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इस साल न हो पुर-नम आँखें - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
"इस साल न हो पुर-नम आँखें, इस साल न वो खामोशी हो इस साल न दिल को दहलाने वाली बेबस-बेहोशी हो इस साल मुहब्बत की दुनिया में, दिल-दिमाग की आँखें हों इस साल हमारे हाथों में आकाश चूमती पाँखें हों ये साल अगर इतनी मुहलत दिलवा जाए तो अच्छा है…