डा. राधेश्याम द्विवेदी
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के मुताबिक, काला धन वह धन होता है जिस पर टैक्स की देनदारी बनती है लेकिन उसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं दी जाती है। आपराधिक गतिविधियां, किडनैपिंग, स्मगलिंग, पोचिंग, ड्रग्स, अवैध माइनिंग, जालसाजी ,घोटाले, भ्रष्टाचार, पब्लिक ऑफिसर की रिश्वतखोरी, चोरी और गलत तरीके से काला धन पैदा होता है । कानूनी तरीके से टैक्स बचाने के लिए इनकम छुपाना, इनकम की जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट नहीं देने की वजह से सबसे ज्यादा काला धन पैदा होता है । इसका पता लगाने का एक तरीका इनपुट आउटपुट रेशियो है। किसी देश में खास रकम के इनपुट पर खास मात्रा में सामान का प्रॉडक्शन होता है। अगर आउटपुट कम है तो माना जाता है कि आउटपुट की अंडर-रिपोर्टिंग हो रही है। इकॉनमी के स्ट्रक्चर में बदलाव, क्षमता में बढ़ोतरी और टेक्नॉलजी अपग्रेडेशन होने पर यह तरीका कारगर नहीं होता है। इसका पता लगाने का दूसरा तरीका इकॉनमी के साइज के हिसाब से करेंसी सर्कुलेशन की तुलना है। यह तरीका इस सोच पर आधारित है कि करेंसी का इस्तेमाल सामान्य और समानांतर इकॉनमी दोनों में होता है। छोटी इकॉनमी में बहुत ज्यादा करेंसी सर्कुलेशन होने का मतलब यह होता है कि वहां समानांतर इकॉनमी भी है। एनआईपीएफपी की एक स्टडी के मुताबिक, 1983-84 में 32,000 से 37,000 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी थी। (यह जीडीपी के 19-21 फीसदी के बीच है।) 2010 में अमेरिका के ग्लोबल फाइनैंशल इंटीग्रिटी ने अनुमान लगाया था कि 1948 से 2008 के बीच भारत से 462 अरब डॉलर की रकम निकली है। सरकार ने तीन संस्थानों से ब्लैक मनी का अनुमान लगाने के लिए कहा है। इनकी रिपोर्ट्स इस साल के अंत तक आ सकती है। कालाधन सबसे अधिक सेक्यूलर होता हैं. इसमें सिर्फ़ राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि सारे वर्ग, संप्रदाय और तबक़े के लोग शामिल हैं. खेल की दुनिया से लेकर बॉलीवुड तक के लोग सब इसमें शामिल हैं, यहां तक कि मीडिया के भी. विदेशों में जमा ये काला धन सिर्फ़ कर चोरी से संबंधित नहीं इसके साथ ड्रग, हवाला, अवैध हथियार और चरमपंथ जैसी चीज़ें जुड़ी हुई हैं. ये काला धन शेयर बाँन्ड्स के अलावा सोना, क़ीमती पत्थर, हीरा, ज़ेवरात जैसे कई रूपों में लॉकरों में मौजूद हैं. 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि नामों का ख़ुलासा करने से विदेशों के साथ किसी भी संधि का उल्लंघन नहीं होता है. सरकार का तर्क था कि दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) की वजह से विदेशी बैंकों में जमा काला धन खाताधारकों के नाम उजागर नहीं किए जा सकते हैं. किसी भी चुराए हुए डेटा को लेने में किसी भी तरह की संधि का उल्लंघन नहीं होता है. यह सबके लिए उपलब्ध होता है. कालाधन वापस लाने में पांच से दस साल लग सकते हैं. फ़िलीपिंस, पेरू और नाइजीरिया जैसे देश इसके उदाहरण है जिन्हें काला धन वापस लाने में काफ़ी वक़्त लग गया था.
