इंटरनेट आरटीआई का दिल

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12 अक्टूबर सूचना का अधिकार दिवस पर विशेष

सरमन नगेले

भारत की सक्षमता के लिये आरटीआई और सबके लिये आरटीआई। मीडिया आरटीआई को प्रोत्साहित करे और आमजन इन्टरनेट के माध्यम से सूचना प्राप्त करना शुरू कर दें तो एक बड़ी क्रांति का सूत्रपात होगा।

इन्टरनेट आरटीआई का दिल है, यह बात किसी आईटी प्रोफेशनल या इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर द्वारा अथवा ईमेल सेवा प्रदाता कंपनी ने नहीं कही। बल्कि ऐसे शख्स तत्कालीन केन्द्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री वजाहत हबीबुल्लाह ने कही।

जिस कार्यक्रम में मुख्य सूचना आयुक्त ने दिल की बात दिल से जोड़कर कही। उस कार्यक्रम में मैं भी मौजूद था। मैंने कार्यक्रम में आये भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों व अन्य देशों से आये विषय विशेषज्ञों से आरटीआई को इन्टरनेट के जरिए प्रोत्साहित करने की बात कही।

वैसे आरटीआई के जरिए सूचना क्रांति लाने के उपक्रम में सीडेक हैदराबाद द्वारा एक ई-लर्निंग कोर्स, जबकि भारत सरकार द्वारा आरटीआई को बढ़ावा देने के लिए एक आनलाइन ई-डिग्री कोर्स प्रारंभ किया गया है। कुछ मीडिया हाउस व संस्थाओं ने आरटीआई अवार्ड भी स्थापित किए हैं। विश्व बैंक द्वारा सूचनाओं के कम्प्यूटरीकरण के लिए 23 हजार करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है। इससे सूचनाओं को सुरक्षित रखने और उनके आदान-प्रदान में काफी सहायता मिलेगी। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार देश के ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने जा रहा है। देश के ढ़ाई लाख ग्राम जब इंटरनेट से जुड़ जायेंगे और इसके माध्यम से आरटीआई में जानकारी लेना प्रारंभ कर देंगे तब वास्तव में आरटीआई के क्षेत्र में इंटरनेट के माध्यम से एक क्रांति का सूत्रपात होगा।

सूचना के अधिकार कानून को और प्रभावी बनाने के लिए ई-गवर्नेस एवं ई-मेल के जरिए संवाद की सेवा को भारत सरकार ने सिद्धांत रूप में मंजूरी दे दी है। सूचना का अधिकार अधिनियम लोकतंत्र को मजबूत बनाने का कारगर माध्यम है। आरटीआई शनैः शनैः अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है। तभी तो कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत और पेंशन भारत सरकार ने 12 और 13 अक्टूबर 2012 को आरटीआई सबक सीखे विषय पर केन्द्रित केन्द्रीय सूचना आयोग का सम्मेलन आयोजित कर रहा है।

सम्मेलन में आरटीआई कानून में अधिक पारदर्शिता लाने और जबावदेही तय करने के अलावा सूचना देने में आईसीटी यानि संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श होगा। इस सम्मेलन का शुभारंभ प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा किया जा रहा है। जबकि लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार 13 अक्टूबर को सम्मेलन में अपना समापन भाषण देंगी।

यूं तो यह कानून जनता के हाथ में एक ऐसा औजार है जो सरकार को या सरकार से अनुदान प्राप्त संस्थाओं और आरटीआई के दायरे में आने वालों को कठघरे में उसे जवाबदेय और पारदर्शी होने पर मजबूर करता है। इससे सरकारी कामकाज में जहां पारदर्शिता आयी है वहीं लोग अपने आपको ज्यादा ताकतवर महसूस करते है सरकारी तंत्र के सामने।

लोग बेहतर प्रशासन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रणाली की उम्मीद करते हैं और इसे पूर्ण रूप से हासिल करने के लिए वे आरटीआई का उपयोग तो करने लगे हैं लेकिन इंटरनेट आधारित सुविधा यानि आईसीटी का नहीं।

आरटीआई कानून में जनमानस के लिये एक बहुत बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई से संबंधित जानकारी ईमेल के जरिए भी प्राप्त कर सकता है। इंटरनेट के द्वारा जानकारी लेने का यह माध्यम सबसे सस्ता और प्रभावी है इसमें पैसे और समय की बचत के साथ-साथ आवेदनकर्ता के लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है। न ही किसी सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत है। व्यक्ति अपने घर से किसी भी समय आवेदन कर सकता है। आमजन ने इस माध्यम को अपना लिया तो देश में सूचना प्राप्त करने की एक बड़ी क्रांति का सूत्रपात होगा।

आरटीआई को घर-घर में पहुंचाने में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का कारगर और प्रभावी ढ़ंग से उपयोग होना लाजमी है मसलन- आरटीआई के तहत आने वाली शिकायतों का समाधान वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए होना चाहिए। कॉल सेंटर के माध्यम से आवेदन स्वीकार होना चाहिए। ई-मेल संस्कृति विकसित होना चाहिए। क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ली जानी वाली फीस का भुगतान स्वीकार हो। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों ने सूचना के अधिकार में आईसीटी आधारित टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल करना प्रारंभ कर दिया है।

आईसीटी के तहत सूचना प्राप्त करने वाले आवेदक को आवेदन प्राप्त की सूचना संबंधित द्वारा एसएमएस के जरिए दे, आवेदक भी अभीस्वीकृति एसएमएस के जरिए दे। यह सुविधा निशुल्क हो। इस कार्य के लिए राज्य या केन्द्र सरकार साफ्टवेयर विकसित कर सूचना के अधिकार को आम-जन का अधिकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

आवेदक को एक ही स्थान पर समस्त प्रकार की जानकारी जैसे आवेदन पत्र, किसको देना है, कहां देना है, किस समय देना है, कितना शुल्क जमा करना है, सूचना के अधिकार की प्रक्रिया क्या है, किस अधिकारी से किस काम के लिए मुलाकात करना या आवेदन देना है। आरटीआई के आवेदन के समाधान से जुड़े हुए सभी स्तर के अधिकारी का नाम, पता, मोबाईल या फोन नंबर, ईमेल आईडी और अन्य जो कार्यालयीन जानकारी हो। इस प्रकार की सूचनाओं से परिपूर्ण ऐसी वेबसाइट सभी स्तर पर विकसित होना चाहिए। जहां पर भी आरटीआई के आवेदन का निराकरण होना प्रक्रियागत हो। यह कानून तभी सार्थक होगा।

सूचना के अधिकार को आमजन का अधिकार बनाने में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। लिहाजा मीडिया के स्वरूप के अनुकूल अपने-अपने स्तर पर यदि मीडिया सूचना के अधिकार को प्रोत्साहित करने का उपक्रम प्रारंभ करता है तो सूचना का अधिकार भारत में पांचवें स्तंभ का स्थान प्राप्त कर सकता है।

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