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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-16 - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
राकेश कुमार आर्य गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार गीता यह भी स्पष्ट करती है कि ''हे कौन्तेय! पुरूष चाहे कितना ही यत्न करे, कितना ही विवेकशील हो-ये मथ डालने वाली इन्द्रियां बल पूर्वक मन को विषयों की ओर खींच लेती हैं। मन विषयों के पीछे भागता है…