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कहो कौन्तेय-६७
विपिन किशोर सिन्हा (महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश) (अभिमन्यु का प्राणोत्सर्ग) युद्ध का तेरहवां दिन। आज नन्दिघोष पर बैठने के पूर्व ही न जाने क्यों मेरी बाईं आंख फड़क गई। सामने से एक शृगाल रोते हुए मार्ग काट गया। एक क्षण के लिए किसी अनिष्ट की आशंका प्रबल हुई। लेकिन…