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लोकैषणा से मुक्त व जीवात्मा की अल्पज्ञता के सिद्धान्त को प्रचारित व स्वयं स्वीकार करने वाले अपूर्व महापुरुष ऋषि दयानन्द - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मनमोहन कुमार आर्य संसार में जो मनुष्य उत्पन्न होता है वह अल्पज्ञ अर्थात् अल्प, अधूरे व सीमित ज्ञान वाला होता है। ज्ञान में सर्वज्ञ व पूर्ण तो केवल ईश्वर ही होता है। अल्पज्ञता व अविद्या के कारण मनुष्यों में लोकैषणा, वित्तैषणा तथा पुत्रैषणा पायी जाती है। संसार का शायद ही…