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कनिष्क : खाने को दाना नहीं शौचालय बनाना है। - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अपने देश का दुर्भाग्य है,हम हर चीज पहले हीं देख लेते हैं और हजारों साल ढोने के बाद भी उसे पुरी तरह आत्मसात नहीं कर पाते। आप इस कथ्य का द्र्श्टांत देखें तो फेहरिस्त लम्बी बनेगी। हमने लोकतंत्र और गणराज्य हज़ारों वर्ष पहले देखा, जिया और लिखा। पर आजतक हम…