हिंदुस्तानी ख़ुशबू से लबरेज़ कश्मीर

  • श्याम सुंदर भाटिया

लीजिए, हुक्मरानों ने आपकी कश्मीर में बसने की हसरत भी पूरी कर दी है। अब आपको पट्टे पर जमीन लेकर घर बसाने या कारोबार करने की कोई दरकार नहीं होगी बल्कि आप मालिकाना हक से अब अपने सपनों का घर बना सकेंगे और व्यवसाय भी कर सकेंगे। हिंदुस्तान का कोई भी व्यक्ति अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में बेरोकटोक जमीन खरीद सकता है। वहां बस सकता है, हालाँकि अधिकार के तौर पर खेती की जमीन अब भी कश्मीरियों के लिए रहेगी। 27 अक्टूबर मंगलवार देश ले लिए मंगलकारी रहा या कहें किसी नायाब तोहफ़े से कम नहीं रहा। इस नए नोटिफिकेशन के बाद हरेक हिंदुस्तानी को कश्मीर में बसने और भू ख़रीददारी का हक़ मिल गया है। कश्मीर से आर्टिकल 370 की विदाई के बाद केंद्र सरकार का यह बड़ा और ऐतिहासिक कदम है। जमीन पर दीगर स्टेटस के मालिकाना हक ले लिए केंद्र ने 26 कानूनों को निरस्त कर दिया या बदल दिया है। यूनियन गवर्नमेंट ने जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए राज्य का स्थाई निवासी होने की शर्त को हटा दिया है। गृह मंत्रालय की यह अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गई है, लेकिन इस फैसले पर पूर्व सीएम श्री उमर अब्दुल्ला ने तल्ख टिप्पणी की है। बोले – अब जम्मू-कश्मीर ब्रिकी के लिए तैयार है जबकि जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा के मुताबिक, हम चाहते हैं – बाहर की इंडस्ट्री जम्मू-कश्मीर में लगें, इसीलिए इंडस्ट्रियल लैंड में इन्वेस्ट की आवश्यकता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह ऐतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के तहत लिए है। अब कोई भी भारतीय वहां फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद या बेच सकता है। मंत्रालय ने यह साफ किया है, इसके लिए किसी तरह के स्थाई निवासी होने का सुबूत देने की जरुरत नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर को 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35ए की बंदिशों से मुक्त कर दिया गया था। इसके बाद 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश बन गया। अब केंद्र शासित प्रदेश होने के करीब-करीब एक साल पूरा होने पर जमीन की खरीद फरोख्त कानून में बदलाव कर दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेश में भूमि से सम्बंधित जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से राज्य के स्थाई निवासी वाक्यांश को हटा दिए गया है। इससे पूर्व सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोग ही जमीन को खरीद या बेच सकते थे। अब बाहर से आने वाले भारतीय भी जम्मू-कश्मीर में स्थाई तौर पर रह सकते हैं।

धारा 370 जम्मू-कश्मीर को एक विशेष दर्जा देती थी। जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान था। जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा था। केंद्र से पारित कोई भी कानून जम्मू-कश्मीर की विधान सभा में मंजूरी के बाद ही राज्य में लागू किया जाता था। जम्मू-कश्मीर में इंडियन पैनल कोर्ट नहीं बल्कि रनबीर पैनल कोर्ट के तहत मामले दर्ज किए और सुलझाए जाते थे। जम्मू-कश्मीर में भारत के बाहरी राज्य के लोगों को जमीन लेने या नौकरी पाने का अधिकार नहीं था। पूरे देश में चुनाव हर पांच साल बाद होते हैं तो जम्मू-कश्मीर में यह चुनावी अवधि छह बरस थी। दो केंद्र शासित प्रदेशों के बांटने ने 14 महीने बाद अब केंद्र सरकार ने प्रदेश के भूमि सम्बंधित कानूनों में आमूल-चूल परिवर्तन किया है। अब कश्मीर में नए सवेरे के आगाज होगा। कृषि भूमि पर कॉन्ट्रैक्ट खेती प्रारम्भ हो पाएगी। औद्योगिक विकास निगम की स्थापना का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है। औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए खरीदी गई जमीन भी सरकार अब किसी को भी दे सकेगी। पहले इस तरह भूमि सिर्फ स्थाई निवासी ही खरीद सकते थे। केंद्र के इस निर्णय से विपक्षी नेता आग बबूला हैं। पीडीपी की चीफ महबूबा मुफ़्ती ने कहा, यह बदलाव पूर्ण रुप से असंवैधानिक है। किसी कीमत पर यह स्वीकार्य नहीं है। मुख्य सियासी पार्टियों के गठबंधन गुपकार के प्रवक्ता सज्जाद लोन ने इसे बड़ा धोखा करार दिया। नए भू नियम लद्दाख में लागू होंगे या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। उम्मीद है, सरकार आने वाले दिनों में स्थिति साफ़ कर देगी।

उद्योग जगत के लिए नया भू कानून संजीवनी माना जा रहा है। नए कानून से औद्योगिक निवेश की सबसे बड़ी अड़चन दूर हो गई है। इस नए नवेले केंद्र शासित प्रदेश में अब उद्योग की संभावनाएं बढ़ेंगी। देश के बड़े- उद्योगपति वहां उद्योग लगाने के लिए प्रेरित होंगे। इससे न केवल राज्य की माली हालत मजबूत होगी बल्कि युवा भी बारोजगार होंगे। नए नियम शिक्षा और सेहत महकमों के लिए वरदान साबित होंगे। अब तक जमीन का मालिकाना हक न मिल पाने से देश की नामचीन कंपनियां जम्मू-कश्मीर का रुख नहीं करती थीं, इसीलिए जम्मू संभाग हो या कश्मीर, दोनों की जगह औद्योगिक इकाइयां कम ही हैं। ऐसे में युवा रोजगार के लिए दूसरे सूबों में पलायन करने हैं या चुनिंदा युवक आतंकवाद की शरण में चले जाते हैं। मानो, न्यू लैंड लॉ कह रहा हो -वेलकम इन न्यू कश्मीर !  

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