रियायत में रखें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान

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लिमटी खरे

टोटल लॉक डाउन का पार्ट 02 आरंभ हो चुका है। पहले फेज में 21 दिन तक लोग घरों पर बैठे रहे। इस दौरान सबसे ज्यादा मरण गरीब गुरबों विशेषकर उनकी हुई जो रोज कमाते खाते थे। दिहाड़ी मजदूर 14 अप्रैल का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा टोटल लॉक डाउन के फेज 02 की घोषणा कर यह कहा कि 03 मई तक यह जारी रहेगा, वैसे ही इन मजदूरों के चेहरों पर निराशा साफ दिखाई दे रही थी।

इसके बाद 15 अप्रैल को केंद्र सरकार के द्वारा कुछ रियायतों की बात कहने पर इनकी जान में जान आई है। भारत में इस तरह के लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है जो दिन भर मजदूरी कर शाम को घर लौटता है और उसके बाद उसका चूल्हा जल पाता है। इस तरह के लोगों को कम से कम रोजी रोटी के संकट से बचाने के लिए नरेंद्र मोदी के द्वारा सराहनीय पहल की गई है।

इसमें एक बात विशेष तौर पर उल्लेखनीय है कि सरकार के द्वारा जो रियायत दी गई है उसमें सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी की शर्त को कड़ाई से पालन करने की बात कही गई है। इससे एक बात तो साफ हो गई है कि सरकार की मंशा रोजी रोटी का संकट पैदा न होने देने की है, इसके साथ ही सभी को इस बात को भी गांठ बांध लेना चाहिए कि किसी भी स्थान पर भीड़ को एकत्र होने या पास पास सटकर रहकर काम करने की अनुमति कतई प्रदान नहीं की गई है। सरकार के ये दिशा निर्देश इस तरह के मजदूरों के हित में माने जा सकते हैं जिनके सामने टोटल लाक डाउन में रोजी रोटी का संकट आन खड़ा हुआ था।

इस तरह के निर्देशों से सरकार की मंशा साफ दिखाई दे रही है कि जो वाकई बहुत जरूरतमंद हैं, उनके हित में यह छूट दी गई है। इस तरह की रियायतें 21 अप्रैल से आरंभ होंगी। इसमें बढ़ई, प्लंबर, मोटर मैकेनिक, आईटी और इलेक्ट्रानिक्स सामग्री को सुधारने वालों के लिए लागू की गई हैं।

इस तरह के लोगों को भी स्थानीय प्रशासन के द्वारा जारी दिशा निर्देशों अथवा पास के जरिए ही बाहर निकलने की अनुमति होगी। इसमें एक बात बहुत ही उचित प्रतीत हो रही है कि राज्य सरकारें वहां की स्थितियों, परिस्थितियों को देखते हुए रियायतों को घटा या बढ़ा भी सकती हैं। देखा जाए तो दूध, सब्जी, राशन, दवा, मोबाईल, प्लंबर, मोटर मैकेनिक, पंचर बनाने वालों आदि के लिए इस तरह की रियायत बहुत ही ज्यादा जरूरी थीं। इसके तहत भवन निर्माण उद्योग में भी रियायत दी गई है।

केंद्र सरकार के द्वारा दी गई रियायतों को अगर देखा जाए तो ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को सुदृण बनाने की दिशा में सरकार के द्वारा प्रयास आरंभ किए गए हैं। खेती किसानी को लेकर भी रियायत दी गई है। मनरेगा के तहत होने वाले कामों में भी रियायत दी गई है, जो राहत की बात मानी जा सकती है।

कोरोना का संक्रमण जिस तरह से चल रहा है, उसे देखकर केंद्र सरकार का रियायत देने वाला यह फैसला जोखिम भरा भी माना जा सकता है, पर यह जरूरी ही था। वर्तमान परिस्थितियों में जरूरतमंद लोगों को इसका सदुपयोग करने की जरूरत है, वह भी नियम कायदों में बंधकर, ताकि रियायतें न केवल कामय रहें, वरन आगे भी बढ़ाई जा सकें।

माना कि मजदूरों को अपने परिवार को पालने का संकट है और परिवार को संरक्षण देने की भी महती जरूरत है, पर जिन्हें रियायतें दी गईं हैं, उन्हें सरकार की मंशा को समझते हुए सामाजिक दूरी बरकरार रखते हुए मास्क लगाकर काम करते हुए सरकार की मंशा की लाज भी रखने की जरूरत है।

जिस तरह की बातें सामने आ रहीं हैं, उसके अनुसार हो सकता है लॉक डाउन अचानक समाप्त न हो, या कोरोना की दवा जब तक विकसित नहीं होती तब तक दिनचर्या सामान्य न रह पाए। इसके चलते देश के हर नागरिक का यह नैतिक दायित्व है, कि वह सरकार के दिशा निर्देशों में बंधकर अपनी लक्ष्मण रेखा को पहचानते हुए उसे पार करने का दुस्साहस किसी भी परिस्थिति में न करे।

आप अपने घरों में रहें, घरों से बाहर न निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखें, शासन, प्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।

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