क्या बदल गयी है शिवसेना ?

मृत्युंजय दीक्षित
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब भाजपा का शिवसेना के साथ गठबंधन अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला है। आज की शिवसेना काफी बदल चकी है। आज के उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतो को भी दरकिनार कर दिया है। स्व. बालासाहेब ठाकरेे ने शिवसेना की स्थापना हिंदुत्व और भारतीयता की रक्षा के लिए की थी। स्व. बालासाहेब ठाकरे से अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले व पाकपरस्त राजनीति करने वाले दल व नेता थर थर कांपते थे। यह उन्हीं का प्रभाव था कि भाजपा शिवसेना गठबंधन महाराष्ट्र व देशहित में चलता रहा और एक बार मनोहर जोशी के नेतृत्व में शिवसेना ने भाजपा के सहयोग से सरकार भी चलायी। जब तक भाजपा में अटल- आडवाणी का नेतृत्व था तब तक शिवसेना के साथ कोई समस्या नहीं थी जो होती थी वह उच्चस्तर पर हल हो जाती थी। लेकिन वर्तमान में जमीन आसमना का अंतर हो गया है। अब भाजपा व देशभर मोदी शाह की जोड़ी का डंका बज रहा है। पहले महाराष्ट्र में भाजपा छोटे भाई की भूमिका में थी लेकिन अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पूरे देश में भाजपा को अपने पैरों पर खड़ा करने मे सफल हो रहे हैं।
भाजपा और शिवसेना के बीच तकरार अब और तीखी होती जा रही है। विगत विधानसभा चुनावों में ही महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन समाप्त हो गया था। शिवसेना ने अकेले चुनाव लड़ा लेकिन बाद में पुराने रिश्तों व कांग्रेस आदि दलों को रोकने के लिए भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हो गयी। शुरूआत में राज्य में ठीकठाक चला लेकिन इधर जब से महाराष्ट्र में नगर निकायों व मुंबइ्र नगर निगम के चुनावों की प्रक्रिया चालू हुई है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शिवसेना अब सत्ता का लोभ भी नाहीं छोड पा रही है तथा सत्ता के सहारे अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मोदी विरोधियो के साथ भी जोरदार ढंग से खड़ी हो गयी है तथा सरकार गिराने की धमकी भी दे रही है। भाजपा ने पूरी कोशिश की थी कि महाराष्ट्र व देशहित में गठबंधन बरकरार रहे। लेकिन नोटबंदी से परेशानी झेल रहे ठाकरे ने मुंबई की नगर निगम में अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए अपने सभी नीतियों व सिद्धांतो को भी दरकिनार कर दिया है।
शिवसेना ने अब तो आम आदमी पार्टी और बंगाल की ममता बनर्जी से भी खतरनाक रूप अपना लिया है। पीएम मोदी ने आठ नवबंर को नोटबंदी का ऐलान करते हुए भ्रष्टाचार, कालेधन और सीमा पर चल रहे आतंकवाद के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया तब से ठाकरेे मानसिक रूप से बीमार होते चले गये हैं। वह लगातार नोटबंदी के खिलाफ मुहिम में विपक्ष के साथ खड़े दिखलायी पड़ रहे हैं तथा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयानों का समर्थन कर रहे है। नोटबंदी पर उद्धव ठाकरे पानी पी -पीकर जहर उगल रहे हैं। विपक्ष के साथ धरना -प्रदर्शन कर रहे हैं तथा सामना पत्र में पीएम मोदी व सरकार के खिलाफ जहर उगलने वाले लेख भी लिख रहे हैं। अभी हाल ही में ंपीएम मोदी ने संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ पीएम मोदी ने कहा था कि बाथरूम में रेनकोट पहनकर स्नान करने की कला तो कोई आपसे सीखे इस पर भी शिवसेना ने कांग्रेस का ही साथ दिया था। आज शिवसेना अपने सियासी लाभ के लिए देशद्रोही हरकतों पर पूरी तरह से उतर आयी है।
