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काशी शास्त्रार्थ और इसके दो शीर्ष विद्वानों का सौहार्द्र
महर्षि दयानन्द का मंगलवार 16 नवम्बर, 1869 को काशी के आनन्दबाग में अपरान्ह 3 बजे से सायं 7 बजे तक लगभग पांच हजार दर्शकों की उपस्थिति में विद्यानगरी काशी के शीर्षस्थ 30 पण्डितों से अकेले मूर्तिपूजा पर शास्त्रार्थ हुआ था।