जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव : उत्कर्ष व अपकर्ष का आता समय विशेष

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जम्मू कश्मीर में कमल नहीं खिला है ,बल्कि राष्ट्रवाद मुखरित हुआ है । डीडीसी चुनावों ने यह स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि जम्मू कश्मीर की जनता लोकतंत्र और भारत के साथ है । डीडीसी चुनाव परिणामों से उन देश विरोधी शक्तियों को जवाब मिला है जो कुछ समय पूर्व ही यह कह रही थीं कि जम्मू कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा। जम्मू कश्मीर की देशभक्त जनता ने इन शक्तियों को बता दिया है कि जम्मू कश्मीर में तिरंगा उठाने वाले, भारत माता की जय बोलने वाले और ‘वंदेमातरम’ कहकर गौरवान्वित होने वाले लोग ही अधिक हैं।
वास्तव में पिछले लंबे काल से जम्मू कश्मीर की जनता को भारत से काटकर और उसे अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रयोग करने की जिस प्रकार की योजनाएं मुफ्ती और शेख परिवार अपना रहा था, उससे अब वहां के लोगों को मुक्ति मिलने का मार्ग साफ दिखाई देने लगा है। लोगों को पता चल गया है कि कौन लोग थे जो उन्हें भारत से काट रहे थे ? यही कारण है कि डीडीसी चुनावों में कश्मीर के लोगों ने गुपकार गैंग को पूर्णतया नकार दिया है। यदि एक – एक दल की सीटों पर विचार किया जाए तो भाजपा सबसे अधिक सीटें लेकर सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी है। 280 में से 109 सीट लेकर गुपकार गैंग 7 राजनीतिक पार्टियों का एलायंस बनाकर भी घाटे में रहा है । एलायन्स बनाकर चुनाव में उतरने की मुफ्ती महबूबा और शेख परिवार की रणनीति से ही पता चल जाता है कि वह चुनाव से पूर्व ही यह समझ चुके थे कि जनता उन्हें नकार चुकी है और उनमें से कोई भी अकेले अपने दम पर सम्मानजनक सीटें प्राप्त नहीं कर पाएगा।
पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस केवल अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए ही चुनाव में उतरी थीं। इन दोनों राजनीतिक दलों के नेता जिस प्रकार की देश विरोधी भाषा का प्रयोग कर रहे थे और चीन व पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने के लिए भारत का विरोध करने तक की स्थिति में आ गए थे , उससे पता चल रहा था कि कि उनके पैर उखड़ चुके थे और इसी कारण उनकी बौखलाहट बढ़ती जा रही थी। कांग्रेस ने 280 में से केवल 26 सीटें लेकर जैसे – तैसे अपनी नाक बचाई है।धारा 370 को संविधान में असंवैधानिक रूप से स्थापित कराने वाली कांग्रेस धारा 370 को फिर से बहाल करने का शोर तो मचा सकी लेकिन जम्मू कश्मीर की जनता ने उसे पूर्णतया नकार दिया। मानो जनता ने उसे उसके पाप का फल दे दिया कि तेरे कारण ही कश्मीर का स्वर्ग नरक बन गया। वास्तव में यह बहुत ही दुखदायक बात थी कि कांग्रेस ने कश्मीर की केसर को बारूद में बदलकर वहां की सियासत और विरासत दोनों को ही खूनी बना दिया। धारा 370 और मुस्लिम तुष्टीकरण के आधार पर कश्मीर के मतदाताओं को मूर्ख बनाने वाली कांग्रेस को शायद अपनी ऐसी फजीहत की स्वयं भी अपेक्षा नहीं होगी। अपनी इस अप्रत्याशित फजीहत पर कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह कहकर सफाई दी है कि कांग्रेस जम्मू और कश्मीर घाटी के अलग-अलग मुद्दों के बीच फँसकर रह गई है। बेचारे अभिषेक मनु सिंघवी यह कैसे कह सकते हैं कि जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का नेतृत्व और उसकी नीतियां पराजित हुई हैं और कश्मीर को हमारी भूलों का स्मारक बनाने वाली कांग्रेस को उसके किए का फल मिला है।

