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खादी,खाकी और काले रंग में रंगी जा रही पत्रकारिता - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आत्‍माराम यादव आज के समय की पत्रकारिता विकास के पथ को तलाशती, जनआकांक्षाओं के समक्ष समपर्ण कर, भ्रष्टाचार की भूलभुलैया मे थककर स्वयं का ही गलाघोटते हुये अधर्म का शिकार हो गयी है। पत्रकार स्वयं पत्रकारिता के अवमूल्यन और तमाम तरह की मर्यादाओं को तोड़ने के लिये खुद अग्रणी हो…