करवाचौथ और गणेश चतुर्थी एक साथ —

 इस वर्ष (2019) का करवाचौथ एवम गणेश चतुर्थी एक साथ होने से आज का का दिन और भी विशेष हो गया है।  करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसके अलावा महिलाएं माता करवा की विधिवत पूजन करते हैं।  करवा चौथ को देश के अन्य भागों में करक चतुर्थी के नाम से भी पुकारा जाता है। करवा यानि मिट्टी का एक प्रकार का बर्तन होता है जिसके द्वारा चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य से मतलब चंद्रमा को जल देने से है। करवा चौथ की पूजा के दौरान करवा आवश्यक पूजन सामग्री में आता है। जिसे पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या योग्य महिला को दान स्वरूप भेंट कर दिया जाता है।इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चांद का अर्ध्य कर व्रत का पारण किया जाता है। करवा चौथ के दिन माता पार्वती और गणेश जी की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। 
इस वर्ष 2019 में आज  करवा चौथ पर 4 अद्भुत संयोग पड़ रहे हैं। ऐसा संयोग 70 सालों बाद बन रहा है। इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग होना करवा चौथ को अधिक मंगलकारी बना रहा है।
रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग इस करवा चौथ पर बन रहा है। पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत अच्छा है।करवा चौथ का व्रत कठिन होता है क्योंकि व्रत अवधि में जल ग्रहण भी नहीं किया जाता है। शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना से इस व्रत को रखतीं हैं। व्रत वाले दिन शाम के समय विवाहित महिलाएं भगवान शिव, माता पर्वती, गणेश और कार्तिकेय की विधिवत पूजा करती हैं। पूजन के बाद चंद्रमा को देखने और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। एक साथ ही गणेश और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। 

?‘मातु पिता भगिनी प्रिय भाई। प्रिय परिवारु सुहरद समुदाई॥ सासु ससुर गुर सजन सहाई। सुत सुंदर सुसील सुखदाई॥जहं लगि नाथ नेह अरु नाते पिय बिनु तियहि तरनिहु ते ताते। तनु धनु धामु धरनि पुर राजू। पति बिहीन सबु सोक समाजू॥’ 

जानिए करवा चौथ व्रत की पूजन सामग्री  —आज करवा चौथ की पूजा है। इससे पहले आज आपको पूजा थाली में क्या जरूरी सामग्रियां होनी चाहिए, इसकी पूरी तैयारी करनी है। आज ही इन सभी सामान को जुटा कर रख लेना है। वैसे तो करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख देना चाहिए। पूजन सामग्री इस प्रकार है-
1. छलनी2. मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन3. सिंदूर4. फूल5. करवा चौथ की थाली6. दीपक7. मेवे8. फल9. रूई की बत्ती10. मीठी मठ्ठियां11. मिठाई12. कांस की तीलियां13. करवा चौथ कैलेंडर14. नमकीन मठ्ठियां15. रोली और अक्षत (साबुत चावल)16. आटे का दीया17. फूल18. धूप या अगरबत्ती19. चीनी का करवा20. पानी का तांबा या स्टील का लोटा21. गंगाजल22. चंदन और कुमकुम23. कच्चा दूध, दही औ र देसी घी 24. शहद और चीनी 25. गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी 26. लकड़ी का आसन 27. आठ पूरियों की अठावरी और हलवा 28. दक्षिणा

यह रहेगा करवा पूजन का शुभ मुहूर्त—
करवा चौथ की तिथि: 17 अक्‍टूबर 2019चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 अक्‍टूबर 2019 (गुरुवार) को सुबह 06 बजकर 48 मिनट सेचतुर्थी तिथ‍ि समाप्‍त: 18 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 07 बजकर 29 मिनट तककरवा चौथ व्रत का समय: 17 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक.कुल अवधि: 13 घंटे 50 मिनटपूजा का शुभ मुहूर्त: 17 अक्‍टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक. कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट.✍?

गणेश जी के विभिन्न रूपों की उपासना करने से जो फल प्राप्त होते हैं वे इस प्रकार हैं:1. संतान गणपति-संतान प्राप्ति के लिए।2. विघ्नहर्ता गणपति-कलह एवं सर्वविघ्नों का नाश करने के लिए।3. विद्या प्रदायक गणपति-ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए।4. विवाह विनायक गणपति-विवाह के लिए।5. धनदायक गणपति-धन प्राप्ति के लिए।6. चिंता नाशक गणपति-चिंताओं की समाप्ति के लिए।7. सिद्धिदायक गणपति-सिद्धि प्राप्ति के लिए।8. आनंद दायक गणपति-आनंद और प्रसन्नता के लिए।9. विजयसिद्ध गणपति-कोर्ट-कचहरी से छुटकारा एवं विजय प्राप्ति के लिए।10. ऋणमोचन गणपति-ऋण मुक्ति के लिए।11. रोग नाशक गणपति-रोगों से मुक्ति के लिए।12. नेतृत्व शक्ति विकास गणपति-नेतृत्व शक्ति पाने के लिए।

गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए आप प्रतिदिन गणेश चालीसा, गणेश स्तोत्र व गणेश आरती कर सकते हैं।ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि आज के दिन आपने सुहाग की लंबी आयु के साथ अपनी कई परेशानियों से भी छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व भी  है। भगवान गणेश जी की पूजा कई तरह के लाभ देती है।”

ऐसे करनी चाहिए भगवान श्री गणेश जी पूजा : –देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मुख से प्रसाद सेवन करना चाहिए। जीभ से प्रभु का भजन करना चाहिए। कानों से हरि कथा सुननी चाहिए। नाक से प्रभु को अॢपत किए जा चुके फूलों को सूंघना चाहिए। हाथ से दान देना चाहिए। नेत्रों से देव मंदिर में प्रभु के दर्शन करने चाहिएं। पैरों से तीर्थ यात्रा करनी चाहिए। बुद्धि से प्रभु स्मरण करना चाहिए।
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:।निर्वघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।”
गणेश जी को 12 नामों से स्मरण किया जाता है।यथा—

जो भी व्यक्ति इन बारह नामों का नियमित पाठ करता है उसे किसी प्रकार के विघ्न का भय नहीं रहता है और यह स्त्रोत सब प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है।

जानिए कैसे मनाते हैं करवा चौथ का त्‍योहार?

करवा चौथ की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं. सुहागिन महिलाएं कपड़े, गहने, श्रृंगार का सामान और पूजा सामग्री खरीदती हैं. करवा चौथ वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं. इसके बाद सुबह हाथ और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है और पूजा की थालियों को सजाया जाता है. व्रत करने वाली आस-पड़ोस की महिलाएं शाम ढलने से पहले किसी मंदिर, घर या बगीचे में इकट्ठा होती हैं. यहां सभी महिलाएं एक साथ करवा चौथ की पूजा करती हैं. इस दौरान गोबर और पीली मिट्टी से पार्वती जी की प्रतिमा स्‍थापित की जाती है. आज कल माता गौरी की पहले से तैयार प्रतिमा को भी रख दिया जाता है. विधि-विधान से पूजा करने के बाद सभी महिलाएं किसी बुजुर्ग महिला से करवा चौथ की कथा सुनती हैं. इस दौरान सभी महिलाएं लाल जोड़े में पूरे सोलह श्रृंगार के साथ पूजा करती हैं. चंद्रमा के उदय पर अर्घ्‍य दिया जाता है और पति की आरती उतारी जाती है. पति के हाथों पानी पीकर महिलाओं के उपवास का समापन हो जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here