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जो काय हो रओ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
एक दिना भुंसारें भुंसारें हमाई नातन अखवार उठा लाई और पूंछन लगी"दद्दा जो दो लाख करोड़ कीत्तो होत"हमने कई तुमई बताओ कित्ते हुंइंयें तुम तो सोई तीसरी पाटी में पड़बे जातीं|सच्ची बात तो जा आयेके मोखों खुदई समझ ने परो तो के दो लाख करोड़ कित्ते होत|पांच सात करोड़…