स्विट्जरलैंड ने भी कानून में संशोधन किया:- भारत और अन्य देशों के दबाव के बीच स्विट्जरलैंड ने अपने कुछ कानूनों में प्रमुख बदलाव किए हैं जिनका संबंध विदेशी मुल्कों को कथित रूप से स्विस बैंकों में रखे काले धन की जांच में सहयोग करने की व्यवस्था से है। इनके तहत वह स्विस बैंकों में भारत और अन्य देशों के लोगों के कथित काले धन की जांच में सहयोग के लिए उन देशों के अधिकारियों के सामूहिक आवेदनों पर विचार कर सकता है। ऐसे मामलों में स्विट्जरलैंड के अधिकारी ब्योरा साझा करने से पहले संदिग्ध व्यक्तियों या इकाइयों को उस बारे में कोई सूचना नहीं देंगे। इसके लिए भारत या ब्योरे के लिये अनुरोध करने वाले देशों को यह साबित करना होगा कि संदिग्धखाते दार को इस बारे में पहले सूचना देने से जांच का प्रयास और सहयोग के अनुरोध का उद्येश्य व्यर्थ हो सकता है।
स्विस बैंकिंग कानून के तहत जांच में दूसरे देशों के साथ सहयोग में एक बड़ी अड़चन यह थी कि इनके तहत सूचना देने से पहले संबंधित व्यक्ति को इसकी सूचना देनी होगी और वह उसके खिलाफ अपील कर सकता है तथा अनुरोध के तहत दी जाने वाली सूचना को देख सकता है। स्विट्जरलैंड ने कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक सहायता पर संघीय कानून में संशोधन करते हुए इन उपबंधों को बरकरार रखा है लेकिन संशोधन के जरिये कानून में कम-से-कम 10 बदलाव किए गए हैं ताकि दूसरे देशों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान में आसानी हो सके। एक संशोधन के अनुसार अगर कोई दूसरा देश किसी मामले में सूचना के आदान प्रदान की गोपनीयता के लिए ठोस आधार साबित करता है तो एफटीए (फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन) संबंधित व्यक्ति (खातेदार) को उसके खाते के बारे में उपलब्ध कराई जाने वाली सूचनाओं की फाइल देखने की अपील करने की अनुमति देने से मना कर सकता है।
काला धन पर अंकुश :-काले धन को सामने लाने के लिए सरकार ने मौजूदा संस्थानों को सशक्त किया है और नए संस्थान और नई व्यवस्था बनाई है। एंटी मनी लाउंडरिंग कानून को मजबूत बनाया गया है और ज्यादा संस्थानों को उसके दायरे में लाया गया है। काले धन के प्रसार को रोकने के लिए भारत ग्लोबल मुहिम में शामिल हुआ है। उसने सूचनाएं बांटने के लिए कई देशों के साथ समझौता किया है। इनकम टैक्स रेट में लगातार कटौती से टैक्स नियमों का पालन बढ़ा है।
500-1000 के नोट पर रोक से कालाधन पर लगेगी लगाम:- 1978 में जनता पार्टी की सरकार ने उच्च मूल्य के करेंसी नोट के प्रचलन को अवैध करार दिया था, लेकिन सरकार के इस कदम से अर्थव्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। उच्च मूल्य के करेंसी नोट का दोबारा परिचालन शुरू हो गया। इसके कारण देश में अघोषित संपत्ति और आय में भारी वृद्धि हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन पर अंकुश लगाने के लिए 8 नवंबर मध्य रात्रि से 1000 और 500 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा की है । जम्मू-कश्मीर में पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बंद होने से हवाला राशि और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर्स प्रभावित हुए। पत्थर मारने वाले युवाओं के लिए भी हवाला के जरिये आई राशि स्वाह हो गई। अलगाववादियों के भी होश उड़ गए हैं। घर में करोड़ रुपये दबाकर रखने वाले देशद्रोही लोगों के पास घर में रखी राशि को व्हाइट करने की दिक्कतें पैदा हो गई हैं। खुफिया विभाग के सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2015-2016 के आकलन के मुताबिक दस हजार करोड़ रुपये जम्मू कश्मीर में नकली नोट हवाला राशि, आतंकी फंडिंग और पत्थरबाजों के लिए सप्लाई हुए हैं। जम्मू कश्मीर में पांच सौ और एक हजार के रुपये बंद होने के कारण सबसे अधिक प्रभाव आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों पर पड़ा। पांच सौ और हजार रुपए के नोट के चलन पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फैसले का लोगों ने स्वागत किया है। देश से कालाधन समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का लोगों ने हमेशा समर्थन किया है। मध्यवर्ग, किसानों, व्यवसायियों, छात्र, गृहिणियों की समस्या को देखते हुए पुराने करेंसी नोट के बदले नए करेंसी नोट का प्रचलन प्रभावी तरीके से जल्द होना चाहिए। जब से यह नया आदेश जारी हुआ है लोगों में जिज्ञासा तथा कौतूहल बढ़ गया है।यद्यपि अनेक छोटी-मोटी परेशानियां लोग झेल रहे हैं फिर भी सरकार के इस कदम का व्यापक जन समर्थन भी मिल रहा है। आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य हो जाने की संभावना है। यद्यपि इस प्रयास से कालाधन पर पूर्ण विराम तो नहीं लग पायेगा, परन्तु कुछ परिवर्तन तो अवश्य दिखनी शुरू हो जायेगी और नये केस कम होना शुरू हो जाएंगे।