जनलोकपाल दो बूंद राजनीति का

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अब्दुल रशीद

देश मे भ्रष्टाचार अमर बेल की तरह बढता ही जा रहा है। और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए टीम अन्ना ने जिस तरह से स्वयं द्वार चलाए जाने वाले आन्दोलन को राजनैतिक रंग दे कर समाप्त किया उससे ये बात आईने की तरह साफ़ हो जाती है कि टीम अन्ना की नीयत क्या थी। टीम अन्ना ने जब इस मुहिम की शुरुआत की तभी ऐसा लगा कि कहीं न कहीं कोई राजनैतिक खिचडी पक रही है। जिसे पकाने के लिए जनता के आवेशरुपी आग का इस्तेमाल किया गया। क्योंकि यह बात समझ के परे है् कि रातों रात “मैं भी अन्ना हूं” टोपी पहनें लोग जंतर मंतर पर कैसे इकट्ठा हो गए आखिर रातों रात लाखो टोपी बिना पुर्वनियोजन के कैसे बनकर तैयार हो गई, वह कौन से लोग थे जो इस पुर्वनियोजित काम में पैसा लगा रहे थे? इस अहम सवाल का जवाब भीड़ के हुड़दंग और राजनैतिक पैतरे बाजी में कहीं गुम हो गया?

आरोप प्रत्यारोप और गांधीवादी होने का सच

अन्ना का उद्देश्य भले ही जनहित के लिए ठीक था लेकिन उनका तानाशाही तरीक़ा यकीनन लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं था। दरअसल टीम अन्ना के लोग अन्ना हज़ारे जैसे साफ छवि के सहारे अपनी राजनैतिक मंशा पूर्ण करना चाहते थे । और अपनी ओछी राजनीति को पूर्ण करने के लिए आरोप और झूठ का सहारा लेकर आम जनता को गुमराह करने लगे। अपने को प्रचारित करने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सहारा लेते हुए टीम अन्ना ने आंदोलन को गांधीवादी और टोपी को गांधी टोपी कहकर प्रचारित किया जबकि न तो आंदोलन का तरीक़ा गांधीवादी था और टोपी गांधी टोपी था। हकीक़त तो यह है की गांधी जी काठियावाड़ी पगड़ी पहन कर आन्दोलन की शुरुआत किए थे हां नेहरु जी टोपी पहना करते थे अब उस टोपी को गांधी टोपी कहकर प्रचारित करने का उद्देश्य क्या था यह तो टीम अन्ना ही बेहतर बता सकता था जो अब बिखर चुकी है। और शायद टीम अन्ना में से कोई इतना पाक साफ नहीं था जिनका सर काठियावाड़ी पगडी का बोझ सह सकती। जब ब्रिटेन तानाशाही ताक़तों से लड़ रहा था उस वक्त आ्ज़ादी के लिए हो रहे आंदोलन के दौरान यह भी आदेश दिए थे कि युद्घ के दौरान प्रशासनिक कार्य ठप नहीं किए जाए। जो इस बात की तस्दीक करता है की वे आजादी के साथ देश कि व्यवस्था को भी बरकरार रखना चाहते थे। लेकिन पहले टीम अन्ना का आन्दोलन और अब केजरीवाल के आंदोलन करने का तरीक़ा बस विरोध और आरोप नीति पर आधारित है। केजरीवाल तो सरकारी बिजली बिल को फाडने का और भुगतान न करने के लिए लोगों को उकसा रहें हैं? क्या केजरीवाल के पास ऐसी कोई शासन व्यवस्था है जो देश को मुफ्त में बिजली दे सकेगा? कहने में क्या जाता है प्रचार तो मिल ही रहा है और शायद इसी बहाने राजनैतिक सुख भोगने को मिल जाए देश में कैसे व्यवस्था चलती है उससे केजरीवाल जी को क्या लेना देना। उनकी बात मानकर यदि पूरे देश के लोग बिजली का बिल न दे तो देश में केजरीवाल के हवा हवाई बिजली परियोजना से बिजली आपूर्ति होगी। मौजूदा हालात में राजनैतिक प्रतिबद्धता और प्रशासनिक गोपनीयता की कमी के कारण ही ऐसी बाते आम हो जा रही है जो सत्तापक्ष के खिलाफ होती है। और ऐसी ही बातों को लेकर अरविंद केजरीवाल जैसे चतुर लोग हो हल्ला मचा कर वाह वाही लूट रहें हैं। लेकीन क्या वाहवाही से समस्या का समाधान हो सकता है,शायद नहीं। उसके लिए चाहिए एक व्यवस्था जो भ्रष्टतंत्र कि व्यवस्था को तोड़ सके।

 

क्या जनलोकपाल सारे समस्याओं का समाधान है?

