क्या महात्मा गाँधी की असली जन्मतिथि 13 सितंबर 1868 है ?

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■ डॉ. सदानंद पॉल

आज से 13 साल पहले मैंने स्व0 देवकीनन्दन सिंह की पुस्तक ‘ज्योतिष- रत्नाकर’ (पृष्ठ संख्या- 979 से 985 तक/ पुनर्मुद्रण वर्ष- 1999/ प्रकाशक- मोतीलाल बनारसीदास) पढ़ा, तो पाया महात्मा गाँधी की जन्मतिथि विक्रमी संवत् में ‘आश्विन बदी द्वादशी, संवत् 1925’ लिखा है, जबकि गाँधी जी की जन्मतिथि उनकी ‘आत्मकथा’ (गुजराती और हिंदी संस्करण) के अनुसार विक्रमी संवत् में ‘भादो बदी द्वादशी, संवत् 1925’ है, दोनों तरह की पुस्तकों में महात्मा गाँधी की जन्मतिथि की अँग्रेजी तारीख 02 अक्टूबर 1869 ई0 ही प्रकाशित है, किन्तु यह प्राथमिकता के तौर पर नहीं , अपितु ‘अर्थात्’ लिए है !

जिन वर्षों में और जहाँ (सौराष्ट्र प्रांत) गाँधी जी ने जन्म लिया, वहाँ और उस समय हिन्दू व जैन परिवारों में विक्रमी संवत् का प्रचलन था । विज्ञानलेखक डॉ0 गुणाकर मुळे ने मुझे ‘हिंदी भाषा में गणित का पहला अन्वेषक’ का खिताब दिया । इसतरह से अपना गणितीय-आकलन, फिर ठाकुर प्रसाद पंचांग सहित कई स्थानीय और परप्रांतीय पंचांगों से मिलान व मलमासों की स्थितियों के योग करके मैंने पाया कि ‘आश्विन बदी द्वादशी, संवत् 1925’ की अँग्रेजी तारीख 13 सितम्बर 1868 ई0 , दिन – रविवार है, जबकि ‘भादो बदी द्वादशी, संवत् 1925’ की अँग्रेजी तारीख 16 अगस्त 1868 ई0 , दिन- रविवार है । 

पहली जन्मतिथि की स्थिति में पुस्तक ‘ज्योतिष-रत्नाकर’ में गाँधी जी की जन्मकुण्डली का उल्लेख करते हुए विक्रमी संवत् की जन्मतिथि को उद्धृत किया गया है, जबकि दूसरी जन्मतिथि को स्वयं गाँधी जी ने अपनी ‘आत्मकथा’ में लिखा है । इसतरह से CONFUSE करनेवाली स्थिति पर स्पष्टीकरण पाने को लेकर मैंने गाँधी जी की जन्मकुण्डली जानने तथा विद्यालयीय-पंजी (पोरबंदर / राजकोट में) में दर्ज़ वास्तविक जन्मतिथि की सटीक जानकारी अर्जित करने को लेकर ‘सूचना एवम् जन संपर्क विभाग, गुजरात सरकार, गाँधीनगर’ को दिनांक- 14.11.2008 को ‘स्पीड पोस्ट’ (नं. EE899091939IN / MANIHARI, PIN-854113) से पत्र भेजा, किन्तु काफी घूम-फिर कर पत्रयुक्त स्पीडपोस्ट-लिफ़ाफ़ा मेरे पास वापस आ गया । हो सकता है, पानेवाला का पता मैंने गलत उद्धृत किया हो ! किन्तु डाक विभाग और पोस्टमैन की सहृदयता जहाँ परिवर्तित पता में भी पत्र को पहुँचाया जा सकने की स्थिति को दृढ़ित करता है, परंतु ऐसा मेरे साथ नहीं हो सका ! 

