—विनय कुमार विनायक
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसे वतन को रख छोड़ा है
जो अभिमान है सबके!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसे पिता से मुख मोड़ा है
जो पहचान थे उनके!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसी माता से नाता तोड़ी है
जो दिलोजान थी उनके!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसी पत्नी से विदा ले ली है
जिनसे थे जन्मों के रिश्ते!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसे पुत्र को त्याग दिया है
जो प्यारे थे प्राण से बढ़के!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसी बहन को अलविदा कही है
जिनके रक्षण के वादे थे!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसी बिटिया को बाय-बाय किया है
जिसे वे डोली में बिठाते!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसे वतन को संजोकर हमें दिया है
जो समग्र बलिदान उनके!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने ऐसे तिरंगे झंडे को सैल्यूट किया है
जैसे वे बने सिर्फ तिरंगे के!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने उस मिट्टी का कर्ज चुकता किया है
जो मिट्टी है हम सब के!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने इतना ऋण हम सबको दे डाला है
जिससे हम उऋण ना होंगे!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने बिनमांगे हमें इतना प्यार दिया है
जो अपनों से नहीं मिलते!
जो शहीद हुए हैं वतन पे
उन्होंने अपने जिन स्वजनों को छोड़ दिया है
वे स्वजन हैं हम सबके!