किये का फल भोगना पड़ता रहा हमेश ।
उत्कर्ष व अपकर्ष का आता समय विशेष ।।

कांग्रेस सहित सारा सेकुलर विपक्ष चाहे प्रधानमंत्री मोदी को कितना ही फेंकू और झूठ बोलने वाला कह ले, लेकिन सच यह है कि अपनी बात को जनता के गले उतारने में प्रधानमंत्री मोदी सफल हुए हैं। कश्मीर की जनता ने उनकी बात पर विश्वास किया है और उनमें यह भरोसा भी व्यक्त किया है कि उनके रहते ही कश्मीर से पत्थर बाज भाग सकते हैं और केंद्र से कश्मीर के विकास के लिए जाने वाला पैसा वास्तव में लोगों को मिल सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करके कश्मीर के मतदाताओं ने एक तो यह स्पष्ट किया है कि वे देश की मुख्यधारा में रहने के लिए पूर्णतया तैयार हैं। दूसरे उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान या किसी भी पड़ोसी शत्रु देश के हाथों की कठपुतली बनकर अपने भविष्य को बर्बाद करना नहीं चाहते । तीसरे, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि उनके नौजवान भटके हुए नहीं हैं बल्कि भटकाये गए थे और अब वे नौजवान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नया कश्मीर बनता हुआ देखना चाहते हैं। चौथे, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जितने भी सेकुलर राजनीतिक दल हैं उन्होंने मुस्लिमों को केवल मूर्ख बनाया है और उनकी मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति मुस्लिमों के लिए बहुत घातक सिद्ध हुई है। पांचवें उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर के स्थानीय राजनीतिक दल केवल खानदानी विरासत को लेकर आगे बढ़ते रहे और अपने स्वयं के सियासी लाभ के दृष्टिगत केंद्र सरकार और भारत दोनों को मूर्ख बना बनाकर कश्मीर के नाम पर अपनी तिजोरी भरते रहे । उन्होंने सियासत को तिजारत में बदल दिया।
कश्मीर के राजनीतिक दल पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व में सारे सांप बिच्छू एक साथ बैठे। पर जनता ने उन सबको पहचान लिया कि इनमें से कौन सा सांप है और कौन सा बिच्छू है ? और यदि यह सारे एक साथ बैठे हैं तो केवल ‘मोदीभय’ के कारण ऐसा कर रहे हैं। क्योंकि सारे इन भ्रष्टाचारी,पापाचारी और देशविरोधियों के काले कारनामे अब जनता के सामने उजागर होने लगे हैं। अपने पाप को छुपाने के लिए यह सारे के सारे अपने मूल सांप धर्म और बिच्छू धर्म को भूलकर जनता के सामने जिस प्रकार का प्रदर्शन कर रहे थे, उसको जनता ने भली प्रकार पहचान लिया और इन्हें बता दिया कि तुम्हारी वास्तविक औकात क्या है?
वास्तव में किसी भी देश में लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब उसके मतदाता जागरूक हों ।यदि मतदाता सोए हुए हैं या किन्हीं भी स्थानीय मुद्दों में बहककर राष्ट्रीय मुद्दों को गौण कर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं तो ऐसे देश या समाज के लिए लोकतंत्र बोझ बन जाता है। जब देश के राष्ट्रवादी लोगों के साथ स्थानीय मुद्दों को उपेक्षित कर राष्ट्रहित में मतदाता अपने मत का प्रयोग करना सीख जाता है तब उस देश में स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बलवती करने में सहायता मिलती है । देश लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाकर शांतिपूर्वक आगे बढ़ता है । ऐसे परिपक्व राजनीतिक निर्णय से मतदाता पत्थरबाजों को भी हवा में उड़ा देते हैं और देश की सेना से लड़ने वाले हर तथाकथित भटके हुए नौजवान को भी बंदूक की बजाए कलम हाथ में पकड़ा देते हैं और उससे कह देते हैं कि वास्तविक रूप से लोकतांत्रिक शक्ति हमारे मत में समाविष्ट है, इसलिए हमारे द्वारा चुनी हुई सरकार के आदेशों का पालन कर देश की मुख्यधारा के साथ रहना सीखो।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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