हमारे देश की कानून व्यवस्था ऐसी है जो सत्ता को अधिकार देता है अर्थात तंत्र को लोक पर शिकंजा कसने का मौका देता है। आम जनता को कोई व्यवसाय करना है तो सरकार से अनुमति लेना होगा,घर बनाना है तो अनुमति लेना होगा,यानी हर छोटी बड़ी बात के लिए अनुमति लेना होगा आनुमति लेने के लिए इतने नियम कानून है कि सभी को पूरा करना न तो संभव है और न ही व्यवहारिक है जैसे नर्सिंग होम चलाने के लिए नर्सों की संख्या जबकि सरकारी अस्पताल में भी कमीं है लेकिन सरकारी के लिए चलता आम इंसान के लिए नहीं,कारण उनको लाइंसेंस की जरुरत नहीं आम नागरिक को जरुरत है लाइंसेंस की। और लाइंसेंस देने वाला तंत्र है जो लोक की समस्याओं से ज्यादा लोक की मजबूरी का फायदा उठाने के लिए ताक लगाए बैठा रहता है। ऐसे हालात में लोक क्या करे या तो जीविका चलाने के लिए सभी नियम कानून को पूरा करे या फिर भूखे मरे? आत्महत्या भी किया तो ठीक लेकिन बच गए तो तंत्र के कानूनी शिकंजा का आप पर कसना तय है। ऐसे में लोक क्या करे समस्याओं के बीच पेण्डूलम बन कर डोलता रहे या फिर तंत्र को रिश्वत दे कर समस्याओं से मुक्ति पाए। जहां इतने नियम कानून पहले से ही है जिसकी वजह से लोक को तंत्र बैठकर नियम कानून का भय दिखा कर चूस रहा है ऐसे में क्या जनलोकपाल सभी समस्याओं का अंत कर देगा ज़रा ईमानदार हो कर सोंचिए। कहीं ऐसा न हो जाए के जनलोकपाल के नाम पर देश में एक और राजनैतिक पार्टी तो बन जाए लेकिन समस्या का अंत होने के बजाय समस्या और बढ जाए। क्योंकि जनलोकपाल भी तो सरकारी तंत्र का ही हिस्सा होगा यानी सुप्रीम पावर युक्त तंत्र। जब तंत्र कानून का भय दिखा कर लोक का जीना बेहाल कर रखा है तब सुप्रीम पावर युक्त तंत्र भी तो तंत्र को रिश्वतखोरी करने कि आजादी के नाम पर रिश्वत नहीं वसूलेगा इस बात की क्या गारंटी। तब क्या फिर एक और कानून?

जन आंदोलन से जन्में राजनैतिक पार्टी का हश्र

बदलाव,भ्रष्टाचार मिटाने जैसे लोक लुभावन नारों के सहारे अरविंद केजरीवाल से पहले भी कई नौकरशाहों ने राजनैतिक पार्टियाँ बनाई लेकिन बदला कुछ नहीं हां वे जरुर राजनैतिक दलदल का हिस्सा बन कर रह गए। केजे अल्फांस- 1994 में टाइम मैगज़ीन ने नई सदी के 100युवा नेताओं में शुमार किया 2006में निर्दलीय विधायक बने वाम दल के समर्थन भी रहा। 2011 में भाजपा के सदस्य बन गए। कैप्टन गोपीनाथ–एयर डेकन की स्थापना की। लोगों को सस्ते हवाई तात्रा की सेवा दी लेकिन 2009 में जब चुनाव लड़े तो हार गए। एन.जयप्रकाश नारायण आंध्रप्रदेश के आईएएस अधिकारी एन जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लोकसत्ता पार्टी बनाई 3साल हो गए पार्टी तीन राज्यों में चुनाव तो लड़ती है लेकिन पार्टी के वे इकलौते विधायक हैं। अब अरविंद केजरीवाल आईएएस अधिकारी रहे हैं जो चमत्कारी सिद्धांतों के साथ राजनैतिक पार्टी बनाकर भ्रष्टाचार को मिटाने का दावा कर रहें हैं चमत्कार से भ्रष्टाचार मिट जाएगा या दलों के दलदल में चमत्कारी सिद्धांत कहीं गुम हो के रह जाएगा यह यक्ष प्रश्न तो भविष्य के गर्भ में छुपा है। और अंत में शाहरुख खान कि फिल्म ओम शांति ओम का डायलॉग कहानी अभी खत्म नहीं हुआ है पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त———————।

