जम्मू – कश्मीर पर सदन में हुई चर्चा कितनी गंभीर ?

Ladakh_मृत्युंजय दीक्षित
विगत काफी दिनों से लगातार बिगड़ रहे जम्मू कश्मीर के हालातों के बीच 10 अगस्त 2016 को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पर एक और चर्चा हुई। इस गम्भीर चर्चा पर लगभग सभी दलों के सांसदों ने अपने विचार व्यक्त किये। सभी दलों के अधिकांश सांसदों ने एक माह से भी अधिक समय से कफ्र्यूग्रस्त कश्मीर पर अपने विचार रखे। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात यह रही कि सभी दलों के सांसदांे के पास जम्मू -कश्मीर समस्या का वास्तविक समाधान कैसे किया जाये व वहां पर पूर्ण रूप से स्थायी शांति और विकास का मार्ग कैसे प्रशस्त हो इस पर किसी सांसद के पास कोई नया अदभुत विचार नहीं था। सभी सांसद केवल राजनैतिक संवाद ओैर सर्वदलीय बैठक पर ही बल दे रहे थे।
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने बहस शुरू करते हुए सबसे पहले पीएम मोदी पर ही हमला बोलने लग गये कि पीएम मोदी सदन में कश्मीर पर नहीं बोलते बाहर बयानबाजी करते हैं उन्हें सदन में उपस्थित होकर बहस में भाग लेना चाहिये। यहीं नहीं आजाद ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहाकि आप जहां पहुंचे वहां आग लग जाती है। सभी दलों के सांसद केवल सर्वदलीय बैठक बुलाने की ही मांग करते नजर आ रहे थे किसी के पास कोई नया विचार नहीं था।सांसद शरद यादव ने भारतीय सेना की बहादुरी की प्रशंसा करने की बजाय केवल पैनेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने पर दबाव बना रहे थे तथा उसके विषय में गलत बयानबाजी भी कर रहे थे। कांग्रेस के जो सांसद सर्वदलीय बैठक की रट लगाये थे उसी कांग्रेस पार्टी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जब विगत 23- 24 जुलाई को कश्मीर का दौरा किया था वहां पर बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था जिसका उल्लेख गृहमंत्री ने अपने भाषण में किया भी है। किसी भी विरोधी दल के सांसद ने चर्चा के दौरान सेना व बीएसएफ आदि के कामों की तारीफ नहीं की जिन्होनंे इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी कश्मीर को भारत से जोड़कर रखा है। सभी सांसद लोकतंत्र की दुहाई देकर सभी पक्षों से वार्ता का प्रस्ताव दे रहे थे लेकिन किसी भी दल ने कश्मीरी पंडितों के हित व उनके दर्द की बात नहीं की। कश्मीरी पंडितों के दर्द व उनसे भी बात करने की याद केवल राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने की।
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद पीएम मोदी व भाजपा पर हमला करते समय यह भूल गये कि आज कश्मीर मेंं जो हालात पैदा हुये हैं उसके बीज नेहरू – अब्दुल्ला की जोड़ी व उसके बाद लंबे समय तक चलते आ रहे कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों के शासन का ही प्रतिफल है। आज अलगाववादियों व पत्थरबाजों की जो भारी भरकम फौज खड़ी हो गयी है उसके पीछे कांग्रेसी विचारधारा ही है। अभी तो जम्मू – कश्मीर में महबूबा सरकार के गठन को लम्बा समय भी नहीं हुआ है । इस समय वहां पर एक महिला मुख्यमंत्री है तथा पीडीपी- भाजपा गठबधन की एक सशक्त विकासवादी सरकार है जो देशविरोधी ताकतों को पसंद नहीं आ रही है। किसी भी विरोधी सांसद ने खुले दिल से महबूबा सरकार के कामकाज की प्रशंसा तक नहीं की। आज सभी दलांें के नेता यह मांग कर रहे हैं कि अटल जी के समय मरहम लगाने का जो काम शुरू किया गया था उसे ही आगे बढ़ाया जाये, लेकिन इन्हीं लोंगो ने अटल जी के साथ कैसा व्यवहार किया सभी कोई जानता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी में ही यह साहस था कि वे संबंध सुधारने के लिये बस से लाहौर गये बदले में उन्हें कारगिल मिला। उसके बाद अभी हाल ही में पीएम मोदी पाक पीएम नवाल शरीफ के साथ संबंधों को सुधारने के लिए कई पहल कर चुके हैं , उन सबका क्या परिणाम निकला?
सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह रही कि किसी भी सांसद ने हिजबुल आतंकवादी सैयद सलाउददीन के उस बयान की चर्चा नहीं की जिसमें वह भारत पर परमाणु युद्ध की धमकी दे रहा है। किसी भी सांसद ने पाकिस्तान में चलायी जा रही उस ट्रेन की कठोर शब्दों में निंदा नहीं की जिसमें आतंकी बुरहान को महिमामंडित करने के लिए उसे पोस्टर लगाये गये हैं। सभी विरोधी सांसद केवल पीएम मोदी के सदन में आकर चर्चा करने और कड़ा बयान देने की ही बात कह रहे थे और तंज कस रहे थे। इन सभी संासदांे को यह नहीं पता कि जम्मू कश्मीर पता नहीं कितनी बार सर्वदलीय बैठक हो चुकी हैं तथा कितनी बार विचार- विमर्श हो चुका है। कांग्रेस सांसद लगता है कि अपनी पुरानी स्मृतियों को विस्मृत कर चुके हैं ।1994 में ही संसद के दोनों सदनों ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पास किया था जिसमें कहा गया है कि अब पाकिस्तान से केवल एक ही बात होनी है कि वह गुलाम कश्मीर को खाली करे। जम्मू कश्मीर से सांसद डा कर्ण सिंह ने कुछ हद तक उचित व गम्भीर बात रखीं। डा कर्ण सिंह ने चर्चा के दोरान कहा कि कश्मीर घाटी की समस्या आर्थिक नहीं अपितु राजनैतिक अधिक है इस समस्या का समाधान राजनैतिक अधिक होना चाहिये। अब उनसे यह भी पूछना जरूरी हो गया है कि आखिर कश्मीर की समस्या को राजनैतिक किसने बना दिया है, अभी तक वे कहां सो रहे थे ? डा ़ कर्ण सिंह ने कम से कम आर्थिक पैकेज देने का विरोध नहीं किया। सभी संासदों को सुनने के बाद कइ बातें तो स्पष्ट हो गयी हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ओैर हमेशा रहेगा। पाक पीएम कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने का जो सपना देख रहे हैं वह फिलहाल कभी भी पूरा नहीं होने जा रहा है। यह भी आम राय बन गयी कि घाटी के हालात बिगाडनें में पाकिस्तान व खुफिया एजंेसी आईएसआई की भूमिका सर्वोपरि है। कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों के लिये जो यह कहानी गढ़ी जा रही है कि बेरोजगारी के कारण ही पत्थरबाज पैदा हो रहे इसमें कोई दम नहींे हैं उसके पीछें कई और स्थानीय कारक भी हैं जिनके कारण पत्थरबाज पैदा हो रहे हैं।
चर्चा का अंत करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब पाकिसतान के साथ केवल यही वार्ता होगी कि वह गुलाम कश्मीर को कब और कैसे खाली करेगा साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत की धरती पर पाकिस्तान जिंदाबाद और आईएस के झंडे कभी भी बर्दाश्त नहीं किये जायेंगे। गृहमंत्री राजनाथ ंिसंह ने जम्मू कश्मीर के चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की भी संक्षिप्त जानकारी दी। एक प्रकार से कश्मीर पर जो बहस हुयी वह उस गंभीरता से नहीं हुयी जिस प्रकार से वास्तव में होनी चाहिये थी। बहस की शुरूआत में ही वित्तमंत्री अरूण जेटली को माननीय सदस्यों से अनुरोध करना पड़ गया था कि कश्मीर को लेकर जो भी बहस हो वह दलगत भावना से उपर उठकर हो लेकिन फिलहाल ऐसा दिखा नहीं। यदि कहा जाये कि अलगाववादियों और पाकिस्तान में कश्मीर को लेकर एकजुटता नजर आ रही हैं तो अभी भारत में कश्मीर को लेकर केवल सर्वदलीय बैठक तक ही विचार सीमित रह गया है।
यह बात बिलकुल सही है कि हर भारतवासी का दिल जम्मू कश्मीर के लिए धड़कता रहता है। भारत का हर नागरिक किसी न किसी बहाने जम्मू कश्मीर में घूमने का आनंद लेना चाहता है। जम्मू कश्मीर भारत का नूर है नूर। माता वैष्णों देवी की कृपा बरसती है कश्मीर की धरती पर। कश्मीर की धरती पर देवताओं का वास है यही कारण है कि जम्मू कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा गया है। लेकिन आज हमारे कश्मीर की धरती जल रही है और इसे कोई और नहीं जला रहा अपितु हमारा नापाक पड़ोसी पाकिस्तान जला रहा है। अलगाववादी जल रहे हैं। पाकिस्तान और अलगाववादियों से राजनैतिक संवाद कायम किया जाये ऐसा कतई नहीं हो सकता। गृहमंत्री राजनाथ सिंह का यह कथन सही है जिसमें उन्होनें कहाकि पाकिस्तान से अब केवल एक ही बात होगी और वह है गुलाम कश्मीर को पाकिस्तान खाली करे।

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