्स, संजीवनी शारदा केंद्र, धर्मसंस्कृति संगम, जय करगिल जय भारत, जम्मू-कश्मीर सहायता समिति, रिवाइवल अॉफ कल्चर, सीमा जनकल्याण समिति, सिंधु दर्शन यात्रा, वैदिक बोध समन्वय, डायलॉग विथ बुद्धिस्ट, पूर्व सैनिक सेवा परिषद, परशुराम कुंड यात्रा जैसे दर्जनों संगठनों का मार्गदर्शक/संरक्षक हैं।

राजनीतिज्ञ तथा व्यवसायी परिवार के संस्कारों में पले-बढे इंद्रेश कुमार कैथल (हरियाणा) में 18 फरवरी, 1949 में पैदा हुए बाल स्वयंसेवक है। जब आज के युवा कॅरियर की तलाश में टकते रहते हैं। ऐसे समय में चंडीग़ से बी. ई. डिग्री लेने वाले इंद्रेश कुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बनकर सेवा का जो व्रत लिया। वो अनथक और अविरल भाव से आज तक जारी है। वे कक्षा 67 में ही गटनायक, 1970 में दिल्ली में जिला प्रचारक, 197275 में दिल्ली में हीं विग प्रचारक, 1975 से 77 तक भूमिगत रहकर आपातकाल का विरोध, 1979 से 83 तक दिल्ली युवा, विद्यार्थी विग प्रचारक, 19832000 तक जम्मूकश्मीर तथा हिमाचल सांग के प्रचारक, 20002007 अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख तथा 2007 से अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय संयोजक अफजाल भाई का इंद्रेश कुमार के संबंध में कहना है कि भाई इंद्रेश जी एक सच्चे हिंदू है। उनके मार्गदर्शन में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच 21 राज्यों के 141 जिलों में कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड के समर्थन में, गो हत्या निषेध हेतु, समान नागरिक संहिता बनाने तथा राष्ट्रद्रोही कसाब, अफजल गुरू तथा अब्दुल नासिर मदनी को फांसी देने के लिए मुस्लिम समाज में आंदोलन चलाया हैं। एक ऐसा समय आयेगा जब संपूर्ण मुस्लिम समाज राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के बैनर तले आ जाएगा। पैगंबर मुहम्मद साहब का पसंदीदा आहार खजूर तथा लौकी था। विश्व मंगल गौग्राम यात्रा में 8 लाख मुसलमान भाईयों ने गौहत्या के विरोध में स्वहस्ताक्षरित पत्रक माननीया राष्ट्रपति जी को सौपा। यह सब इंद्रेश भाई के हीं मार्गदर्शन तथा अथक प्रयासों से संव हुआ। प्रतिवर्ष अजमेर शरीफ के उर्स में एक चादर वे भेंट करते हैं। ऐसे व्यक्ति पर अजमेर शरीफ विस्फोट कांड में मास्टरमाइंड का आरोप लगाना वोट बैंक राजनीति से प्रेरित कुत्सित मानसिकता वाले हीं कर सकते हैं। इस देश में राष्ट्रद्रोही, देशद्रोही कसाब, अफजल गुरू, गिलानी, अरुंधति राय जैसे लोगों को तो सरकार संरक्षण देती है। पर देशक्तों के उपर किचड़ उछालती है। जम्मूकश्मीर विजन के सूत्रधार दिल्ली में आकर आजादी की मांग कर रहे हैं तथा उसी समय ‘कश्मीर की आवाज’ नाम से वहां के प्रतिनिधियों की आवाज बनने वाले इंद्रेश कुमार को विस्फोट में लपेटा जाता है। यह छद्म सेक्यूलर कांग्रेस की चाल है। इंद्रेश भाई जैसा हिंदू ला कैसे कह व कर सकता है। उसके लिए लिए तो हिंदू-मुस्लिम में कोई भेदभाव नहीं है। भारत के मुसलमान अब छद्म सेक्यूलरिष्टों को पहचान चुके हैं। वे देशक्त नहीं राष्ट्रद्रोही तथा वोट बैंक के सौदागर हैं। वे मुस्लिम वोट बैंक के नाम पर घ़डियाली आंसु बहाते आ रहे हैं।

इंद्रेश कुमार का कहना है कि गुर्जर, बक्कवाल तथा राष्ट्रवादी कश्मीरी मुसलमान जो ‘कश्मीरी आवाज’ है उससे सरकार को वार्ता करनी चाहिए। वे कश्मीर के वास्तविक प्रतिनिधि हैं। वे कश्मीर की आवाज हैं। उनमें कुटकुटकर भारत, भारत का मन तथा भारतीय संविधान के प्रति आस्था है। वे बहुसं’यक है। जबकि अलगाववाद के समर्थक मुट्ठीर है जैसेमौलाना मसूद, अजहर, यासिन मल्लिक, शब्बीर शाह, अब्दूल गनी लोन, सैय्यद सलाहुदीन इत्यादि। ये बंदूक की भाषा द्वारा कश्मीर को आजाद कराना चाहते है। पिछले चुनावों में जनता इन्हें नकार चुकी है। अब इनका एक सूत्री एजेंडा पत्थरबाजी कराना है। संपूर्ण कश्मीरी आवाम इनके नापाक इरादे को समझ रहा है।