तब मैंने महामहिम राष्ट्रपति सचिवालय, माननीय प्रधानमन्त्री कार्यालय और माननीय गृह मंत्रालय, भारत सरकार से यह जानना चाहा—— ‘हम जो अपने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती 02 अक्टूबर को मनाते हैं , इस जन्मतिथि का आधार या श्रोत (जहाँ से जन्मतिथि संकलित हुई है) जो हो बतायेंगे, चूँकि गाँधी जी की जन्मकुण्डली – विषयक पुस्तक और उनकी आत्मकथा में विक्रमी संवत् लिए जन्मतिथि क्रमशः आश्विन बदी द्वादशी, भादो बदी द्वादशी (दोनों में संवत् 1925 ) का ज़िक्र है और दोनों के मेरे गणितीय-आकलनानुसार अँग्रेजी तारीख क्रमशः 13 सितम्बर 1868 और 16 अगस्त 1868 आती है, पर 02 अक्टूबर 1869 नहीं आती है’ ।

राष्ट्रपति सचिवालय ने अंतरित करते हुए तीन बार [866-892/RTI/10/09-10/दि.11.11.2009, A-27011/562/06-RTI-A(AA)/दि.18. 11.2009 और A-27011/562/06-RTI-A(AA)/दि.05.01.2010], प्रधानमन्त्री कार्यालय ने एक बार [RTI/603/2010-PMR/दि.03.03. 2010], गृह मंत्रालय ने अंतरित करते हुए दो बार [फ़ाइल सं. 21/ 78/ 2009/M & G/दि.02.10.2009 और A-43020/01/2009-RTI/दि.16. 09.2009] जवाब यह दिया कि उनके कार्यालय को इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है । फिर गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने मंत्रिमंडल (कैबिनेट) सचिवालय, संस्कृति मंत्रालय और राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archive), नई दिल्ली को इस सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा । 

मंत्रिमंडल सचिवालय के दो बार [F.12015/296/2009-RTI/दि.01.10.2009 और F.12015/ 296/2009-RTI/दि.25.11.2009], संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के तीन बार [F.14-33/2009-C & M/दि.29.10.2009, F.27-86/09-CDN/दि.23.11.2009 और F.14-33/2009-C & M/दि.07.12.2009], राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली के दो बार [मिसिल सं. 63-2(LVII) /2009/RTI/दि.20.10.2009 और 63-2(LVII) /2009/ RTI/ दि.04.12.2009] जवाब यह प्राप्त हुआ कि उनके कार्यालय को इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है । 

हाँ, राष्ट्रीय अभिलेखागार ने इस सम्बब्ध में यह लिखा कि मैं TA/DA के बगैर उनके नई दिल्ली कार्यालय जाकर कार्यालयीय-अवधि में इस संदर्भ में शोध कर सकता हूँ ! परंतु मैंने जब लिखा कि यह मेरे द्वारा शोध किया गया है , तो उनके द्वारा उत्तर मौन रहा ! मैं इसे लेकर केंद्रीय सूचना आयोग भी गया, जहाँ मुख्य सूचना आयुक्त ने अंततः यह कहा — ‘सूचना’ वही दी जा सकती है, जो लोक सूचना पदाधिकारी के पास हो ! मजे की बात है कि यह सूचना जब किसी के पास नहीं है, तो हम 02 अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ कैसे मनाते हैं ? अब तो संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) भी गाँधी जयंती (02 अक्टूबर) को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसक दिवस’ के रूप में मनाते हैं ! परंतु यक्ष प्रश्न अब भी यथावत् है कि 02 अक्टूबर 1869 , जो महात्मा गाँधी के जन्मदिन (कथित) हैं, इस जन्मदिन के प्रमाण / साक्ष्य क्या है ? अन्यथा विक्रमी संवत् लिए महात्मा गाँधी के जन्मदिन क्रमशः 13 सितम्बर और 16 अगस्त 1868 होते हैं !

मेरे द्वारा लिखा गया उपर्युक्त तथ्यों को ‘कॉपीराइट कार्यालय’, भारत सरकार ने शीर्षक– “WHAT YOU KNOW, SEP. 13, 1868 IS D.O.B. OF MAHATMA GANTHI” (A COMPLETE RESEARCH) नाम से copyright registration प्रदान किया, एतदर्थ डायरी सं0 148/2011-CO/L, दिनांक- 31.12.2010 और रजिस्ट्रेशन सं0   L-45894/2013, दिनांक- 23.01.2013 है।

