कामिनी कामायनी
भटकते राह मे बर्बादिओ के सुर्ख किस्से हैं ,
जकड़ लेगा तुम्हें मत जाओ उन बदनाम सड़कों पर ।
जहां पर जुल्म ढाए थे दरिंदे आशिकों की जात ,
अभी तक रो रही है आह बन बदनाम सड़कों पर ।
सिमटती है बहाने से बिलखती सूनी ये गलियां
डराता है किसी का दर्द उन बदनाम सड़कों पर ।
कई हसरत पसारे पंख निकले थे फिज़ाओं मे ,
खड़े थे कातिलों की फौज उन बदनाम सड़कों पर ।
मुकामात है नहीं महफूज वह कलियों के खिलने का
शोरे महशर मुखातिब है उन बदनाम सड़कों पर ।
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कामिनी कामायनी