पाकिस्तानी हिन्दुओं की पीड़ा भी जानों…    


पाकिस्तान में फिर एक और हिन्दू लड़की का वहां के एक दबंग जमींदार आमिर वासन ने अपहरण किया फिर उसका बलात धर्मांतरण करके उससे निकाह कर लिया है।  धार्मिक आधार पर हिन्दू-मुस्लिम विभाजन के पश्चात बनें पाकिस्तान में एक और घटना जो सिंध प्रांत के खैरपुर जिले की है , पूर्व के समान हज़ारों- लाखों हिन्दू लड़कियों की दर्दनाक गाथाओं में जुड़ कर बहरी, गूंगी और अंधी दुनिया में लुप्त हो जायेगी। लाखों अबलाओं की तरह एक और हिन्दू लड़की आरती कुमारी को महाविश बना कर अंधेरी कोठरी में डाल कर उसको नारकीय जीवन जीने को विवश करके जिहादियों को ठंडक मिल रही होगी। इसके अतिरिक्त पहले भी ऐसे समाचार आये है कि पाकिस्तान में कर्ज के बदले हिदू लड़कियों का अपहरण किया जाता है। निरंतर ऐसे समाचार पढ़ कर मन विचलित होता है और इन अत्याचारों पर आक्रोशित भी। क्योंकि पाकिस्तान में इस प्रकार के अत्याचार अनेक वर्षों से हो रहे है , तभी तो पाकिस्तान से हिन्दू पलायन करने को विवश होते है। पिछले 15 -20  वर्षों के ही समाचारों को ध्यान से देखा जाय तो हज़ारो हिन्दू लड़कियों का अपहरण करके उनका धर्मपरिवर्तन कराकर मुसलमानों से जबरन निकाह कराया गया । हिन्दू लड़कियां को ‘मनीषा से महाविश’, ‘भारती से आयशा’, ‘लता से हफ़सा’ , ‘आशा से हलीमा’ व ‘अंजलि से सलीमा’ आदि बना कर उनकी जिंदगी में जहर घोलने वाले ये कट्टरपंथी जन्नत जाने के जनून में कब तक इन अबलाओं को जिंदा लाश बनाते रहेंगे ? इन अत्याचारों से पीड़ित एक हिन्दू लड़की रिंकल कुमारी की तो मीडिया में पिछले वर्ष बहुत चर्चा रही फिर भी कोई सुनवायी न होने के उसको ‘फरयाल बीबी’ बनना पड़ा था। हिन्दू लड़कियों की खरीद-बिक्री  तो मुस्लिम समाज का पुराना क्रूर धंधा है। ऐसी पीड़ा से बचने के लिये अनेक  हिन्दू लड़कियां आत्महत्या कर लेती है। लेकिन वहां का हिन्दू समाज  मुसलमानों के डर से कोई शिकायत भी नहीं कर पाते। अधिकतर पीड़ित हिन्दू दलित व गरीब होने के कारण अपनी बेटियों को ढूंढ भी नहीं पाते। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के अनुसार  2010 में यह भी पता चला था कि लगभग 25 हिन्दू लड़कियां प्रति माह पाकिस्तान में धर्मांधों का शिकार हो रही है। उस समय पाकिस्तानी मीडिया ने भी हिन्दू लड़कियों पर सिंध व बलूचिस्तान में हो रहें ऐसे अत्याचारों को स्वीकार किया था । जबकि आज की स्थिति और अधिक भयावह हो चुकी है।
यह तो सर्वविदित ही है कि 1947 में विभाजन के बाद  वर्तमान पाकिस्तान में 15 से 20 प्रतिशत हिन्दू शेष थे जो अब घट कर लगभग डेढ प्रतिशत रह गये है। इस वर्ष के वैश्विक दासता सूचकांक के अनुसार 20 लाख से अधिक पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दू व अन्य  गुलाम की तरह रहते है। धार्मिक वैमनस्य के कारण ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ था फिर भी वहां गैर मुस्लिमों पर खुल कर अत्याचार होते है। हिंदुओं का बलात धर्मपरिवर्तन किया जाता है विरोध करने पर प्रायः कत्ल कर दिया जाता है। हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्ज़ा करना व उन्हें वहां से खदेड़ देने की भी घटनाओं के समाचार मिलते रहें है। कभी-कभी अपनी पहचान छुपाने के लिये मुस्लिम नाम का सहारा भी हिंदुओं को लेना पड़ता है।गरीब हिदुओं को नौकरी के लिए मुसलमान भी बनना पड़ता है।अनेक लोगो को खेत व भट्टे पर मजदूरी के लिए रखा जाने के अतिरिक्त घरेलू नौकर भी बनाया  जाता है।
