आज भी न बरसे कारे कारे बदरा

monsoon_240

-श्रीराम तिवारी-

आज  भी न बरसे  कारे कारे  बदरा,

 आषाढ़ के दिन सब सूखे बीते जावे हैं 

अरब की खाड़ी से न आगे  बढ़ा मानसून ,

 बनिया बक्काल दाम दुगने  बढ़ावे  है।

वक्त पै  बरस  जाएँ कारेकारे  बदरा ,

दादुरों की धुनि पै धरनि  हरषावे  है।।

कारी घटा घिर आये ,खेतों में बरस जाए ,

सारंग की धुनि संग सारंग भी गावै  है।

बोनी की बेला में जो देर करे मानसून ,

 निर्धन किसान मन शोक उपजावे है ।।

     

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