वहीं भाजपा नेता शिसेना किरीट सौमेया ने अपने चिर परिचित अंदाज में शिवसेना नेताओं पर हवाला का कारोबार करने का अरोप लगाया है। अभी हाल ही शिवसेना ने भाजपा को कोबरा की संज्ञा देते हुए गठबंधन की सारी मर्यादाआंे को ताक पर रखने का फैसला कर लिया है। शिवसेना प्रमुख ने बयान दिया है कि हमारागठबंधन पिछले 25 साल से कोबरा के साथ था जोकि अब अपना फन निकाल रहा है । मैं जानता हूं ,इसे कैसे कुचला जाता है ।
बीएमसी चूनावों में सबसे बड़ा परिवर्तन यह देखने को मिला है कि अब शिवसेना मुसिलम मतदाता का तुष्टीकरण करने पर भी उतर आयी है। खबर है कि शिवसेना ने इस बार उर्दू अखबारों में मुस्लिम मतदाताओं का हमदर्द बनने की कोशिश करती दिखलायी पड़ रही है। शिवसेना ने इस बार पांच मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट भी दिया है। शिवसेना ने उर्दू पत्रों में भाजपा के खिलाफ हल्ला बोलते हुए अपने मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए टिकट भी मांगे हैं। इसमेे कहा गया है कि मुंबई सबसे अधिक टैक्स भरती है इसके बावजूद उसे कुछ नहीं मिला।नौकरियां जा रही हैं और गरीब कतारों में मर रहे हैं। यह शिवसेना का सबसे बड़ा परिवतन माना जा रहा है। यह शिवसेना यहीं पर नहीं रूक रहीं उसने भाजपा को और अधिक चिढ़ाने के लिए गुजरात के आगामी विधानसभा चुनावों व बीएमसी के चुनावों में पाटीदारों का जोरदार समर्थन हासिल करने के लिए हार्दिक पटेल को अपना मुख्यंत्री पद का चंेहरा घोषित कर दिया है और मानसिक विकृति का परिचय भी दे दिया है।
शिवसेना का रवैया पहले भी कई बार बिगड़ चुका है। जब प्रतिभा पाटिल का राष्ट्रपति पद के लिए चयन हो रहा था उस समय भी शिवसेना ने क्षेत्रवाद का समर्थन करते हुए प्रतिभा पाटिल को अपना सहयोग दिया था। शिवसेना हररोज व अपने समाचार पत्र सामना में पीएम मोदी व भाजपा के खिलाफ लगातार जहर उगल रही है। अब समय आ गया है कि भाजपा महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनावों की चिंता किये बिना शिवसेना को भी अपनी असली औकात पर ला दे। आज शिवसेना जो यहां तक पहुंची हैं उसमें भाजपा का भी बड़ा सहयोग रहा है। असली और वास्तविक कोबरा तो शिवसेना है जिसे कुचलने का समय आ गया है। यह सबकुछ आगामी 11 मार्च को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर ही निर्भर करता है तथा ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस बार महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में शिवसेना को अच्छा खासा नुकसान भी होने जा रहा है। शिवसेना में जो अहंकार पनपा है अब वह ध्वस्त करने का समय आ गया है। अभी एक टी वी चैनल मे साक्षात्कार के दौरान कंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने का भी था कि शिवसेना केंद्र व राज्य सरकार में सहयोगी भी हैं लेकिन वह पीएम मोदी व भाजपा के खिलाफ जमकर जहर भी उगल रही है। यह गठबंधन की शर्तों का उल्लंघन है लेकिन अब यह शिवसेना को तय करना है कि शिवसेना को वास्तव में क्या चाहिये। भाजपा ने अपनी ओर से कभी नहीं चाहा की 25 साल पुराने गठबंधन पर किसी प्रकार की कोई आंच आये। यह सबकुछ शिवसेना की ही ओर से हो रहा है जो अब निर्णायक दौर में पहंुचता दिखलायी पड़ रहा है। आज की शिवसेना पत्थरबाजों के साथ खड़ी है। आज की शिवसेना कालेधन, हवाला कारोबार, भ्रष्टाचार व आतंकवादियों के साथ दिखलायी पड़ रही है। आज की शिवसेना लगता है कि पाक के खिलाफ भी नरम है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी कई जगहों पर भाजपा को हराने के लिए वोटकटवा उम्मीदवारों को चुनाव मैदान मंे उतार दिया है यह देशहित के खिलाफ राजनीति कर है।
मृत्युंजय दीक्षित

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