5 COMMENTS

  1. मेरी मातृ–भाषा पंजाबी में एक कहावत है, “ਪਿੰਡ ਵਸਿਆ ਨਹੀਂ ਚੋਰ ਉੱਚਕੇ ਪਹਲੇ ਆ ਗਏ|” मतलब, गाँव बसा नहीं चोर और उठाईगीर पहले आ पहुंचे हैं| देखता हूँ कि निशा मित्तल के जागरण ब्लॉग पर प्रस्तुत कविता “सुन लो पुकार आज (विजयादशमी पर)” के उत्तर में दी मेरी काव्यात्मक टिप्पणी यहाँ अवश्य उपयुक्त है|
    कुम्भकर्णी निशाचर नहीं, हैं भारतीय वसुंधरा पर बैठे नेता|
    कल का कलिकाल नहीं, है वैश्विक उपभोक्तावाद पिशाचसभा||
    क्रंदन, होता हाहाकार नहीं, हैं सब हा हा हँसते नेता मिल संगी|
    अनाचार कारण भारित नहीं, हैं भ्रष्टाचार-ग्रस्त अराजकता चंगी||
    गाँव गाँव में गरीब गवांर को लोकतंत्र का जामा पहनाया|
    फुसला बहला, उस विद्याहीन गरीब ने अपना वोट गंवाया||
    अपना भला न जाने मस्त कलंदर; हँसते हँसते चढ़ गया सूली पर बंदर|
    डूबा अपने साथ ले औरों को लाला; एक एक खा गया देश का रखवाला||
    आओ कोई गंवार को कुछ सबक सिखाओ, अपने जैसा समझदार तुम उसे बनाओ|
    विद्या दो उसे खड़ा करो अपने पैरों पर, कोई मक्कार न ठगे उसे भोला समझ कर||
    घोर अन्याय देख अरविंद है आता, उठे रोकने उसे चोरों के भ्राता|
    राष्ट्रवाद का गीत सिखाओ, साथ हम अरविंद चोरों को दूर भगाओ||

    • कभी” इंडिया अगेंस्ट करप्शन” के वाहन पर बैठे कपटी अरविन्द केजरीवाल के प्रभाव में आ मैं यहाँ अपनी टिप्पणियों के लिए बहुत लज्जित हूँ| भारत के इतिहास में ईस्ट इंडिया कंपनी, अंग्रेजी साम्राज्य और तत्पश्चात उनके कार्यवाहक प्रतिनिधि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन में अब तक लगे भारतीय मूल के देशद्रोहियों से दुष्टतर अरविन्द केजरीवाल आज स्वतन्त्र भारत के माथे पर कलंक है|

  2. अन्ना आन्दोलन ने बाकि कुछ किया या न किया हो परन्तु भर्ष्टाचार के प्रति लोगो में जागरूकता जरुर ला दी है राजनेतिक रंग इस आन्दोलन को अन्ना ने तो दिया नहीं ये केजरीवाल की करतूत है केजरीवाल की महत्वकांक्षा पहले या अभी जो भी हो कुछ सवालों के जवाब जनता उनसे जरुर चाहती है क्योंकि इस टीम की देश के प्रति निष्ठां सदेव सदिग्ध रही है

    1. आपकी टीम के प्रशांत भूषन ने कश्मीर पर जो प्रतिक्रिया दी थी क्या आपकी पार्टी जितने के बाद इसी रूख को आगे बढाएगी। क्या आप कश्मीर के विष्थापित हिन्दुओ की बसाये बिना वहा पर बैठे पाकिस्तानी मुस्लिमो से रायशुमारी करवा कर कश्मीर को पाकिस्तान को दे दोगे।

    2. आपकी टीम के प्रशांत भूसन, संदीप पाण्डेय और अरुंधती राय के हिसाब से कसाब और अफजल गुरु बेक़सूर है और उनको माफ़ी दे देनी चाहीये। क्या आपकी पार्टी भी इस मुद्दे को इसी तरीके से उठाएगी।

