इस धुली चदरिया को धूल में ना मिलाना - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
---विनय कुमार विनायकचेहरे पे अहं, मन में बहम,कहां गया तेरा वो भोलापन,कुछ तो चीन्हे-चीन्हे से लगते हो,कुछ लगते हो तुम बेगानेपन जैसे! चेहरे की वो तेरी चहक,कहां गयी वो तेरी बहक,बचपन में बड़े अच्छे दीखते थे तुम तो,बुढ़ापे में क्यों हो गए तुम बचकाने से! कहां गया वो आत्मबल,क्यों होने…