श्री रामजन्मूमि के संबंध में इंद्रेश कुमार का कहना है कि श्रीराम, श्रीकृष्ण तथा भगवान विश्वनाथ में करोड़ों भारतीयों की आस्था है। वे भारतियों के आराध्य हैं। 30 सितंबर, 2010 को प्रयाग उच्च न्यायालय की विशेष पीठ द्वारा दिए गए निर्णय का पूरा समर्थन करते हैं। तोजो इंटरनेशनल की रिपोर्ट तथा मुस्लिम विद्वान मौलाना वहीदुदीन खां का यह स्पस्ट कहना है कि उक्त ढांचे का निर्माण मंदिर के अवशेषों से किया गया था।

देशक्तों को शुरू से ही सरकार का कोपाजन बनना पड़ा है। कांग्रेस से पहले अंग्रेजों की ‘बांटों तथा राज करो’ की नीतियां थी। कांग्रेस उन्हीं नीतियों की दत्तक पुत्र है। मुस्लिम समाज में उदारवाद का विकास होना छद्म धर्मनिरपेक्षतावादियों तथा तुष्टीकरणवादियों के लिए साक्षात चुनौती है। अतः इंद्रेश कुमार को इसी साजिस के तहत फंसाया गया। ताकि संघ एवं संघविचार परिवार के छवि को धुमिल किया जा सके ।

‘लेखक, पत्रकार, फिल्म समीक्षक, कॅरियर लेखक, मीडिया लेखक एवं हिन्दुस्थान समाचार में कार्यकारी फीचर संपादक तथा ‘आधुनिक सभ्यता और महात्मा गांधी’ पर डी. लिट कर रहे हैं।

— डॉ. मनोज चतुर्वेदी

(नवोत्थान लेख सेवा, हिन्दुस्थान समाचार)

3 COMMENTS

  1. yh kitnee dukhad baat hai ki seedhe sade aadmi ko media men apradhi bataya gaya hai .ek savaal uthta hai ki seedhe saadhe aadmi ko bachane ki jagah aap log use fasaane or marwane pr kyo tule ho?

  2. अनिल सहगल जी से पूर्ण सहमति व्यक्त करता हूं।
    इंद्रेश जी का चारित्र्य जानने पर बाबुराव पटेल जो मदर इंडिया के संपादक रहें, उनका मदर इंडिया मे लिखित एक लेख याद आ रहा है।
    उन्होंने उसमें लिखा था, कि प्रश्न जब उठता है, कि पू. गुरूजी के बाद कौन? (गुरूजी उस समय सर संघचालक थे) —-
    इस प्रश्नका उत्तर पाने वे किसी कार्यालय में जाकर किसी जिला प्रचारकसे वार्तालाप करते हैं। उस प्रचारक के ही पारदर्शक व्यक्तिमत्वसे ऐसे अभिभूत हो जाते हैं, कि कहते हैं, कि संघको कोई समस्या नहीं है। हर प्रचारक उसका यह “संघ चालक का” उत्तरदायित्व निर्वाह करने में सक्षम है।
    मैंने तो मेरे कार्यवाह, मुख्य शिक्षक, गण शिक्षक क्या गट नायक तक सभीको ऐसे ही पाया है। धन्य है, संघ जिसके पास ऐसे , रोम रोम में जिनके भारत रमता है, ऐसे अनेकों अडिग राष्ट्र भक्त हैं। और धन्य है, भारतमाता जिसके पास संघ है।
    मार्गारेट थॅचर ( इंग्लैंड की पूर्व प्रधान मंत्री) शाखाके वर्षप्रतिपदा उत्सव पर आकर, भाषण में कहती है, कि आप अपने संस्कार भी आपके स्कूलोंके अन्य छात्रोंको भी सिखाइए। हम हर कोई को इस मेल्टिंग पॉट में मेल्ट होने को कहते हैं, पर आपको हम अपनी उच्च संस्कारयुक्त संस्कृति रखते हुए, दूसरोंको भी सीखाने के लिए कहूंगी। —इसे कहते हैं—
    ऋण्वंतोऽविश्वं आर्यं॥
    सुनता हूं, तो गौरवसे मस्तक ऊंचा उठ जाता है, सीना तन जाता है,और ऊंचाई बढ जाती है।
    हिंदू जहां भी गया समन्वयता से रहा, सेवा करते रहा।
    नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे॥ त्वया हिंदू भूमे सुखं वर्धितोऽ हम॥

  3. इन्द्रेश कुमार भारत माता का सपूत -by – डॉ. मनोज चतुर्वेदी

    इंद्रेश कुमार जी को साजिस कर फंसाया गया ताकि संघ एवं संघविचार परिवार की छवि मुस्लिम समुदाय में धुमिल की जा सके .

    राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय संयोजक अफजाल भाई देश का भ्रमण करें और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के बारे में देश को अवगत करायें.

    इससे साजिस समझाना सरल हो जाएगा.

    – अनिल सहगल –

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