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जब जागो तभी सवेरा है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हम क्या करें चारों तरफ अँधेरा है,हर तरफ मौत और खौफ का ही डेरा है।बीन बस आज बजाता है वो दिखावे का,आज साँपों से स्वयं मिल गया सपेरा है ।ख्वाब महलों का देख जुल्म पर कदम रखा ,छुआ तो देखा कि दलदल ये बहुत गहरा है ।हमने इन्सान को इन्सा…