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जन-मन के बिना ‘गण’तंत्र ; अनर्थकारी षड्यंत्र - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मनोज ज्वाला हमारे राष्ट्र-गान में ‘जन-मन’ के बीच में है ‘गण’ । शब्दों के इस क्रम के अपने विशेष निहितार्थ हैं । जन अर्थात जनता को अभिव्यक्त करने वाला व्यक्ति तथा गण अर्थात व्यक्तियों के संगठन-समूह अथवा उनके प्रतिनिधि और मन अर्थात इच्छा या पसंद । “ जन-गण-मन अधिनायक जय…