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जीवन का अधूरापन - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मुझे याद है प्रिय शादी के बाद तुम दूर-बहुत दूर थी मैं तुम्हारे वियोग में दो साल तक अकेला रहा हॅू। बड़ी शिद्दत के बाद तुम आयी थी तुम्हारे साथ रहते तब दिशायें मुझे काॅटती थी और तुम अपनी धुन में मुझसे विलग थी। तुम्हारा पास होना अक्सर मुझे बताता…