चूँकि गाँधी जी सत्य और अहिंसा के वैश्विक पुजारी थे, इसलिए इस प्रातः स्मरणीय महापुरुष की असली जन्मतिथि (जन्मकुण्डली के अनुसार 13 सितम्बर 1868 और आत्मकथा के अनुसार 16 अगस्त 1868) लिए असली जयंती (13 सितम्बर या 16 अगस्त) ही मनाये जाने चाहिए । मेरी तिथि अनंतिम नहीं है, अन्य प्राधिकार भी पड़ताल करने को स्वतंत्र है । आखिर जो सही हो, उन्हीं को मानिए, किन्तु यह सत्यान्वेषित हो।

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डॉ. सदानंद पॉल
तीन विषयों में एम.ए., नेट उत्तीर्ण, जे.आर.एफ. (MoC), मानद डॉक्टरेट. 'वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' लिए गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकार्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकार्ड्स होल्डर सहित सर्वाधिक 300+ रिकॉर्ड्स हेतु नाम दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 10,000 से अधिक रचनाएँ और पत्र प्रकाशित. सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में qualify. पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.

5 COMMENTS

  1. मोहनचंद करमचंद गांधी की जन्मतिथि को ले आप विकमी संवत और ग्रेगोरी कैलेन्डर के टकराव में भारतीय पञ्चाङ्ग को कैसे अनावश्यक मान सकते हैं ?

    • वही तो मैंने कहा है !
      अंग्रेजी तारीख और विक्रमी संवती तारीख में तारतम्य नहीं है !

      • क्षमा करें, महाशय | आपने कहा नहीं, आपने पूछा है “फिर तो भारतीय पञ्चाङ्ग, पूर्णिमा, अमावस्या, नवमी, दशमी, एकादशी इत्यादि की क्या आवश्यकता है ?”

  2. आदरणीय महोदय,
    नमस्कार !
    बात मनाने की नहीं है ! बात सच की है । आपकी बात जो रही हो ! मेरी बात अकाट्य है ।
    बात ‘महात्मा गाँधी’ की है और उनकी आत्मकथा अगर उन्होंने ही लिखी है, तो अमल करने पड़ेंगे ! गाँधी जी सामान्य घरों से नहीं थे, न गरीब थे ! इसलिए विक्रमी संवत में कुछ और जन्मतिथि हो, अंग्रेजी तारीख में कुछ और….. फिर तो भारतीय पञ्चाङ्ग, पूर्णिमा, अमावस्या, नवमी, दशमी, एकादशी इत्यादि की क्या आवश्यकता है ? मेरी तथ्यात्मक कृत्य पर अन्वेषण करने को लेकर सभी स्वतंत्र हैं !
    आपने टिप्पणी करने के लिए कीमती समय यहाँ प्रदान किये, एतदर्थ सादर आभार, महोदय…..

  3. सदानंद पॉल जी, जन्म-तिथि को लेकर आपने अपने उत्कृष्ट शोधकार्य का प्रमाण दिया है| आप ऐतिहासिक कटिहार से संबंध रखते हैं और संभवतः १९७५ में आपका जन्म वहां किसी परिचर्या गृह अथवा निजी अस्पताल में हुआ होगा और इस कारण आपकी जन्म-कुंडली तिथि और शासकीय अथवा विद्यालय में पंजीकृत जन्म तिथि मार्च ५ ही हो| तनिक सोचें कृषि-प्रधान देश में अधिकांश जनसमूह गाँव में रहते दाई-मां पर निर्भर था| स्वयं मेरा अभ्यास बताता है कि मेरे जन्म पर परिवार में हर्षोल्लास के बीच गाँव के पुरोहित जी घर पधारे होंगे और उन्होंने मेरी जन्म-कुंडली भी बनाई थी| कहा जाता है मेरे पंजाब में उस वर्ष बहुत शीत पड़ी थी व दाई-माँ वसंत ऋतु की प्रतीक्षा में सात माह पश्चात दूर शहर में स्थित शासकीय-कार्यालय में जा मेरा और संभवतः गांव में अन्य सभी बच्चों के जन्म को पंजीकृत करा दिया| अर्थात सभी बच्चे पंजीकृत-तिथि को ही पैदा हुए थे! युग बीते १८६८ में क्या हुआ होगा अब आप भली प्रकार जान गए होंगे| मनाने दीजिये अक्तूबर २ जन्म दिवस|

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