लोहा टू लोहा (व्यंग्य )

दिलीप कुमार

आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है।माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने अमिताभ बच्च्न को भैया कहने के बाद हुए अपने हादसे का दर्द बयान किया तब से लोग भैया के बजाय मोटा भाई ही कहना ज्यादा मुफीद समझते हैं ।गुजरात के विश्व बंधुत्व की चली ये बयार देश की आबो हवा को काफी हद तक हानिकारक तत्वों से मुक्त कर रही है।आम तौर पर मृदु भाषी,शांत और मसाले रहित शाकाहारी भोजन करने वाले गुजराती जब कुछ करते हैं तब बहुत दूर तक सोच करते हैं ।गांधी जी ने भी जब किया तब बहुत बाकमाल किया और दुनिया भर के हिस्से अपने अपने भाग्य पर अफ़सोस करते हैं कि काश हमारे पास एक गांधी होता ।देश में लोग मजाक में कहते हैं कि गुजरातियों को चैलेंज नहीं करना चाहिए ,उनके शब्द नहीं कृति बोलती है ।सरदार पटेल से लेकर आज तक के दो मोटा भाई को देख लें।इधर एक और गुजरती अम्बानी की कम्पनी में पाकिस्तान के तारन हार सऊदी अरब ने इतना बड़ा निवेश कर दिया है कि अकेले उतनी रकम दुनिया की 39 देशों की अर्थव्यस्था  पर भारी पड़ गयी।जैसे भारत में कृषि आय जो जीडीपी की दुगुनी होती जा रही है।कर विशेषज्ञ और ट्रेड पंडित हैरान हैं कि दिन रात खेत में काम करने वाला किसान फटेहाल है ,और एक बीघे से अमूमन सात सौ रूपये ही साल के कमा पाता है ,लेकिन पार्ट टाइम खेती करने वाले लोग अपने लॉन ,और बालकनी से लाखों कमा लेते हैं।हाल ही में मीडिया में इस बात की खबरें शाया हुईं कि एक बेहद कद्दावर शख्स ने अपने बालकनी में गोभी से आमदनी करोड़ों रूपये कमाए हैं जबकि अपने मुख्य हाई प्रोफाइल व्यवसाय से लाखों रूपये ही कमाए हैं।ये किसानी का आकर्षण है ही ऐसा लोग कूद पड़ते हैं ,जैसे अमिताभ कूद पड़े ,बेचारे जेल जाते जाते बचे थे ,आजकल अपने खेतों का ही चावल खाते हैं और ट्रेक्टर की फोटो भी पोस्ट की थी,जी सही समझा आपने वो ट्रेक्टर उनकी रिश्तेदार की की कम्पनी का था वो भी बेटी की साइड से ।इधर पाकिस्तान की हालत काफी दिलचस्प हो गयी है ,उसने इंतिहाई तरक्की की है ,गधों,बछड़ों और कट्टों के बाद उसने देसी कुत्तों का व्यापार करना शुरू कर दिया।गधों की आबादी का तीसरा सबसे बड़ा मुल्क बनने के बाद अब पाकिस्तान की नजर देसी आवारा कुत्तों पर है ।हाल ही में भारत से हुए तनाव के बाद पाकिस्तान अब उन्हें ऑफिसियली देसी कुत्ता ही कहेगा,भारतीय अभिनेता राजकपूर की आवारा फिल्म के विरोध स्वरूप पाकिस्तान ने देसी कुत्तों को पकड़ कर चीन और फिलीपीन्स भेजेगा ,इन मुल्कों के लिए देसी कुत्ता,देसी मुर्गे जैसा लजीज माना जाता है ,तो इस तरह संभल रही है पाकिस्तान की इकोनॉमी।उनके मिनिस्टर शेख रशीद ,जो नमाज भले ही दिन में पांचो बार की मिस कर जाते हैं ,मगर भारत पर परमाणु हमले की धमकी जरूर देते हैं ,वो जैसे ही परमाणु हमले की धमकी देते हैं ,ट्विटर पर कुछ उत्साही लड़के तुरंत उन्हें सनी देओल की फिल्म का वीडियो टैग कर देते हैं कि -“सिर पर तिरपाल रखने की औकात नहीं,गोली बारी की बातें करते हैं “।शेख रशीद तिरपाल का जुगाड़ करने विलायत गये थे ,वहां पर पाकिस्तानी मूल के लोगों ने उन पर अंडे और टमाटर फेंके ।ब्रिटेन में अंडे फेंकना ,संसदीय विरोध माना जाता है ।शेख रशीद इससे निहाल हो गए ।अंडे तो फूट चुके थे  रशीद भिखारी ये देखकर ये रो पड़ा ,मगर उसने टमाटर इकठ्ठा कर लिए ,उन्हें कलेजे से लगाकर जार जार रोया और सुना है उसे वो अपने पाकिस्तान में अपने दफ्तर में नुमाइश के तौर पर रख लिए हैं और कहते हैं कि देखो इंडिया वालों हमारे पास भी टमाटर है  और मुस्करा कर फरमाते हैं-“लोग कहते हैं कि हम मुस्कराते बहुत हैं और हम थक गए अपने दर्द छुपाते छुपाते “