    3. आपकी पार्टी की मुख्य सदस्य शाजिया इल्मी ने एसअफई की रैली का समर्थन किया था जो की सिमी(इस्लामिक आतंकवादी ग्रुप) जो की भारत मैं प्रतिबंधित है का समर्थन करती आ रही है और कोर्ट मैं सिमी पर से प्रतिबन्ध हटाने के लिए केस भी लड़ रही है। क्या आप भी अपनी पार्टी के मुख्य सदस्य के साथ सिमी से प्रतिबन्ध हटवाने के लिए लड़ेंगे।

    4. आपकी टीम के सदस्य अरविन्द गोड ने बाटला हाउस के इन्कौन्टर को फर्जी बताया था और शहीद मोहन चन्द्र शर्मा की शाहदत पर सवाल उठाये और उनका अपमान किया, क्या आपकी पार्टी के सदस्य चुनाव जितने के बाद भी यही रूख कायम रखेंगे और मुस्लिम तुस्टीकरण को कांग्रेस की तरह बदयेंगे ?

    5. आपकी टीम के सदस्य प्रशांत भूसन, मेघा पाटकर, संदीप पाण्डेय आदि कश्मीर से सेना हटाने की मांग कर रहे है क्या ये सही है और आप का रूख इस पर क्या है। क्या सेना को कश्मीर से हटा कर इस देश की सुरक्षा को दाव पर लगा दिया जाए सिर्फ मुस्लिम तुस्टीकरण के लिए…?

    6. आपकी टीम के सदस्य संजय सिंह ने माननीय श्री मोदी जी को मानवता का हत्यारा बताया था क्या आपकी नजर मैं सिख दंगे, असाम दंगे, मुंबई का दंगा, बरेली मैं खुले आम कवदियो पर गोली चलाने वाले मुस्लिम दूध के धुले है और इनको सुपोर्ट करने वाली कांग्रेस और मुलायम सरकर मानवता के रक्षक है या सिर्फ अपने को सेकुलर दिखने के लिए मोदी को गली देने का ट्रेंड आप आगे बड़ा रहे है

  3. यह लेख मै पुरा पढ नही पाया यह लेख पढने पर ऐसा प्रतीत हुआ मानो प्रवक्कता के मँच पर किसी ने टट्टी कर दिया हो ।

  4. वाह उस्ताद! मान गए.क्या उस्तादी दिखाई है?अगर आप अपना फोटो लगा देते तो आपके दीदार का भी सौभाग्य प्राप्त हो जाता. आप कौन हैं,यह जानना जरूरी नहीं है,क्योंकि आपकी यह विचार धारा इतनी क्रांतिकारी हैकि वर्तमान की सभी राजनैतिक पार्टियाँ आपकी मुरीद बन जायेंगी.देश के हालात इतने अच्छे हैं,फिर भी इन चंद सरफिरों को न जाने क्या हुआ है कि वे इस बात कोसमझ नहीं पा रहे हैं..मैं तो यह कहूँगा कि इधर उधर लिखने के बजाय आप उनको प्रत्यक्ष दर्शन देकर इस गुनाह से क्यों नहीं बचाते?गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ १९२१ या १९२२ के आस पास सविनय अवज्ञा और असहयोग आन्दोलन चलाया था.अगर आप भूल गए हो तो इतिहास के पन्नों में वह मिल जायेगा.रही बिजली और उसके मुफ्त वितरण की बात तो यहाँ भी आपकी याददास्त काम करती हुई नहीं नजर आ रही है.जो टीम बिजली के बढे हुए दामों के विरुद्ध आन्दोलन कर रही है उन्होनेतो इतना ही कहा है कि जब कि एक अध्यक्ष के अनुसार बिजली के दामों मन कटौती होनी चाहिए थी तो उसके हटते ही दाम बढ़ कैसे गए?भला आप जैसा ज्ञानी पुरुष इन सब छोटी छोटी बातों पर क्यों गौर फरमाएगा? एकं बात और कहूँगा कि आप जो भी हों,पर भ्रष्टाचार के बारे में उससे भी बढ़ कर जन लोक पाल के बारे में आपके विचार इतने क्रांतिकारी हैं कि आपसे किसी बहस की गुंजायश ही नहीं रह जाती.

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