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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-27 - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
राकेश कुमार आर्य गीता का चौथा अध्याय और विश्व समाज इसी आनन्दमयी सांसारिक परिवेश को 'विश्वशान्ति' कहा जाता है। जिनका चित्त मैला कुचैला है, हिंसक है, दूसरों पर अत्याचार करने वाला है-उनका भीतरी जगत उपद्रवी और उग्रवादी होने से हिंसक हो जाता है, जिसमें शुद्घता नाम मात्र को भी नहीं…