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा ख़राब है कि वो जेलों को बंद करने की सोच रहा है ,क्योंकि जेल के कैदियों को खाना देना उसके लिये अब सम्भव नहीं रह गया है ।उधर कर्जा देने वाले मुल्क सख्ती कर रहे हैं कि आतंकवादियों को जेल में डालो,पाकिस्तान ने एक बीच का रास्ता निकाला है कि जो जहां पर रहता है वहीं उस जगह को कानूनी रूप से जेल मान लिया है ,इसके दोहरे फायदे हैं कि बन्दे को जेल भी नहीं जाना पड़ता और कर्जा मांगने वाले को बता देते हैं कि हमने आतंकवादियों को “हाउस अरेस्ट”कर दिया है ।अब देखिये ,हाफ़िज़ सईद और मसूद अजहर अपने अपने हेडक्वार्टर से दुनिया भर में आतंक फैला रहे हैं ,और पाकिस्तान कानूनी रूप से उन्हें हाउस अरेस्ट कह कर कर्जे की अगली किश्त चुकाने के लिए कर्जा मांग रहा है ,ये तो वही नजीर है कि “मैं अपने चश्मे को चश्मा लगाकर ढूंढ़ता हूँ “।पाकिस्तान के आर्थिक विपन्नता की आंच भारत तक पहुंच रही है ,इधर खबरें आईं हैं कि पाकिस्तान ,इंडिया में भेजे गए आतंकवादियों को खाने तक का पैसा नहीं दे पा रहा है ,आतंकवादियों ने अपने सारे कारतूस और बारूद बेचकर अपने खाने पीने का इंतजाम किया ,और अब इंतजार कर रहे हैं कोई उनकी बंदूकें भी खरीद ले,कुपोषण और भुखमरी का ये आलम है कि धड़ाधड़ आतंकवादी सरेंडर कर रहे हैं ताकि भारतीय जेलों में उन्हें भरपेट भोजन और सोने की छत मिल सके ,कब तक जंगल में सोयेंगे ।पाकिस्तान के भुगतान का असंतुलन इतना बिगड़ गया कि भारत में कुछ लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ जाने का डर है ।पत्थरबाजों के कई महीनों से भुगतान बन्द हैं ,भटके हुए मासूम घरों में आराम फरमा रहे हैं। प्गकिस्तान की तरफ से भुगतान समय से ना होने के कारण राजधानी में “भारत तेरे टुकड़े होंगे “, “भारत की बर्बादी की जंग रहेगी”जैसे नारे अब इतिहास में दफ्न होने के कगार पर हैं ।इंडो -पाक मुशायरे में लाहौर जाकर नली नहारी खाने वाले लोग परेशान हैं कि उनके अमन के गीतों पर लोग हमारे सैनिकों के बलिदान के गीतों को तरजीह दे रहे हैं।कल्चर से अमन की रबड़ी मलाई वाले डेलीगेशन अब नहीं जा पा रहे हैं और ना ही उस पार से तोहफे पा रहे हैं।उर्दू के अजीम लेखक इब्न -ए-सफी साहब ने फरमाया था कि “चीनियों के बाप और पाकिस्तानियों की बात का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए ।ये बात भारत की एक मशहूर अंग्रेजी लेखिका नहीं समझ सकीं ,उन्होंने आतंक के पोस्टर बॉय ,बुरहान वानी के खूब कसीदे गढ़े ,अब एक पाकिस्तानी डिप्लोमेट ने ये कहकर स्कैंडल खड़ा कर दिया कि वानी की ये ब्रांडिंग भारतीय मीडिया में भुगतान से प्रेरित थी और अब हम ऐसे भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं ।अब सच क्या है ये तो समय ही बताएगा लेकिन हिलेरी क्लिंटन की पाकिस्तान के संदर्भ में कही गयी एक बात बड़ी मौजू हो चली है कि “आप अपने आँगन में सांप पालें और ये उम्मीद करें कि वो सिर्फ आपके पड़ोसियों को काटें ,ये हमेशा नहीं हो सकता “।हिंदूस्तान में जिनके भुगतान रुके हैं  वो अपने मुल्क में ही मांग खाकर जी सकते हैं,उन्हें ये बात याद रखनी चाहिये थी कि भिखारियों से भुगतान नहीं मिला करते-
“इस दिल के दरीदा दामन को,देखो तो सही ,सोचो तो सही जिस झोली में सौ छेद हुए,उस झोली को फैलाना क्या”क्योंकि बात लोहे टू लोहे की है।

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,समाप्त ,कृते,,, दिलीप कुमार 

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