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झारखंड: इस (कुर्सी) प्यार को मैं क्या नाम दूं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-पंकज झा फिर छिड़ी रात बात कुर्सी की. फिर मलाई के लिए लार टपकाने का दौर शुरू. फिर खंड-खंड झारखण्ड के टुकड़े में हिस्सेदारी के लिए जंग. फिर ‘राष्ट्रवाद’ नाम के चिड़िये का पंख नोच खसोट लेने की जद्दोजहद. शिकायत और किसी से नहीं भाजपा से है. उस भाजपा से…