खाते हो जिस थाली में

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खाते हो जिस थाली में,
उसी में तुम छेद करते हो।
दिया है फिल्म इंडस्ट्री ने सब,
उसी से मन भेद रखते हो।।

ये थाली तुमने अकेले नहीं,
सबने मिलकर ही बनाई है।
सबने छप्पन भोग बनाकर,
ये थाली सबने सजाई है।।

अब तो छाज तो छाज़,
छलनी भी बोलने लगी है।
जिसमे बहात्तर छेद है पहले,
थाली में भी छेद करने लगी है

चुपचाप कुछ बैठे हुए हैं,
जरा भी मुंह खोलते नहीं।
शायद मुंह में दही जमा है,
इसलिए वे बोलते नहीं है।।

महाराष्ट्र किसी के बाप का नहीं
तेरे मेरे बाप का भी नहीं
फिल्म इंडस्ट्री है उसी की
जिसके मां बाप होते हैं वहीं।।

कंगना के कंगन में धार है,
ये तलवार से अब कम नहीं,
ये देश की छत्रानी बनी है,
किसी विर्णग्ना से कम नहीं।।

संसद के उच्च सदन से,
आते हैं भड़काऊ बयान।
देश के लिए बेहतर होगा,
न दे भविष्य में ऐसे बयान।।

करोना से लड़ना है अब
कंगना के बयानों से नहीं।
तभी देश करोना से मुक्त होगा,
आपस में कभी लड़ने से नहीं।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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