कुछ वर्ष पूर्व (दिसम्बर 2011) प्राचीन चंडी देवी मंदिर, डासना (ग़ाज़ियाबाद ) में आये  लगभग 27 पाकिस्तानी हिन्दू परिवारों से मेरी  व्यक्तिगत चर्चा हुई थी। उनका दुखडा सुनकर मानवता भी शर्मसार हो जाती है। वे अपनी लड़कियों को घर से बाहर ही नहीं निकलने देते क्योंकि वहां के मुसलमान हिन्दू लडकियो को छोड़ते ही नहीं। हिन्दू बच्चों को स्कूलों में अलग बैठा कर इस्लाम की शिक्षा दी जाती है।इन बच्चों के लिये पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं होता।इसलिए अधिकांश बच्चे स्कुल नहीं जाते।वहां गरीब हिन्दू मज़दूरों को जंजीरों से बांध कर रखते है और मज़दूरी पर जाते समय जंजीरे खोल दी जाती है और सायं वापसी होने पर पुनः बाँध दी जाती है। इनको मराना-पीटना व भूखा-प्यासा रखना आम बात है। लंबे समय तक मजदूरी भी नही देते।
इसके अतिरिक्त  एक सर्वे से पता चला कि लगभग 95%  मंदिरों व गुरुद्वारों को मदरसे व दरगाहों में परिवर्तित कर दिया गया , कही कही गोदाम, दूकान,स्कुल व सरकारी कार्यालय भी बनाये गये। कुछ मंदिरों में पुजारियों को अन्य टोपी न होने के कारण मुस्लिम टोपी ही पहननी पड़ती है। पूजा-अर्चना धीमी आवाज में बंद दरवाजो में की जाती है। अगर हिन्दू  ईद मनाएंगे तभी होली-दिवाली मनाने की सुविधा है। मुस्लिम घृणा यहां तक हावी है कि शव दहन के समय मुसलमान ईंट-पत्थर मार कर जलती चिता को बुझा देते है और अधजले शव को नाले में फेंक देते है।इतनी अधिक धार्मिक घृणा क्यों ? इसके पीछे है पाकिस्तान की पाठ्य-पुस्तकों में बालको को आरम्भ से ही कट्टर इस्लाम पढाये जाने के अतिरिक्त यह भी बताया जाता है कि  हिन्दू बुरी कौम है व भारत एक क़ाफ़िर देश है । जिसका दुष्परिणाम है कि हिन्दू बच्चों को क़ाफ़िर कुत्ता कह कर पुकारा जाता है। यह और भी दुःखद है एक अमरीकी संगठन के सर्वे के अनुसार हर चार पाकिस्तानियों में से तीन भारत के विषय में नकारात्मक विचार रखते है।
लेकिन आज जब म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के लिये सभी सेक्युलर व मानवाधिकारवादी अत्यंत चिंतित है व देश-विदेश का मुस्लिम समाज एकजुट होकर उनके पक्ष में खड़ा है तो फिर उन प्रताड़ित पाकिस्तान,  बंग्लादेशी व कश्मीरी हिंदुओं ने क्या अपराध किया है कि जो हम भारतवासी हिन्दू भी उनके पक्ष में कोई आंदोलन या प्रदर्शन करने में संकोच करते है ?  जबकि रोहिंग्या मुसलमान अपनी जिहादी सोच के वशीभूत म्यांमार के शांतिप्रिय बौद्ध समाज के ऊपर किये गये अत्याचारों के फलस्वरुप ही उनके प्रभावशाली विरोध व संघर्ष के कारण वहां से भागने को विवश हो रहे है।
अतः भारत सरकार को व मानवाधिकारवादियो को सर्वप्रथम प्राथमिकता के साथ पाकिस्तान, बंग्ला देश व  कश्मीर आदि में हो रहें लाखों हिंदुओं पर वीभत्स अत्याचारों के विरुद्ध वैश्विक स्तर पर कूटनीतिज्ञ पहल करनी होगी। हमको यह भी विचार करना होगा कि पाकिस्तान से 1947 में दंगों से पीड़ित लाखों हिन्दू-सिख जम्मू-कश्मीर में बस गये थे वे आज 70 वर्ष बाद भी अपने ही देश में मौलिक मानवीय आधिकारों से वंचित है, क्यों ? उन लाखों कश्मीरी हिंदुओं की कौन सोचेगा जिनको धर्म के नाम पर 27 वर्ष पूर्व धर्मांधों ने मार मार कर खदेड़ दिया था और उनकी सारी सम्पतियां भी लूट ली थी ?

विनोद कुमार सर्वोदय

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