जीवन में आशा निराशा

0
160

लाओ न निराशा जीवन में,
आशा का तुम संचार करो।
निराशा कर देती जीवन नष्ट,
इसका तुम बहिष्कार करो।।

आशा ही तो एक जीवन है,
निराशा तो अंधकार लाती है।
करो साकार स्वप्न आशा के तुम,
आशा ही निराशा को भगाती है।।

बनाओ आशा को जीवन संगनी,
निराशा तो जीवन की सौतन है।
उसके पास न जाना कभी तुम,
वह तो जीवन की एक खोतन है।।

निराशा मे ही तो आशा छिपी है,
इसका जरा संधि विच्छेद करो।
मालूम चल जाएगा तुमको भी,
इसका जरा सा तुम मनन करो।।

आशा निराशा जीवन के पहलू हैं,
उनका केवल तुम आभास करो।
कभी न जीवन में निराशा लाओ,
उसका न जीवन में सत्कार करो।।

फैल रहा है कोरोना सारे जग में,
उसका न तुम कभी विस्तार करो।
मुंह पर मास्क,दो गज की दूरी,
इसका तुम सदैव ध्यान करो।।

Previous articleराजगृह का राजवैद्य जीवक
Next articleजो शहीद हुए हैं वतन पे
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here