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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-44 - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
राकेश कुमार आर्य   गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज अच्छे बुद्घिमानों का और पवित्रात्माओं का परिवार ऐसे ही योगभ्रष्ट लोगों को एक पुरस्कार के रूप में मिलता है। जिनके संसर्ग, सम्पर्क और सान्निध्य में रहकर वह योगभ्रष्ट व्यक्ति या योगी शीघ्र ही आगे बढऩा आरम्भ कर देता…