कब होगी सुख की भोर

कह रहे है माता-पिता
अब जीवन कितना बाकी है
कब तक धड़केगा यह दिल
और कितनी साॅसें बाकी है।
बेटा बहू पोता नहीं आते
ममता से धड़के छाती है।
बेटे से बतियाना कब होगा
मुश्किल से कटती दिन-राती है।
पोते को कंठ लगाने की
यह प्यास अभी तक बाकी है।
घर अपने बहू क्यों नहीं आये
ममता में कसर कौन सी बाकी है।
एक एक दिन दुख में बीतें
मौत गले लगाने को आती है।
हम दोनों आपस में बतियाते है
कैसे कैसे दिन जीवन में आयेंगे
क्या बेटे-बहू पोते के बीच
हम हॅसी खुशी से मिल पायेंगे।
व्यथा में डूबते और उतराते
हम सपने दोनों देख रहे है।
कोई ओर-छोर नहीं सुखका
हम सुख की भोर देख रहे है।
पीव जीवित रहते क्या पाया
यह माता-पिता बैठे सोच रहे है।
कब आयेगी परिवारमिलन की सुखद बेला
बच्चों से मिलन का स्वप्न देख रहे है।
माता-पिता जिंदगी दर्दभरा क्षोम है
वेदना है मन में गहरी और वे मौन है।
अगणित गाॅठों से क्यों जीवन गाॅठा, बेटे

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