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जबरा करे तो दिल्लगी, गबरू का गुनाह...!! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तारकेश कुमार ओझा तब साझा – चूल्हा और संयुक्त परिवार की खासी महत्ता थी। गांव हो या शहर हर तरफ यह गर्व का विषय होता था। बड़े – बुजुर्ग बड़े अभिमान से कहते थे बड़ा परिवार होने के बावजूद उनके यहां आज भी एक ही चूल्हा चलता है। लेकिन इस…