pravakta.com
झकझोरता चित चोरता (मधुगीति १५०५०५-३) - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-गोपाल बघेल 'मधु'- झकझोरता चित चोरता, प्रति प्राण प्रण को तोलता; रख तटस्थित थिरकित चकित, सृष्टि सरोवर सरसता । संयम रखे यम के चखे, उत्तिष्ठ सुर उर में रखे; आभा अमित सुषमा क्षरित, षड चक्र भेदन गति त्वरित । वह थिरकता रस घोलता, स्वयमेव सबको देखता; आत्मा अलोड़ित छन्द कर,…